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गुजरात के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला ने कहा-

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Nov 8, 2002, 12:00 am IST
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दिंनाक: 08 Nov 2002 00:00:00

भाजपा को हराने का तरीका जानता हूंहाल ही में गुजरात के कांग्रेस पद अध्यक्ष पर नियुक्त श्री शंकर सिंह वाघेला का नाम राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा का विषय रहा है। तब भी जब हजूरिया-खजूरिया प्रकरण गर्माया था, और अब भी जब उनको कांग्रेस ने गुजरात प्रदेश का अध्यक्ष बना दिया। उनकी नियुक्ति चौंकाने वाली तो है ही, पर इस बात को सोचने पर भी विवश करती है कि इतने कम समय में कांग्रेस के भीतर उन्होंने यह स्थान कैसे बनाया, यह वि·श्वास कैसे अर्जित किया? ऐसे ही कई प्रश्नों पर पाञ्चजन्य की श्री वाघेला से बातचीत हुई। यहां प्रस्तुत हैं उनसे हुई वार्ता के मुख्य अंश:-दजितेन्द्र तिवारीथ्गुजरात के चुनावी महाभारत से ठीक पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आपकी नियुक्ति का क्या अर्थ निकाला जाए?दृ सब जानते हैं कि मैं भाजपा से कांग्रेस में गया हूं। इस समय पूरे देश में यदि पूर्ण बहुमत के साथ कहीं भाजपा की सरकार है तो वह गुजरात में है। इसलिए कांग्रेस हाईकमान ने सोचा होगा कि यदि गुजरात में भाजपा को परास्त करना है तो जो भाजपा की अन्दरूनी रणनीति भी जानता हो, यदि उसे जिम्मेदारी दी जाए तो हो सकता है हमारा बहुमत आए।थ्भाजपा से कांग्रेस में जाने के बावजूद इतने कम समय में आपने यह भरोसा कैसे जीता?दृ जब मैं भाजपा में था तब भी जो कुछ करता था, उस पर भाजपा को पूरा वि·श्वास था। सब जानते थे कि मेरी गतिविधियां दल के विरोध में नहीं होंगी। तब केशुभाई के सम्बंध में भी जो मैंने कहा था, वह सार्वजनिक रूप से कहा था। उनके 6 महीने के शासनकाल में मैंने यह समझ लिया था कि भाजपा को जब सत्ता मिलती है तो वह सिद्धांत को छोड़ देती है। हमने गांव-गांव जाकर भाजपा के लिए वोट मांगे थे और परिणाम यह निकला कि कार्यकर्ता वहीं रहे और दूसरे लोग सत्ता में बैठ कर आराम करने लगे। इन्हीं कुछ कारणों और विवादों के कारण मैंने भाजपा छोड़ी, अपनी पार्टी (राष्ट्रीय जनता पार्टी) बनायी। पर बाद में मुझे लगा कि अलग पार्टी बनाने से भाजपा को ही लाभ मिलना है इसलिए मैंने अपने दल का कांग्रेस में विलय कर दिया। अब मैं कांग्रेसी हूं तो मुझसे कभी कांग्रेस के साथ वि·श्वासघात नहीं होगा। मैं राजनीति छोड़ देना पसंद करूंगा, लेकिन विश्वासघात नहीं करूंगा।थ्आपने भाजपा के साथ क्या किया था?दृ भाजपा के साथ मैंने वि·श्वासघात नहीं किया था। तब मैंने खुलेआम कहा था कि केशुभाई , जब आप अमरीका से वापस आएंगे तब हो सकता है आप गुजरात के मुख्यमंत्री न रहें। शुरू से ही केशुभाई का यह रुख था कि गुजरात का मुख्यमंत्री मैं हूं, आप पूछने वाले कौन होते हैं। यही हमें दिखाना था कि अरे भाई, क्रिकेट टीम का कैप्टन एक होता है पर सारे खिलाड़ियों के संयुक्त प्रयास से ही तो टीम जीतती है।थ्कुछ लोग गुजरात को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला कहते हैं। अब वे ही कह रहे हैं कि इसीलिए कांग्रेस ने एक पूर्व हिन्दुत्ववादी नेता को अध्यक्ष बनाया, क्योंकि वहीआगामी चुनावों में उनकी नैय्या पार लगा सकता है।दृ यह कहना गलत है कि गुजरात हिन्दुत्व की प्रयोगशाला है। यह बात सही है कि वहां आध्यात्मिक विचारधारा का बहुत प्रभाव है। वहां मुरारी बापू, आसाराम बापू, स्वामिनारायण सम्प्रदाय, संत रविशंकर जी एवं पाण्डुरंग शास्त्री आठवाले जी आदि के कारण गुजराती समाज धार्मिक-आध्यात्मिक क्रियाकलापों में लग जाता है, लेकिन राजनीतिक रूप से किसी दल विशेष के साथ नहीं रहा। इस भ्रम में मत रहिए कि हिन्दुत्ववादी पार्टी होने के कारण भाजपा को वोट मिले, नहीं! गरीब, मध्यमवर्गीय तथा किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमने वातावरण तैयार किया था, उसी आधार पर भाजपा जीती। भाजपा दूसरी बार इसलिए जीती, क्योंकि लोगों को लगा कि मैंने जो किया वह ठीक नहीं किया।अर्थात् आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि आपने 1996 में भाजपा को तोड़ने का जो काम किया, उसे जनता ने स्वीकार नहीं किया?हां, लोगों ने यह पसंद नहीं किया कि आपने भाजपा को तोड़ा। पर मैंने जिस कारण से पार्टी को तोड़ा था, उसे भाजपा हाईकमान को ही समझने में साढ़े तीन वर्ष का समय लगा। आखिर पिछले दिनों केशुभाई को क्यों हटाया गया? उसके बाद मेरे नेतृत्व में जो सरकार एक वर्ष तक चली उसकी प्रशंसा अब हो रही है। पर तब लोगों ने उसकी प्रशंसा नहीं की। वे समझते थे कि मैंने भाजपा को तोड़कर गलत किया। लेकिन, अब मैं कांग्रेस में हूं। अब तो भाजपा को हराना ही लक्ष्य है। इस बात को लोगों ने समझा और मुझे समर्थन भी दिया। लोगों ने स्वीकार कर लिया कि अब मैं कांग्रेस का सिपाही हूं। तब मैंने भाजपा की विजय के लिए जिस तरह से काम किया, वही अब मैं कांग्रेस के लिए कर रहा हूं।थ्लोग नरेन्द्र मोदी को छोटे सरदार कहने लगे हैं। दूसरी तरफ आप होंगे, कैसा होगा यह मुकाबला?दृ सरदार कभी छोटे नहीं होते, सरदार सरदार हैं। इनकी सरदार पटेल से तुलना करना सरदार का अपमान है। छोटे सरदार कहलाने वाले को पता नहीं है कि सरदार क्या थे? जहां तक हिन्दुत्व की बात है तो उसके आधार पर तो हिन्दू महासभा का राज होता, रामराज्य परिषद् का राज्य होना चाहिए था, या फिर भारतीय जनसंघ का राज्य होता। पर इन दलों की हालत क्या है, यह सबको पता है। हिन्दू कोई भी हो, हरेक को शांति और सुरक्षा चाहिए। इन चुनावों में हम दंगामुक्त गुजरात के नारे को लेकर ही आगे बढ़ने वाले हैं, शांति प्रगति और सुरक्षा ही हमारी प्राथमिकता होगी।थ्पर लगभग 5 महीने तक साम्प्रदायिक दंगों की मार झेल चुके गुजरात में आपके ये मुद्दे कहां तक प्रभावी होंगे? या फिर मुद्दे कुछ और होंगे?दृहिन्दुत्व के मुद्दे का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। क्योंकि; फिर मैं कौन हूं? अमर सिंह चौधरी कौन हैं? … यानी लोगों को मूर्ख बनाने के लिए भाजपा हिन्दुत्व की बात करती है। ये राम के सेवक हैं क्या? जब केशुभाई हमारे मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने आह्वान किया कि घर में 2 गाय रखिए। मैंने उस दिन से 20 गाय रखी हैं, अब आप देखिए भाजपा के कितने वरिष्ठ नेता अपने घर में गाय रखते हैं? अयोध्या में जो शिलादान का नाटक किया, वह शिलादान इनके लिए सत्ता की सीढ़ी है। ये धर्म को मानने वाले लोग नहीं है, मैं जानता हूं। इन्होंने धर्म के नाम पर करोड़ों रुपए इकट्ठे किए हैं, लोगों को बेवकूफ बनाया है। साढ़े चार साल तक आपने मंदिर क्यों नहीं बनाया? जनता को बेवकूफ बनाने के लिए घोषणापत्र में राम मंदिर का मुद्दा क्यों रखा था? धारा 370, समान नागरिक संहिता के मुद्दे क्यों लाए थे? ये स्वदेशी की बात करते हैं, कहां हैं स्वदेशी, कितने मंत्रियों के चश्मे विदेशी हैं? घड़ियां, जूते कहां के पहनते हैं? हिन्दी की बात करने वाले कहां हैं?हिन्दू-मुस्लिम झगड़ा करके किसी का पेट नहीं भरता, यह गुजरात समझता है। लोग तंग आ चुके हैं, धंधे चौपट हो गए हैं।थ्आपने खुद कहा था कि आप प्रारंभ से ही संघ से जुड़े रहे हैं। कहा जा रहा है कि अब कांग्रेस वालों को भी संघ वाले की जरूरत पड़ी। आपका क्या कहना है?दृ यह रहस्य नहीं, खुली सचाई है कि मैं रा.स्व.संघ से राजनीति में आया हूं। संघ से जनसंघ, जनता पार्टी फिर भाजपा, अर्थात् मैंने संघ से सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया है। जब मैं कांग्रेस में गया तब सबको पता था कि यह संघ की छापवाला आदमी है। लेकिन भाजपा छोड़ने के बाद गोधरा चुनाव में मुझे हराने में संघ परिवार की जो भूमिका रही, उससे मुझे ठेस लगी। तब संघ का कोई भी समझदार आदमी बीच में नहीं आया कि तुम जिस डाली पर खड़े हो, उसे ही काट रहे हो, यह पागलपन मत करो। लेकिन अब जिस संघ का मेरे प्रति कोई प्रेम नहीं है, मेरा प्रेम कैसे वहां रहेगा? संघ के लोग कहते हैं कि हमारा राजनीति से कोई सम्बंध नहीं है, सम्बंध है। आपका हिन्दू से सम्बंध नहीं है। आपका मोहरबंद भाजपा से सम्बंध है। शंकर सिंह वाघेला यदि हिन्दू है तो कल सार्वजनिक रूप से कहिए कि संघ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला का समर्थन करेगा, वह हमारा आदमी है। और वि·श्व हिन्दू परिषद् ने मुझे हराने के लिए बनावटी साधु-संतों को भेजा। मैंने विहिप का क्या बिगाड़ा था? विहिप तो हिन्दुओं का संगठन है न, तो हम कौन हैं, माफ कीजिएगा, आपके लिए हिन्दू-हिन्दू में भी अंतर है। भाजपा वाला हिन्दू आपका हिन्दू है, गैर भाजपाई हिन्दू आपके लिए हिन्दू नहीं है। डा. हेडगेवार जी भी कांग्रेस के साथ थे, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी पं. जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमण्डल में थे। फिर हमसे क्यों कतराते हो?21

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