कही-अनकही औरंगजेब रोड की शान में
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कही-अनकही औरंगजेब रोड की शान में

by
May 10, 2003, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 10 May 2003 00:00:00

द दीनानाथ मिश्र

दिल्ली पर मुझे गर्व है। दिल्लीवासी होकर इसलिए गर्व नहीं है कि दिल्ली हरी-भरी है, विशाल है, यहां राजघाट, इंदिरा गांधी विमान पत्तन है, राजीव चौक है, सब्जी मंडी है, पराठे वाली गली है, राम कृष्ण पुरम है, अरविन्द मार्ग है। इसलिए भी गर्व नहीं है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दो करोड़ लोग रहते हैं। मेरे गौरवान्वित होने का तो बस एक ही कारण है कि यहां औरंगजेब रोड है। आप कहेंगे कि यहां बाबर, हुमायूं, जहांगीर, अकबर, शाहजहां वगैरह के नाम पर भी रोड हैं। इन नामों पर सड़क होने का कोई खास मतलब नहीं। वे शासक थे उनमें से एक आक्रमणकारी भी था। उसने मुगल खानदान के शासन की नींव रखी थी मगर औरंगजेब की बात ही कुछ और है। वह श्रेष्ठ कोटि का ओसामा-बिन-लादेन था। तालिबानों से पहले का तालिबान। उसकी क्रूरता की नफासत लाशानी है। उसने अपने परिवारजनों के साथ भी खूबसूरती के साथ बेमिसाल क्रूरता निभाई।

मेरा अपना ख्याल है कि तलवार के बल पर धर्मान्तरण करने में उसने जो रिकार्ड बनाया है, किसी दूसरे बादशाह ने नहीं बनाया। आज कश्मीर में जो धर्मान्तरित गूजर राजपूत और दूसरी जातियां रहती हैं, वे सब उसकी तलवार के बनाए मुसलमान हैं। उसने हिन्दू बने रहने का जुर्म करने वालों पर जजिया लगा दिया। मंदिरों पर तो वह बेतरह मेहरबान था। काशी और मथुरा के मंदिर पर बनी मस्जिदें उसी की मेहरबानी है। वह दयालु शासक था। उसने अपने बाप की जान ही नहीं बख्शी बल्कि कैदखाने में रहने की छूट भी दे दी थी। उससे बस एक चूक हुई। संगीत को उसने दस फीट की कब्रा खुदवाकर दफना दिया। काश वो चालीस फीट के गड्ढे में दफन करता तो आज संगीत ने इतना उत्पात न मचाया होता। वह अपने खानदान का सबसे महान हिन्दू दमनकारी था। औरंगजेब को ही गौरवान्वित करने के लिए हमने आजादी के बाद औरंगजेब रोड का नामकरण किया। मुझे इस पर गर्व है। यह तथ्य हमारे सेकुलरवाद का सबसे बड़ा प्रमाण है। मुगल शासकों में दो तरह के शासक थे। एक तो अकबरवादी और दूसरे औरंगजेबवादी। मुसलमान भी दो तरह के होते हैं। अकबरवादी मुसलमान शांतिपूर्वक साथ-साथ रहना जानते हैं। लेकिन औरंगजेबवादी मुसलमानों को साथ-साथ रहना गवारा नहीं रहा है। पाकिस्तान इसी का प्रमाण है। आज भी औरंगजेबवादी मुसलमान केवल कश्मीर में ही नहीं, देश के दूसरे भागों में भी हैं। कश्मीर में अकबरवादियों पर वे कई बार भारी पड़ते हैं। बाकी जगह वे भारी नहीं पड़ते। सिर्फ जहां तहां दंगाई बन जाते हैं। मुझे औरंगजेब रोड पर फक्र इसलिए है, क्योंकि इस नामकरण से हम देशभर में औरंगजेबवादी मुसलमानों को प्रेरणा प्रदान करते हैं। औरंगजेब मार्ग पर चलने की छूट देते हैं। यहीं कारण है कि कुछ लोग धड़ल्ले से औरंगजेब पथ पर चल रहे हैं। यह हमारे सेकुलरवाद के विस्तार की सीमा है। हिन्दू द्रोह से लेकर हिन्दू दमन तक, सब कार्यकलापों को औरंगजेब रोड मान्यता प्रदान करता है। भला ऐसे औरंगजेब रोड पर मुझे गर्व क्यों नहीं होगा? उस तरफ से आते-जाते मैं इसीलिए औरंगजेब रोड को नमन करना नहीं भूलता।

औरंगजेब रोड का एक सिरा जनपथ से भी जुड़ता है। जनता के इस पथ को किसी गुणी ने ही औरंगजेब रोड से जोड़ा होगा। ताकि औरंगजेबवादियों को जनता का बेफिक्र समर्थन मिल जाए। जब औरंगजेब रोड स्वीकार हो सकता है तो औरंगजेबी भी स्वीकार हो सकते हैं। औरंगजेबवादी भी स्वीकार्य हो सकते हैं। हो क्या सकते हैं? हो रहे हैं। यह हमारी सहिष्णुता की पराकाष्ठा है। कुछ लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति होती है। कुछ समाजों में भी होती है। कुछ कौमों में भी होती है। कुछ सभ्यताओं में भी होती है। हम किस्तों में आत्महत्या कर ही रहे हैं। इसीलिए मैं अपनी सहिष्णुता पर गर्व करता हूं। अपने सेकुलरवाद पर गर्व करता हूं। अपने औरंगजेब रोड पर गर्व करता हूं। बल्कि हमारा तो इरादा है कि हम इस पर गर्व करते रहें इतना गर्व करें कि किस्तों में होने वाली आत्महत्या की आखिरी किस्त भी चुका दें। शर्म से डूब मरने के बजाय गर्व से डूब मरना अच्छा है।

15

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies