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पाञ्चजन्य

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Sep 6, 2002, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 06 Sep 2002 00:00:00

50 वर्ष पहले थ् वर्ष 7, अंक 37 थ् चैत्र शुक्ल 2, सं. 2011 वि., 5 अप्रैल,1954 थ् मूल्य 3 आनेथ् सम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्रथ् प्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, सदर बाजार, लखनऊफ्रेंच बस्तियों के आन्दोलन से गोआ में हलचलसरकारी रुख पर पुनर्विचार संभव(विशेष प्रतिनिधि द्वारा)बम्बई (विमान से) फ्रेंच बस्तियों का जनमत संग्रह के बिना भारत में विलय करने के लिए चलाए गए आंदोलन और उसके लिए भारत सरकार की कटिबद्धता के समाचारों से गोआ के अधिकारी काफी चिंतित हो उठे हैं और उन्हें यह प्रतीत होने लगा है कि अब अधिक दिनों तक भारत की उपेक्षा करने का रुख नहीं बरता जा सकेगा। आन्दोलन के कारण गोआ की जनता में भी पर्याप्त उत्तेजना फैल चुकी है और यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि उसका क्षोभ भी अब किसी न किसी रूप में शीघ्र ही प्रकट होना चाहेगा।पिछले साढ़े चार सौ वर्षों से राजनीतिक और शासकीय दृष्टि से गोआ का जीवन बिल्कुल जहां का तहां स्थिर रहा है। परन्तु अब ऐसा अनुमान है कि उसमें कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य होंगे।ये परिवर्तन क्या और किस प्रकार होंगे, इस सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न मत प्रकट किए जा रहे हैं परन्तु जिस बात पर सभी लोग प्राय: एकमत हैं, वह यह है कि गोआ आदि पुर्तगाली बस्तियों के आन्दोलन को फ्रेंच बस्तियों के आन्दोलन की स्थिति तक ले जाने के लिए शीत युद्ध के काल में से गुजरना होगा।*  *  *बम-बम-बमकुछ दिन पूर्व यह समाचार प्रकाशित हुआ था कि सोवियत रूस ने हाइड्रोजन बम का निर्माण तथा प्रयोग सफलतापूर्वक कर लिया है। अब अमरीका ने भी बिकनी में दो प्रयोग करके संसार को जता दिया है कि हमने भी महान शक्तिशाली हाइड्रोजन बम तैयार कर लिया है। बमों के इन विस्फोटों द्वारा दुर्जय पाशविकता की दौड़ में ये दोनों राष्ट्र एक-दूसरे को पछाड़ना चाहते हैं।हाइड्रोजन बम के रूसी प्रयोग के परिणाम सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं किए गए थे। परन्तु अमरीकी प्रयोग के परिणाम प्रकाशित किए गए हैं तथा उन पर वैज्ञानिकों से लेकर राजनीतिज्ञ तक सभी विचार करने लग गए हैं। हाइड्रोजन बम ने बिकनी की भूमि को उतना नहीं हिलाया होगा, जितना उसके परिणामों ने लोक मन को हिला दिया है।शांतिप्रेमी जनसाधारण यदि इन परिणामों को पढ़कर कांप उठे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। ब्रिटेन, जापान और भारत से यदि इनके विरुद्ध आवाज उठे, तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं। यह बम विस्फोट इतना प्रबल था कि इसकी शक्ति नापने के लिए बनाए गए यंत्र ही टूट गए। सब अणु-विशेषज्ञों के अनुमान उसके सामने स्तब्ध हो रहे हैं। अणु बम की अपेक्षा कम से कम 250 गुनी शक्ति से यह हाइड्रोजन बम फूटा। अनेक वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि यह शक्ति 250 गुनी, 500 या 700 गुनी तक थी। (सम्पादकीय)*  *  *पाकिस्तान अमरीकी कूटनीति के चंगुल मेंकिसी पत्रकार ने कहा है कि पाकिस्तान इस समय ज्वालामुखी के मुख पर बैठा हुआ है। पता नहीं, यह ज्वालामुखी किस समय फूट पड़े और पाकिस्तान को बुरी तरह बर्बाद कर दे। पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति का यह चित्रण शायद सबसे ज्यादा सही है।भले ही बाहर से ऐसा लग रहा हो कि सब शांत हो गया है और कहीं किसी तरह का कोई भय नहीं है परन्तु भीतर ही भीतर आग सुलग रही है। संयुक्त मोर्चे के नेता हसन शहीद सुहरवर्दी ने कराची में प्रधानमंत्री मुहम्मदअली की कोठी के ऐन सामने वाले मकान में अपना मोर्चा जमाया है और इस सड़क पर आने-जाने वालों के लिए अब वर्तमान प्रधानमंत्री के बजाय भावी प्रधानमंत्री का मकान ज्यादा आकर्षण का केन्द्र बन गया है। सुहरवर्दी इस प्रतीक्षा में हैं कि कब मौका मिले और वह सड़क पार करके सामने वाले मकान में जाकर कब्जा जमा लें। पाकिस्तान के प्रधानमंत्रित्व के लिए अब फासला केवल सड़क की चौड़ाई भर का रह गया है। पाकिस्तान के इन परिवर्तनों से अमरीका सबसे ज्यादा चक्कर में पड़ा है। उसे जितनी हानि हुई है, उतनी शायद पाकिस्तान को नहीं हुई होगी। लेकिन वह आसानी से पाकिस्तान का पिण्ड छोड़ देने वाला नहीं है।5

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