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निर्मलतीर का चमत्कारदडा. रवीन्द्र अग्रवालवर्षों से लोग पेयजल की समस्या से पीड़ित थे। सरकार से कई बार गुहार की परन्तु बहरे प्रशासन के सामने सब बेकार। लेकिन प्रेरणा, एकता और इच्छाशक्ति का चमत्कार देख कर प्रशासन भी चमत्कृत है। जनशक्ति के सहयोग से मात्र 21 दिन में, वर्षों से चले आ रहे जल संकट की समस्या से गांव वालों को मुक्ति मिल गयी । यह सब हुआ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के गोकुलवाडी गांव में स्वाध्याय परिवार की प्रेरणा से।स्वाध्याय परिवार की निर्मलतीर योजना के अन्तर्गत गांव के सभी लोगों ने मिलकर छोटा बांध व सड़क बना डाली। यह कार्य यदि सरकारी योजना से हुआ होता तो कम से कम 56 लाख रुपए का खर्च आ जाता। परन्तु गांव के लोगों की एकता और श्रम शक्ति ने यह काम बिना किसी खर्च के कर दिखाया। इस कार्य में गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने सहयोग दिया। गांव के 150 लोगों ने रोज शाम को दो घंटे इस काम के लिए लगाए। गांव की संयुक्त श्रमशक्ति का यह सुफल मिला कि पेयजल समस्या का निदान हुआ और अब सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।गोकुलवाडी के सरपंच का कहना है कि इस बांध के बनने से काफी समय से चली आ रही समस्या से गांव को मुक्ति मिल सकेगी। वर्षा में इस बांध में पर्याप्त पानी एकत्र होने की आशा है।स्वाध्याय परिवार की प्रेरणा से क्षेत्र में इस तरह के 81 निर्माण कार्य हो चुके हैं। प्रशासन भी इस सबको देखकर जागा है। उसने भी जनसमस्याओं के समाधान के लिए जनसहयोग लेने का निश्चय किया है। विकास कार्यों के लिए संसाधनों की कमी की बात करने वालों के लिए निर्मलतीर योजना एक उदाहरण है। आवश्यकता जनसमस्याओं को समझने और जनसहयोग के बल पर उनका समाधान ढूंढने की है। मन-निर्मल हो तो निरर्थक हो रही जनशक्ति का उपयोग गांव, देश और समाज के निर्माण में किया जा सकता है। निर्मलतीर योजना इस बात का प्रमाण है कि देश में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत है तो बस जन-जन को प्रेरित कर उन्हें एकता के सूत्र में बांधने और राष्ट्र के निर्माण के लिए खड़ा करने की।13
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