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राजस्थान सरकार द्वारा डा. प्रवीण भाई तोगड़िया को गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाए जाने के संदर्भ में गत 19 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी.सुदर्शन ने एक वक्तव्य जारी किया। यहां प्रस्तुत हैं उसके संपादित अंश-राजस्थान सरकार द्वारा श्री प्रवीण तोगड़िया को गिरफ्तार कर उनके साथ अनुचित व अभद्र व्यवहार करने के पीछे एक राजनीतिक षड्यंत्र है। पहले उन्हें त्रिशूल बांटने के विरुद्ध राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह प्रतिबंध ही अपने आपमें असंवैधानिक तथा गैर-कानूनी था। वास्तव में उनको तुरन्त जमानत पर रिहा करना चाहिए था, मगर श्री तोगड़िया को रिहा न करने के लिए राज्य सरकार ने अनैतिक तथा विद्वेषपूर्ण रवैया अपनाते हुए उनको जमानत न देने के षड्यंत्र के तहत उनके ऊपर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 121-ए के अन्तर्गत राजद्रोह का आरोप लगाया। यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो सरकार अपने संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र में आतंकवादी तथा आई.एस.आई. एजेन्टों की गतिविधियों पर काबू पाने में हमेशा विफल रही, वही राज्य सरकार प्रवीणभाई जैसे प्रखर देशभक्तों को देशद्रोही करार देने में किंचित भी हिचकिचाती नहीं है।यह बात स्पष्ट है कि त्रिशूल तो एक प्रतीक मात्र है और शस्त्र अधिनियम के अन्तर्गत भी नहीं आता। त्रिशूल बांटना देशद्रोह कतई नहीं हो सकता। एक-दो दिन के अन्दर ही देशद्रोह का आरोप वापस लेकर सरकार ने अपने कुटिल उद्देश्यों को उजागर कर दिया है। श्री तोगड़िया तथा उनके साथ गिरफ्तार किए गए लोगों को जमानत देने की प्रक्रिया में राज्य सरकार ने कई अड़चनें पैदा कीं। राज्य सरकार के इन सारे प्रयत्नों से यह बात स्पष्ट होती है कि सारे देश में, विशेषकर राजस्थान में कांग्रेस हिन्दू जागरण की लहर को देख अत्यन्त परेशान है और हताशा में गैर-कानूनी तथा भड़काऊ कदम उठा रही है। यह भी संभव है कि राज्य सरकार विकास एवं राजनीतिक क्षेत्रों में अपनी घोर विफलताओं की ओर से लोगों का ध्यान हटाने के लिए यह सारे कदम उठा रही हो।19
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