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द रंजना अग्रवालभीड़ का साथ निभाने की जरूरत क्या है?लोग पत्थर हैं, मनाने की जरूरत क्या है?अपने कदमों पे भरोसा तो करो ऐ हमदम,साथ चलने को जमाने की जरूरत क्या है?आओ हम तल्ख हकीकत से निभाना सीखें,यूं हकीकत को भुलाने की जरूरत क्या है?बढ़ के साहिल को भी आईना दिखा दें आओ,इस कदर आंख चुराने की जरूरत क्या है?जिन्दगी अपनी, कदम अपने, हैं मंजिल अपनी,राह चलने को बहाने की जरूरत क्या है?29
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