दिंनाक: 08 Mar 2003 00:00:00 |
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साक्षर गांव में सैकड़ों निरक्षरचाहे मध्य प्रदेश में चल रहा साक्षरता अभियान हो, सर्वशिक्षा अभियान या फिर पलना-बढ़ना संघ। प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने केन्द्रीय मानव संसाधन विभाग द्वारा गत 10 वर्षों से चरणबद्ध तरीके से चलाए जा रहे इन अभियानों का उपयोग भी अपनी जेबें भरने में किया है। आंकड़ों का खेल दिखाकर प्रदेश में साक्षरता औसत की दर 64 प्रतिशत दिखा तो दी गई है लेकिन वास्तविकता यह है कि खजूरिया-मोचखिड़ी जैसे सबसे साक्षर गांवों में आज भी सैकड़ों लोग अंगूठा लगाकर सरकारी दावों की पोल खोल रहे हैं।इसी वर्ष, सर्वशिक्षा अभियान के अस्तित्व में आने से पूर्व प्रदेश के करीब 54 हजार पलना-बढ़ना संघों को 45 करोड़ रुपए से अधिक बांटे गए थे। बालकों के लिए खेल, संगीत आदि की सामग्री हेतु प्रत्येक पलना-बढ़ना संघ के अध्यापक को 9 हजार रुपए दिए गए। किन्तु इस राशि का खूब दुरुपयोग हुआ। बाजार में जिस रेडियो की कीमत मात्र 250 रुपए है, वही रेडियो दलालों के माध्यम से 600 रुपए में खरीदा गया। इसी तरह बाजार में जो हारमोनियम 1100 रुपए में आसानी से उपलब्ध है, उनके लिए 2700 रुपए अदा किए गए।लगभग 80 प्रतिशत अध्यापकों ने नकली बिल देकर सरकारी खानापूर्ति कर डाली। बाकियों ने खरीदी गई सामग्री पर खुलकर 25-30 प्रतिशत कमीशन दिया। सामग्री भी घटिया और कामचलाऊ। हारमोनियम ऐसे कि जिनमें सुरों के नाम पर सिर्फ शोर सुनाई देता है, रेडियो ऐसे जो बजते ही नहीं हैं और अलमारियां ऐसी जिन्हें इस्तेमाल करने से पहले ही उनके अस्थि-पंजर नजर आने लगे हैं। अकेले राजगढ़ क्षेत्र में ही विभिन्न पलना-बढ़ना संघों द्वारा खरीदे गए रेडियो, हारमोनियम, अलमारियां आदि के बिलों की कीमत 1 करोड़, 32 लाख रुपए बन गई।…लेकिन जाएंगे रंगूनचन्दन की तस्करी केवल तमिलनाडु की चिंता का विषय नहीं है। चंदन की तस्करी का एक नया मार्ग गत दिनों तब प्रकाश में आया जब गुवाहाटी में लगभग छह करोड़ रुपए मूल्य के चार ट्रक चन्दन की लकड़ी जब्त की गई। ये लकड़ियां तमिलनाडु के कांचीपुरम से लाई गईं थीं और इन्हें म्यामांर ले जाने की तैयारी थी जबकि वन अधिकारियों ने जो कागजात जब्त किए, उनके अनुसार लकड़ियां केवल मणिपुर के मोहरेह नामक स्थान तक ले जाई जा सकती थीं। उस दल के एक सदस्य पी. राजकुमार ने कहा कि उनका मालिक रंगून में रहता है और ये लकड़ियां वे वहीं ले जा रहे थे। जब्त लकड़ियों में लाल और सफेद रंग की लकड़ियां हैं। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में लाल चन्दन की लकड़ी साढ़े छह हजार और सफेद चन्दन एक हजार रुपए प्रति कि.ग्रा. की दर से बिकती है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि इन लकड़ियों को म्यांमार के रास्ते होकर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों विशेषत: अरब देशों को भेजा जाता है। सूत्रों के अनुसार भारत से चंदन की लकड़ियों समेत अन्यान्य बहुमूल्य वस्तुओं की तस्करी के लिए पूर्वाञ्चल एक सुरक्षित गलियारा बनता जा रहा है।मार लगी तो सच्चाई निकलीबिहार में मुस्लिमों के कई ऐसे अन्तरप्रांतीय गिरोह हैं, जो लड़कियों विशेषकर गरीब हिन्दू लड़कियों को फांस कर उन्हें या तो वेश्यालयों में बेच देते हैं या फिर अय्याश मुस्लिमों को उपलब्ध कराते हैं। पिछले दिनों मोतिहारी जिले के तुरकौलिया थाने के एक गांव में ऐसे ही एक गिरोह को पुलिस ने धर दबोचा।गिरोह के तीन प्रमुख सदस्यों, मो. मुंवजीर आलम, मो. साबिर तथा मो. अलाउद्दीन को पकड़ने के बाद लड़कियों की खरीद-बिक्री से सम्बंधित कई बातें प्रकाश में आईं।जानकारी के अनुसार पिछले दिनों इसी थाने के मथुरापुर गांव की ज्ञानती देवी को इस गिरोह के सदस्यों ने अपने जाल में फंसाकर दिल्ली के लालबत्ती क्षेत्र में बेच दिया था। उसे बेचने के बाद ये लोग संग्रामपुर, जहां ज्ञानती की मां का घर है, पहुंचे। वहां उन लोगों ने ज्ञानती की मां से कहा ज्ञानती दिल्ली में नौकरी कर रही है और आपको तथा अपनी सहेलियों को भी दिल्ली बुलायी है। इनके झांसे में आकर ज्ञानती की मां और कुछ अन्य लड़कियां भी दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गईं। किन्तु इसी बीच कुछ ग्रामीणों को गिरोह के सदस्यों पर शंका हुई और उनसे पूछताछ की। पर सन्तोषजनक जवाब न देने पर ग्रामीणों ने इन तीनों की पिटाई शुरू कर दी और तब इनका भांडा फूटा। तीनों ने स्वीकार किया कि अब तक वे लोग अनेक हिन्दू लड़कियों को दिल्ली ले जाकर बेच चुके हैं।6
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