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लोकसभा चुनाव – 2004दिग्गजों के बीच कांटे की टक्करप्रत्याशी, मतदाता और मीडिया सब चौकन्ने हैं। पूरे दे

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Feb 5, 2004, 12:00 am IST
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दिंनाक: 05 Feb 2004 00:00:00

लोकसभा चुनाव – 2004दिग्गजों के बीच कांटे की टक्करप्रत्याशी, मतदाता और मीडिया सब चौकन्ने हैं। पूरे देश की क्या, दुनिया की नजर भारत के आम चुनावों पर लगी है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में चौदहवीं लोकसभा के लिए मतदान के दो चरण सम्पन्न हो चुके हैं। 13 राज्यों और 3 संघशासित प्रदेशों के 140 लोकसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने 20 अप्रैल को प्रत्याशियों का चुनावी भविष्य वोटिंग मशीन का बटन दबाकर तय कर दिया। 26 अप्रैल को 11 राज्यों के 137 लोकसभा सीटों के मतदाताओं ने अपने प्रत्याशी चुना। 5 मई को लोकसभा चुनावों का तीसरा चरण सम्पन्न होगा, जिसमें 7 राज्यों के मतदाता अपना सांसद चुनेंगे और 10 मई अंतिम चरण में दिल्ली सहित 16 राज्यों के मतदाता अपने प्रत्याशी के भविष्य पर मोहर लगाएंगे। 13 मई को मशीनों में छुपा प्रत्याशियों का भविष्य उजागर हो जाएगा। मीडिया और प्रत्याशियों के दिलों की धड़कनें तेज हो जाएंगी। लोग टेलिविजन, रेडियो और अखबारों से चिपके रहेंगे यह जानने के लिए कि कांटे की टक्कर में मतदाताओं ने किसकी नैया तारी और किसने बाजी हारी। मतदान उपरान्त विभिन्न माध्यमों द्वारा कराये गए सर्वेक्षणों में स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि देश की बागडोर एक बार फिर प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथ रहेगी। राजग को 300 सीट मिलने का अनुमान सर्वेक्षण संस्थाएं दे रही हैं। लेकिन कौन से प्रत्याशी जीत कर संसद में सरकार बनाएंगे और कौन विपक्षी की भूमिका में रहेंगे? देशभर के कुछ उन लोकसभा क्षेत्रों पर पाञ्चजन्य ने एक दृष्टि डाली, जहां प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है। मतदान के समय हवा का रुख किस ओर होगा, यह भी अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है, ऐसे ही कुछ रोचक मुकाबलों की एक झलक यहां प्रस्तुत है–विनीता गुप्ताबिहारशरद यादव मधेपुरा-छपराशरद-रूडी से घिरेलालूलालू प्रसाद यादवमधेपुरा सीट पर देशभर के लोगों की नजर है। क्योंकि इन लोकसभा चुनावों में अगर सबसे रोचक मुकाबला इसी सीट पर है। यहां राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और राजनीतिक क्षेत्र के दिग्गज लालू प्रसाद और जनता दल (एकीकृत) के अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री श्री शरद यादव आमने-सामने हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मधेपुरा सीट से शरद यादव ने लालू यादव को हराया था। वही स्थिति दुबारा उत्पन्न न हो, इसलिए लालू यादव इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है। सो लालू यादव ने लोकसभा में अपनी सीट पक्की करने के लिए छपरा से भी नामांकन भरा। लेकिन भाजपा ने यहां भी उन्हें पटखनी देने के लिए केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राजीव प्रताप रूडी जैसे दमदार प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार कर लालू की घेराबंदी कर दी है।पटनानाक का सवालबिहार की नाक माने जाने वाले लोकसभा क्षेत्र पटना में हमेशा की तरह इस बार भी कांटे का मुकाबला है। भाजपा ने केन्द्रीय लघु उद्योग व पूर्वोत्तर विकास मामलों के मंत्री डा. सी.पी. ठाकुर को टिकट दिया है, तो राष्ट्रीय जनता दल ने विधान परिषद के सदस्य रामकृपाल यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। राजद प्रत्याशी रामकृपाल यादव को यहां लोक जनशक्ति पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और माकपा का समर्थन प्राप्त है तो डा. सी.पी. ठाकुर को जनता दल (एकीकृत) का। हालांकि भाजपा प्रत्याशी डा. ठाकुर के प्रति लोगों में पहले कुछ नाराजगी थी, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान वह धुलती नजर आयी। रामकृपाल यादव को हालांकि लालू सेना का पूरा सहारा है और साथ में अन्य हथकंडे भी लेकिन राजद के वोट काटने के लिए भी कई उम्मीदवार चुनाव मैदान में आ गए हैं। राजद के कार्यकारी अध्यक्ष रहे राज्यसभा सदस्य रंजन यादव को जब पार्टी से निकाला गया था तो वे राजद के विरोध में खड़े हो गए। सम्पूर्ण विकास दल के टिकट पर वे चुनाव मैदान में हैं। और उनका एकमात्र लक्ष्य लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी को कमजोर करना है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भी राजद के मतों में सेंध लगाएंगे। सेंधमारी में ये दल कितने सफल होते हैं पटना के चुनाव परिणाम बहुत कुछ इस बात निर्भर करेंगे।किशनगंजशाहनवाज के सामने माफिया डानराष्ट्रीय जनता दल के नेता तसलीमुद्दीन के आतंक से थर्राती किशनगंज लोकसभा सीट पर एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी के रूप में केन्द्रीय कपड़ा मंत्री सैय्यद शाहनवाज हुसैन चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार भी शाहनवाज हुसैन ने राजद प्रत्याशी तसलीमुद्दीन को यहां से हराया था। इस बार तसलीमुद्दीन अपने बाहुबल पर किसी भी तरह यह सीट हथियाने की कोशिश में हैं, लेकिन उनकी कोशिशों पर पानी फेरते हुए शाहनवाज हुसैन हिंसक आक्रमणों के बावजूद मैदान में डटे हैं और तसलीमुद्दीन को पहले की ही तरह टक्कर दे रहे हैं।उत्तर प्रदेशकैसरगंजआरिफ मोहम्मद खान : नयी चुनौतीभाजपा प्रत्याशी आरिफ मोहम्मद खान को कैसरगंज में टक्कर दे रहे हैं समाजवादी पार्टी के बेनी प्रसाद वर्मा। बरराइच श्री खान का गृहजनपद है और वे यहां से सांसद भी रह चुके हैं, उनकी छवि अच्छी है लेकिन, इस बार वे कांग्रेस की बजाय भाजपा के टिकट पर लड़ रहे हैं। उनके प्रतिद्वन्द्वी हैं सपा के बेनी प्रसाद वर्मा। जो यहां से दो बार सांसद रहे और मंत्री भी हैं।खीरीत्रिकोणीय संघर्ष में विनय कटियारभाजपा प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार के खीरी से प्रत्याशी होने के कारण इस सीट पर लोगों की नजरें हैं। कुर्मी बहुल इस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी ने रवि वर्मा को टिकट दिया है, जो स्वयं कुर्मी हैं। बसपा ने दाऊद अहमद को चुनाव मैदान में उतारकर मुस्लिम और पिछड़ी जातियों के वोट बटोरने की कोशिश की है। इसलिए यहां तिकोना संघर्ष है।राजीव प्रताप रूडीगुजरातकपड़वंजवाघेला और वाघेलाकपड़वंज में यूं देखने में तो लगता है वाघेला और वाघेला के बीच मतदाता किसी को भी चुन सकते हैं। कांग्रेस के शंकर सिंह वाघेला के मुकाबले भाजपा ने लीलाधर वाघेला को उतारा है। लीलाधर वाघेला पिछड़ी जाति के हैं और शंकर सिंह वाघेला ठाकुर समुदाय के। यहां पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या अधिक है। इसलिए शंकर सिंह वाघेला को उन्होंने कड़ी टक्कर दी है और भीतर की बात यह है कि स्वयं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमर सिंह चौधरी और अन्य कांग्रेसी भी नहीं चाहते कि शंकर सिंह वाघेला जीतें।राजस्थानबाड़मेरमानवेन्द्र सिंह : बढ़े जीत की ओरकेन्द्रीय वित्त मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह बाड़मेर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान मे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के निवर्तमान सांसद कर्नल सोनाराम से है। सोनाराम इस क्षेत्र से निरंतर तीन बार सांसद रह चुके हैं, और चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। मानवेन्द्र पिछले चुनाव में सोनाराम से हार गए थे, इस बार हवा बदली है। मानवेन्द्र सिंह के कदम जीत की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।दौसासचिन पायलट : विरासत की चिंताकांग्रेस की परम्परागत सीट दौसा पर राजेश पायलट चुनाव जीतते आए थे। एक दुर्घटना में राजेश पायलट की मृत्यु के बाद अब उनके पुत्र सचिन पायलट चुनाव मैदान में हैं लेकिन अपने पिता की परम्परागत सीट पर कब्जा जमा पाना उनके लिए एक चुनौती है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने उनके मुकाबले इंडियन नेशनल लोकदल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कद्दावर नेता करतार सिंह भड़ाना को चुनाव मैदान में उतारा है। इस लोकसभा क्षेत्र में गूजर और मीणा जाति के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और राजेश पायलट का इनमें खासा प्रभाव था। लेकिन अब समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं, क्योंकि इंडियन नेशनल लोकदल की ओर से पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार और राज्य विधानसभा के सदस्य सुभाष शर्मा के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में आने से वोट कटेंगे।उदयपुरगिरिजा व्यास: एड़ी-चोटी का जोरउदयपुर सीट पर निवर्तमान सांसद व कांग्रेसी दिग्गज डा. गिरिजा व्यास का मुकाबला भाजपा की तेज-तर्रार और महिला मोर्चा की अध्यक्ष किरण महेश्वरी से है। पिछले विधानसभा चुनावों में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ में से सात सीटें कांग्रेस के हाथ से निकल गयी थीं। इसलिए डा. गिरिजा व्यास के लिए अब यह सीट हासिल कर पाना एक चुनौती है। किरण महेश्वरी को वनवासी मतों और परम्परागत मतों का भरोसा है।जम्मू-कश्मीरजम्मूकिस करवट बैठेगा ऊंट?हालांकि जम्मू भाजपा की सीट है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. निर्मल सिंह यहां से चुनाव मैदान में हैं लेकिन 2001 में हुए उपचुनावों में वे हार गए थे, इसलिए यह सीट निकालना भाजपा के लिए अभी भी चुनौती है। कांग्रेस प्रत्याशी राज्य के आवास एवं सड़क मंत्री मदनलाल शर्मा ने इस चुनौती को और कठिन बना दिया है।बारामूलामुकाबला गुलाम रसूलकार सेआतंकवाद प्रभावित लोकसभा क्षेत्र बारामूला में हालांकि कांग्रेस ने गुलाम रसूलकार जैसे चर्चित नेता को टिकट दिया है, लेकिन उनकी जीत यहां मुश्किल दिखाई देती है, क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस ने अब्दुल रशीद शाहीन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने व्यवसाय से पत्रकार बने निजामुद्दीन को प्रत्याशी बनाया है। राज्य में पीडीपी के साथ कांग्रेस सरकार में है, लेकिन लोकसभा चुनाव मैदान में दोनों पार्टियों के प्रत्याशी एक-दूसरे के खिलाफ हैं। यह स्थिति एक नहीं लगभग सभी सीटों पर है। इसलिए मतदाता उलझन में हैं।पंजाबअमृतसरसिद्धू : चुनावी पारी की शुरुआतकांग्रेसी दिग्गज रघुनंदन लाल भाटिया के अमृतसर सीट से 6 बार सांसद बनने से यह सीट एक प्रकार से कांग्रेस की ही सीट मानी जाने लगी है। अभी भी वहां से श्री भाटिया ही सांसद हैं। ऐसे में अकाली-भाजपा गठबंधन ने कांग्रेस से यह सीट हथियाने के लिए पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू को चुनावी समर में भेजा है। इससे भाजपा-अकाली गठबंधन की दावेदारी पहले से कुछ मजबूत अवश्य दिखाई देती है। परिणाम चाहे किसी के भी पक्ष में जाएं, लेकिन मुकाबला तो कांटे का है।जालन्धरगुजराल-पुत्र के साथ हवापूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के बेटे नरेश गुजराल ने जब अकाली दल का दामन थामा तो सब हैरत में रह गए। अब अकाली-भाजपा गठबंधन ने जालंधर से उन्हें प्रत्याशी बनाया है, इससे गठंबधन के के पक्ष में हवा बनी है। कांग्रेस ने यहां से पदेन विधायक गुरजीत राणा के हाथ चुनावी समर की बागडोर सौंपी है। अभी यहां से कांग्रेस प्रत्याशी बलवीर सिंह सांसद हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें अपनी सीट बचाने या गवाने की बात सोचने योग्य ही नहीं समझा और टिकट नहीं दी, इससे नाराज होकर वह अकाली दल में शामिल हो गए।हरियाणाभिवानीलालों की टक्करहरियाणा में भिवानी लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें हैं, क्योंकि यहां से तीन लालों के लाल अपनी ताल ठोंक रहे हैं। मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला, बंसीलाल के बेटे सुरेन्द्र सिंह और भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई अपनी-अपनी तरह से मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं। बंसीलाल यहां से तीन बार और उनके बेटे सुरेन्द्र सिंह दो बार सांसद चुने गए हैं। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से समझौते के कारण अजय चौटाला यहां से भारी मतों से विजयी हुए थे। इस क्षेत्र में भजनलाल का भी खूब दबदबा रहा है। इसलिए मुकाबला कांटे का है।छत्तीसगढ़महासमुंदअजीत जोगी : दुर्घटना से मिली सहानुभूतिअजीत जोगीविद्याचरण शुक्लकुछ महीने पहले टेप रिश्वत कांड में कांग्रेस की सदस्यता से बर्खास्त किए गए अजीत जोगी को जब कांग्रेस ने महासमुन्द से अपना प्रत्याशी घोषित किया तो सब भौंचक रह गए। जोगी की अपनी साख है। लेकिन उनका मुकाबला भाजपा के दिग्गज प्रत्याशी विद्याचरण शुक्ल से है। शुरुआती दौर में राजनीतिक पंडितों का कहना था कि सोनिया ने जोगी को टिकट देकर शुक्ला को हराने का जो आखिरी दांव चला, वह खाली जाता दिख रहा है। जोगी पार्टी में तो अलग-थलग हैं ही पर उनकी वजह से भाजपा भी एकजुट हो जाएगी। लेकिन चुनाव से पहले अजीत जोगी के दुर्घटनाग्रस्त होने से हवा कुछ बदली हुई नजर आ रही है। सहानुभूति लहर का लाभ जोगी को मिल सकता है।महाराष्ट्रउत्तर-पश्चिम मुम्बईकोई किसी से कम नहींसुनील दत्तसंजय निरुपमउत्तर-पश्चिम मुम्बई लोकसभा सीट पर सुनील दत्त का मुकाबला संजय निरुपम से है। फिल्म जगत के जाने-माने नाम और मानवाधिकार का झंडा बुलन्द करने वाले अभिनेता सुनील दत्त कांग्रेसी नेता के रूप में यहां से चुनाव मैदान में हैं और उनके सामने हैं शिव-सेना के चर्चित नाम संजय निरुपम। राज्यसभा सदस्य के रूप में अपनी वक्तृता और बौद्धिकता की धाक जमाने वाले तेज-तर्रार संजय निरुपम यहां सुनील दत्त को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। निरुपम का नारा है- “आज के दौर की बात करेंगे, तरक्की से मुलाकात करेंगे।”प. बंगालदक्षिण कोलकाताममता के सामने नफीसाममता बनर्जीनफीसा अलीतृणमूल कांग्रेस की तेज-तर्रार अध्यक्ष ममता बनर्जी के गढ़ दक्षिण कोलकाता लोकसभा क्षेत्र में यूं तो कोई भी टिक नहीं पा रहा था। माकपा लाख कोशिशों के बाद भी इसमें सेंध नहीं लगा पायी, कांग्रेस की हालत तो पहले ही खस्ता थी, लेकिन पूर्व भारत सुंदरी, अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकत्री नफीसा अली को जब कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया तो मुकाबले में कुछ जान आ गयी। और फिर माकपा ने ममता को टक्कर देने के इरादे से रबीन देव को चुनाव मैदान में उतारा है। रबीन देव माकपा विधायक दल के मुख्य सचेतक हैं और एक साधारण कार्यकर्ता से ऊपर उठकर आए हैं। पार्टी के सभी गुटों में उनकी लोकप्रियता है। 1999 में ममता बनर्जी ने माकपा प्रत्याशी को दो लाख 14 हजार मतों से पराजित किया था। दो लाख मतों का अंतर पाटने के लिए रबीन देव पूरी तरह जोर लगा रहे हैं।मध्य प्रदेशराजगढ़भाई के हाथ कमल देख घबराए दिग्गीमध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह, जो कल तक कांग्रेस के लिए वोट मांगते थे, अब भाजपा में शामिल होकर राजगढ़ संसदीय सीट पर प्रत्याशी के रूप में भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने शंभूनाथ सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। लक्ष्मण सिंह के कारण दिग्विजय सिंह की स्थिति बहुत विचित्र हो गई है। वे सार्वजनिक रूप से अपने छोटे भाई को खरी-खोटी सुना चुके हैं। फिर भी कांग्रेसी कार्यकर्ता उनके खिलाफ प्रचार की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में इस अति महत्वपूर्ण सीट पर कड़ा मुकाबला है।10

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