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-विनोद मेहता, सम्पादक, आऊ टलुक (अंग्रेजी)वर्षों बाद 2003 में देखने को मिला कि देश के आम आदमी की सोच सकारात्मक हुई है और नैतिक उत्थान हुआ है। मैं तो बराबर साल के अन्त में वार्षिक रपट लिखता रहता हूं। इस बार भी मैं चमत्कारिक भारत के रूप में अपनी पत्रिका में
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