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सिक्किम के सीमा विवाद से अलग होने का अच्छा संकेत मिला-मेजर जनरल (से.नि.) अफसिर करीम,रक्षा विशेषज्ञप्रधानमंत्री वाजपेयी की चीन यात्रा एक अर्थ में कुछ कामयाब कही जा सकती है। हालांकि उसमें सीमा विवाद पर कोई चर्चा नहीं की गई। तिब्बत का प्रश्न सीमा से जुड़ा नहीं था। तिब्बत को चीन के एक हिस्से के रूप में मान्यता देना एक नया कदम कहा जाएगा। मेरी दृष्टि में तो यह कदम चीन से संबंध बढ़ाने के लिए ही उठाया गया है। लेकिन जिस समय सीमा का मुद्दा चर्चा में उठेगा तब सिक्किम पर विस्तृत बात होगी। अभी संयुक्त घोषणापत्र में सीमा व्यापार के संदर्भ में सहमति हुई है, जो नाथुला के रास्ते से किया जाना तय हुआ है। भौगोलिक दृष्टि से नाथुला होकर गंगतोक आने पर छंगु नामक स्थान आता है, वहां थोड़ी-बहुत आबादी भी है। सीमा व्यापार के लिए यही स्थान तय किया गया है। चीनी नाथुला के रास्ते भारत आएंगे। अभी चीनियों की बातों से जाहिर होता है कि जब वे सीमा संबंधी वार्ता करेंगे तब सिक्किम को मान्यता दे देंगे। यह आगे की ओर एक कदम कहा जा सकता है। संभव है, वे सिक्किम पर दावा छोड़ने से पहले उसके स्थान पर कोई मांग कर दें, अक्साईचीन में ही सही। लेकिन अभी चीन ने इशारा दे दिया है कि सिक्किम पर अधिक विवाद नहीं होगा।नाथुला से व्यापार खोलने का चीन का इसलिए भी अधिक आग्रह था, क्योंकि सिक्किम के पूर्व में चुंबी घाटी से एक पक्की सड़क भारत की ओर आ रही है। वह मार्ग अन्य मार्गों से जुड़ा हुआ भी है। कल को कोई अप्रिय परिस्थिति पैदा होती है तो चीनी सिक्किम के जरिए जाने की बजाय चुंबी घाटी से इसी सड़क से होते हुए उत्तरी बंगाल तक पहुंच सकते हैं। चीन की दृष्टि से व्यापार के लिए यह मार्ग अत्यंत सुगम है। लड़ाई होने की सूरत में चीन इस मार्ग का दुरुपयोग कर सकता है। हालांकि भारतीय रक्षा पंक्ति वहां हर समय तैनात है। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय चीन ने उस स्थान पर गोलीबारी की थी जो नाथुला सीमा पर है, जहां मात्र 200 मीटर के फासले पर भारतीय और चीनी रक्षा पंक्ति आमने-सामने है। “65 में हमने वहां जब कंटीली बाड़ लगाने की कोशिश की थी तब उन्होंने गोलीबारी करके बाढ़ नहीं लगाने दी थी। चीन ने अभी सहमति जताई है कि सीमाएं शांतिपूर्ण रहेंगी। हालांकि सही स्थिति तो आगे चलकर स्पष्ट होगी। सीमा विवाद पर वार्ता एक-दो बैठकों में तो निर्णय पर नहीं पहुंचेगी। चीन इस तरह के मामलों में तेजी से कदम नहीं बढ़ाता।भूराजनीतिक दृष्टि से देखें तो अमरीका पाकिस्तान में अपने पांव पसारे हुए है। पाकिस्तान भी अमरीका से बड़ी मीठी-मीठी बातें करने में लगा है। इसलिए निश्चित ही चीन पाकिस्तान को दिखाना चाहता है कि अगर पाकिस्तान अमरीका की तरफ ज्यादा झुकता है तो वह भारत से संबंध अधिक गहरे कर सकता है।इस यात्रा में, मेरे अनुसार, दोनों पक्षों ने बहुत बड़ी उपलब्धियां अर्जित नहीं की हैं। भारत को सीमा व्यापार का एक तीसरा मार्ग मिल गया। सिक्किम को भी चीन की मान्यता मिल जाने के आसार अच्छे हुए हैं। चीन को भारत से व्यापार में बहुत लाभ दिखाई दे रहा है, इसलिए उसने अपने सबसे नजदीक का मार्ग खोला है। पूरी यात्रा में भारत ने जो प्रयास किए हैं, उसमें काफी कामयाबी दिखाई दी है। द(वार्ताधारित)31
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