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यह है नए "संतों" की सरकार

by
Jan 8, 2004, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 Jan 2004 00:00:00

फरार मंत्री, दागी सरकार

शरीफ इन्सान आखिर क्यों इलेक्शन हार जाता है,

किताबों में तो ये लिक्खा था रावन हार जाता है।। (मुनव्वर राना)

इस बार की लोकसभा का हाल देखें तो 545 में से कम से कम 100 सांसद ऐसे हैं जिन पर किसी न किसी मामले में किसी न किसी न्यायालय में मामला लम्बित है। यदि राजनीतिक मामले, जैसे धरने-प्रदर्शन या जुलूस के दौरान दर्ज मामलों को छोड़ भी दें तो भी 50 के करीब ऐसे सांसद हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। शिबू सोरेन प्रकरण ने देश की राजनीति पर एक शर्मनाक दाग लगाया है। स्थिति यह है कि संसद सदस्य जानना चाहते हैं कि मंत्री महोदय कहां हैं और लोकसभा अध्यक्ष को जवाब देना पड़ता है कि “मैं यहां पुलिस की मदद करने के लिए नहीं बैठा हूं।” मंत्री जी फरार बताए जा रहे हैं और पुलिस उन्हें ढूंढती फिर रही है। एक मंत्री, जिस पर देश का कानून बनाने और उसे लागू कराने का दायित्व है, हत्या के मामले में फंसता है, उसके खिलाफ नामजद रपट दर्ज होती है, अदालत में पेशी दर पेशी लगती है, वह अदालत में हाजिर ही नहीं होता। लेकिन जिस निर्दोष व्यक्ति की हत्या होती है उसके घर वाले दर-दर भटकते रहते हैं। एक ऐसा व्यक्ति, जिसके पास पैसा है, माफिया है, राजनीति की ताकत है, वोट बैंक है, उसको घमंड हो जाता है कि देश का कानून उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकता! … शिबू सोरेन तो उनमें से एक हैं जो पाताल तक पहुंची इस विकृति का एक छोटा-सा उदाहरण मात्र हैं। यहां जिन मंत्रियों एवं सांसदों के बारे में हम बता रहे हैं, उन्हें माननीय मंत्री महोदय, माननीय सांसद महोदय कहा जाता है और अपना-अपना काम निकलवाने के लिए भीड़ बनाकर आने वाले लोग हर रोज उनके चरण वंदन करते हैं। कितने साफ हैं इनके दामन आप स्वयं देख लीजिए-

प्रस्तुति : जितेन्द्र तिवारी

दागी सरकार के दागी मंत्री

शिबू सोरेन का आपराधिक रिकार्ड

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष और केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री शिबू सोरेन के विरुद्ध सर्वाधिक मामले दर्ज हैं। 59 वर्षीय सोरेन के विरुद्ध हत्या के दो मामले, हत्या के प्रयास, चोट पहुंचाने, बंधक बनाकर रखने, हमला करके शांति भंग करने, आपराधिक षडंत्र रचने तथा हत्या के उद्देश्य से अपहरण करने के मामलों पर अनेक न्यायालयों में मुकदमे चल रहे हैं। नरसिंह राव सरकार बचाने के लिए घूस लेने के आरोपों के चलते चर्चा में आए सोरेन पर अपने निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या का मामला भी चल रहा है। इस मामले में सोरेन जमानत पर हैं। चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी पर बंदूक तानने तथा सरकारी कर्मचारियों से ठेकेदारी और रंगदारी वसूलने के भी आरोप हैं। जिस चीरुडीह मामले में गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद शिबू सोरेन फरार हुए, वह मामला 1975 का है। 23 जनवरी, 1975 को बिहार के दुमका जिले (अब झारखण्ड का जामताड़ा जिला) के चीरुडीह गांव में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 18 घरों को आग लगा दी गई थी। इस मामले में 69 लोगों को अभियुक्त बनाया गया। सोरेन इस मामले में दो बार अंतरिम जमानत ले चुके हैं। 26 दिसम्बर, 1979 को दाखिल हुए आरोपपत्र के बाद से इस मामले में आरोपित 69 में से 25 अभियुक्तों और 40 में से 20 गवाहों की मृत्यु हो चुकी है। 2002 में मामले को तेजी से निपटाने के लिए गठित अदालत ने अब शिबू सोरेन सहित 9 अन्य लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

लालू प्रसाद यादव, केन्द्रीय रेल मंत्री

केन्द्र सरकार में शामिल दागी मंत्रियों में सर्वाधिक 4 मंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के ही हैं। बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में मुख्य आरोपी लालू यादव पर भारतीय दण्ड संहिता की अनेक धाराओं के अन्तर्गत मुकदमे चल रहे हैं। यह सब तब शुरू हुआ जब केन्द्र में लालू प्रसाद यादव के समर्थन वाली संयुक्त मोर्चा की सरकार थी और श्री एच.डी. देवगौड़ा और बाद में श्री इंदर कुमार गुजराल प्रधानमंत्री थे। चारों तरफ से शिकंजा कसा और गिरफ्तारी की नौबत आयी तो बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अपनी पत्नी को वहां बिठाया। दो बार जेल गए, वहीं से सरकार चलायी और भ्रष्टाचार के आरोप में जमानत पर जेल से बाहर आए। विडम्बना यह कि जिन आरोपों के चलते लालू यादव को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था, उनसे बरी हुए बिना ही वे अब केन्द्र में मंत्री हैं।आरोप- चारा घोटाले से सम्बंधित भ्रष्टाचार के आरोप, आरोप निर्धारित, अनेक मामलों में गवाहियां पूर्ण, मामला विचाराधीन। जिन धाराओं के अंतर्गत मुकदमे चल रहे हैं, वे हैं – 420, 409, 467, 468, 471 एवं 477 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा।

मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, केन्द्रीय कृषि, खाद्य एवं आपूर्ति राज्यमंत्री

बिहार के सीमावर्ती जिले किशनगंज से चुने गए तस्लीमुद्दीन पर हत्या के प्रयास, जबरन धन वसूली (रंगदारी) के अनेक मामले हैं। 1996 में श्री एच.डी. देवगौड़ा सरकार में तस्लीमुद्दीन गृह राज्य मंत्री बनाए गए थे। पर तत्कालीन गृहमंत्री इन्द्रजीत गुप्त के विरोध के बाद तस्लीमुद्दीन को त्यागपत्र देना पड़ा था। आज वे फिर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में हैं।

आरोप- हत्या का प्रयास, जबरन धन वसूली, धोखाधड़ी, गैरकानूनी हथियार रखना, सरकारी काम में बाधा डालना आदि।

जिन धाराओं के अंतर्गत मुकदमे चल रहे हैं- 341, 342, 323, 307, 504, 506, 379, 147, 353, 409, 420, 467, 468, 471, 120 (बी), 447, 384, 347।

जयप्रकाश नारायण यादव, केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री

बिहार की राबड़ी देवी सरकार में जयप्रकाश यादव लघु सिंचाई मंत्री थे। तब सतर्कता विभाग ने यह आरोप निर्धारित किया कि इससे पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहते हुए जयप्रकाश यादव ने कटिहार के एक कालेज को मान्यता दी, जो पूरी तरह नियम विरुद्ध था। इस कालेज ने फर्जी उपाधियां बांटकर लाखों रुपए कमाए। इसी अरोप में उन्हें जेल जाना पड़ा। जेल से वापसी के बाद राज्य सरकार ने तो पुन: मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया, पर केन्द्र में मंत्री बन गए।

आरोप- फर्जी उपाधि बांटने वाले कटिहार के एक कालेज को मान्यता दी, धन कमाया।

जिन धाराओं के अंतर्गत मुकदमे चल रहे हैं – भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1), 13(2), सी.बी.आई. के विशेष मामले 5(एस)/96, तथा भा.दं.सं. की धारा 420, 465, 467, 471, 477ए, 109 तथा 120 बी।

एम.ए.ए. फातमी, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री

जब फातमी दरभंगा के सांसद थे, तब 1998 में दरभंगा की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्रीमती शोभा अहोटकर ने अपहरण के एक मामले में जांच के बाद अपनी रपट में कहा कि फातमी के सम्बंध अपहरणकर्ताओं के गिरोह से हैं। अपहरणकर्ताओं में से एक फजलुर रहमान एक कुख्यात अपराधी है, जो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध करता है। उसके सम्बंध इरफान गोगा और उ.प्र. के बब्लू श्रीवास्तव गिरोह से भी हैं। पर राजनीतिक दबाव के चलते कोई कार्यवाही नहीं हुई और श्रीमती शोभा अहोटकर का स्थानान्तरण कर दिया गया। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

हर दल में हैं दागदार

प्रभुनाथ सिंह, जद (ए.)

महाराजगंज (बिहार) से जनता दल (एकीकृत) के सांसद एवं पार्टी के प्रवक्ता प्रभुनाथ सिंह पर भारतीय दण्ड संहिता तथा शस्त्र कानून के तहत अलग-अलग अदालतों में मामले लंबित हैं। उन पर मशरख के विधायक अशोक सिंह की हत्या में लिप्त होने का भी आरोप है।

अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव, राजद

रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव पर दिल्ली, पटना और गोपालगंज के न्यायालयों में अनेक मामले लम्बित हैं।

सूरजभान, लोजपा

बलिया से चुने गए लोक जनशक्ति पार्टी के बाहुबली सांसद सूरजभान पर माकपा के एक विधायक की हत्या सहित सूरजभान पर 17 मामले लम्बित हैं।

मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजद

बिहार में आतंक का पर्याय बन चुके मोहम्मद शहाबुद्दीन के बारे में बिहार पुलिस के पूर्व महानिदेशक ने टिप्पणी की थी कि इस अपराधी के आई.एस. आई. से सम्बंध हैं। लालू यादव को यह सचाई बर्दाश्त नहीं हुई। पुलिस महानिदेशक को जाना पड़ा और शहाबुद्दीन सीवान से सांसद चुने जाने के बावजूद संसद भवन की बजाय जेल पहुंच गए।

उमाकांत व रमाकांत यादव, बसपा

हत्या, फिरौती, अपहरण जैसे मामलों में कुख्यात उमाकांत और रमाकांत यादव गिरोह में अन्य 8 सदस्य भी हैं। इन दोनों भाइयों पर बिजली विभाग के एक अभियंता को पेड़ से लटकाकर पीट-पीट कर मार डालने के अलावा एक ही परिवार के तीन भाइयों को जिंदा दफन कर देने का आरोप है। रमाकान्त पर 1987 और 1995 में गैंगस्टर और 1997 में गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई हो चुकी है। उमाकांत पर 1987 तथा 1993 में गैंगस्टर एक्ट लगा।

मायावती, बसपा

बहुजन समाजपार्टी की प्रमुख मायावती पर पम्प घोटाले के आरोप पहले से ही हैं। अब ताज कारिडोर मामले के साथ आय से अधिक सम्पत्ति के मामले की जांच गुप्तचर शाखा (सी.बी.आई.) कर रही है।

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