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सोनिया-मुफ्ती सरकार द्वारा आतंकवादियों के प्रति नरमनीति का परिणामजिहादियों की रिहाई, हिन्दुओं पर गोलियांद जम्मू से विशेष संवाददाता के साथ अरफात खानमंदिरों की नगरी माने जाने वाले जम्मू में ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर पर आतंकवादियों ने एक बार फिर आक्रमण किया और उसके साथ ही पांच सौ गज की दूरी पर स्थित प्राचीन पंजबख्तर शिवालय (जो रुपए वाला मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है) को भी अपना निशाना बनाने का प्रयास किया। 24 नवम्बर की शाम को हुए इस आक्रमण में आतंकवादियों ने 12 निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया और अन्य 52 बुरी तरह घायल हुए।जम्मू का गौरव माने जाने वाले इस रघुनाथ मंदिर पर पहला बड़ा हमला इसी वर्ष 30 मार्च को हुआ था, जिसमें 10 लोग मारे गए थे और 30 से अधिक घायल हो गए थे। यह सच है कि इन दोनों आक्रमणों में शामिल आत्मघाती दस्तों के चारों आतंकवादियों को पुलिस तथा सुरक्षा बलों के जवानों ने ढेर कर दिया, किन्तु पहले हमले के मुकाबले यह हमला ज्यादा घातक सिद्ध हुआ है। पहले हमले में एक आतंकवादी को मंदिर के परिसर में प्रवेश होने से पूर्व ही मार दिया गया था। दूसरा आतंकवादी परिसर के अन्दर दाखिल होकर दर्शनार्थियों तथा सुरक्षाकर्मियों पर गोलियां तो बरसाता रहा किन्तु उसे बड़े मंदिर की कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी। अत: मंदिरों के परिसर में प्रवेश करने के पश्चात् बड़े दरवाजे के समीप ही एक छोटे से मंदिर में धमाका करके उसने अपना अन्त करने का प्रयत्न किया था। किन्तु इस बार हुए हमले में एक आतंकवादी परिसर में प्रवेश के पश्चात् हथगोले तथा गोलियां बरसाता हुआ सीधा रघुनाथ मंदिर की परिक्रमा में पहुंच गया तथा वहां मूर्तियों को खंडित करने का प्रयत्न करने लगा। उसने मंदिर के सामने हनुमान जी और महर्षि वाल्मीकि की मूर्तियों को आंशिक रूप खंडित भी कर दिया। हालांकि वह भगवान राम तथा मंदिर के अन्दर की अन्य मूर्तियों को क्षति नहीं पहुंचा सका, क्योंकि पुजारियों ने अन्दर का दरवाजा बंद कर लिया था और इसी बीच सुरक्षा बलों ने उसे ढेर कर दिया।जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से सम्बन्धित आंकड़े (स्रोत-गृह मंत्रालय)(क) 1990 से हुई आतंकवादी गतिविधियां1990 1991 1992 1993 1994 1995 1996 1997 1998 1999 2000 2001 2002। 1990से2002 तक।घटनाओं की संख्या 4158 3765 4817 5247 5829 5938 5014 3420 2932 3071 3074 4522 3449 55231मारे गए नागरिक 461 382 634 747 820 1031 1336 948 857 821 762 919 928 10864मारे गए सुरक्षाकर्मी 155 173 189 198 200 237 184 193 236 355 397 536 373 3426मारे गए आतंकवादी 550 844 819 1310 1596 1332 1209 1075 999 1082 1520 2020 1471 15827मारे गए विदेशी आतंकवादी 14 12 14 90 122 85 139 197 319 305 436 625 408।। 2766।।।अक्तूबर 2002 तक ।। सितम्बर 2002 तक——————————————————————————–(ख) 1999 से हुई आतंकवादी गतिविधियांमाह घटनाएं मारे गए नागरिकों की संख्या मारे गए सुरक्षाकर्मी मारे गए आतंकवादी1999 2000 2001 2002 1999 2000 2001 2002 1999 2000 2001 2002 1999 2000 2001 2002जनवरी 179 227 370 308 61 55 74 72 13 26 28 24 47 78 78 173फरवरी 190 212 286 212 47 72 77 54 21 30 33 9 93 59 87 107मार्च 223 240 299 335 60 72 66 80 25 26 53 37 64 108 98 157अप्रैल 205 200 367 327 81 42 79 87 17 23 46 34 79 98 118 164मई 220 254 411 381 73 64 88 103 24 27 36 37 94 140 159 156जून 244 262 372 300 81 56 53 87 26 38 41 22 58 180 217 113जुलाई 292 233 401 327 102 37 83 105 22 32 51 39 68 136 233 110अगस्त 323 257 466 379 86 106 121 98 70 29 43 56 114 142 162 163सितम्बर 438 278 496 483 80 51 75 107 28 54 63 60 145 182 223 157अक्तूबर 257 326 403 394 57 41 77 179 18 31 57 55 127 183 231 171नवम्बर 230 278 361 36 69 60 46 50 57 104 163 253दिसम्बर 270 307 200 57 97 66 46 31 28 89 51 161कुल 3071 3074 4522 821 762 919 355 397 536 1082 1520 2020(ग) जब्त किए गए हथियार1990 1991 1992 1993 1994 1995 1996 1997 1998 1999 2000 2001 2002 कुलए के राईफल और पिस्तौल 1991 3169 4260 3130 3136 3020 3202 2749 2104 1629 1887 2016 1642 33935यू.एम.जी. 77 130 164 142 127 67 84 64 71 28 21 10 3 988राकेट लान्चर 108 29 62 36 31 36 43 81 140 42 59 39 31 737अक्तूबर 2002 तक(घ) जब्त किए गए 1990 1991 1992 1993 1994 1995 1996 1997 1998 1999 2000 2001 2002। कुलविस्फोटक पदार्थआर.डी.एक्स (कि.ग्राम में) 0 0 0 0 0 0 166 342 769 886 1508 2547 487 6685विस्फोटक 231 274 285 2950 1342 1484 2381 6448 2922 2182 1798 1009 818 24124उन्नत विस्फोटक उपकरण 0 18 86 136 126 811 245 1020अ 514 466 718 450 181 3752(आई.इ.डी.) 13 वॉक्सेहथगोले 2502 1784 2391 4363 2603 2870 3949 5124 5883 4093 4807 4152 2372 46893राकेट 296 286 245 135 395 170 378 479 375 332 555 392 126 4164।अक्तूबर 2002 तक(ड) आतंकवादियों द्वारा बर्बाद की गई सम्पत्तिवर्ष कुल घटनाएं सरकारी भवन शैक्षणिक भवन पुल अस्पताल निजी मकान दुकानें1990 646 501 129 172 0 1242 2021991 391 45 24 24 0 819 831992 564 65 57 28 0 2312 2001993 662 98 46 34 0 1110 4001994 606 172 119 46 4 666 1621995 688 127 133 16 2 1814 4021996 482 52 68 2 3 602 1611997 259 13 11 5 1 437 671998 177 13 15 1 0 273 661999 136 7 9 2 0 284 62000 129 14 6 1 0 330 1072001 274 30 16 2 1 419 772002 435। 13। 8 4। – 391 19कुल 5449 1150 641 337 11 10699 1952अक्तूबर, 2002 तकयह हमला इसलिए भी ज्यादा नियोजित माना जा रहा है, क्योंकि दूसरा आतंकवादी परिसर में प्रवेश होने के पश्चात् बाहर निकल गया और हथगोले फेंकता हुआ पांच सौ गज की दूरी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसने कई निर्दोष लोगों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया। कई घण्टों तक उधम मचाने के पश्चात् रात के अंधेरे में एक मकान के खाली पड़े कमरे में छिपकर सो गया। सुबह जब घर वालों ने उसे देखा तो उन्होंने पुलिस को सूचित कर दिया और पुलिस मुठभेड़ में वह आतंकवादी भी मारा गया।यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि इन दोनों ही घटनाओं के समय बिजली गुल थी और चारों ओर अंधेरा छाया था। ऐसा क्यों था, यह छानबीन का विषय है। इन दोनों हमलों में विचित्र बात यह है कि अभी तक पुलिस अथवा अन्य संबंधित अधिकारी यह पता नहीं लगा पाए हैं कि ये आक्रमणकारी कौन थे, इन्हें गोला-बारूद किसने उपलब्ध कराया और किन स्थानीय व्यक्तियों ने इन्हें सहयोग दिया। केवल विदेशी या पाकिस्तानी हाथ कह देने भर से काम समाप्त नहीं हो जाता।कांग्रेस-पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) की नई सरकार ने आतंकवादियों का दिल जीतने के लिए नरम नीति अपनाने की घोषणा की है, कई उग्रवादियों को छोड़ दिया गया है, कई अन्य को जमानत पर रिहा किया गया है। अब तक 26 आतंकवादियों को छोड़ा जा चुका है। इनमें से कई खूंखार किस्म के आतंकवादी हैं। और तो और, मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री रूबिया सईद के अपहरणकर्ता शौकत बख्शी (जिसने रूबिया के अपहरण के बदले ए ग्रेड के चार आतंकवादियों को रिहा कराया था और उस समय केन्द्रीय गृहमंत्री रहते मुफ्ती सईद ने स्वयं उन आतंकवादियों को छोड़ा था। शौकत बख्शी को बाद में सुरक्षाबलों ने बड़ी कोशिशों के बाद पकड़ा था) को भी रिहा कर दिया गया। इतना ही नहीं, उग्रवादियों से निपटने के लिए एस.ओ.जी. नाम से काम कर रहे विशेष दस्तों को वापस बैरकों में भेज दिया गया तथा उनके खिलाफ मारपीट के ऐसे झूठे आरोप मढ़ दिये गए, जिससे निश्चय ही पुलिस के मनोबल पर बुरा प्रभाव पड़ा है।पी.डी.पी. और कांग्रेसी नेताओं का यह भी कहना है कि वह आतंकवादियों तथा उनके सहायकों के पकड़े जाने पर पोटा कानून का उपयोग नहीं करेंगे, मारे गए उग्रवादियों के परिजनों तथा बच्चों को बेसहारा नहीं छोड़ेंगे और उनकी हर सम्भव सहायता की जाएगी। इन घोषणाओं तथा आतंकवादियों को छोड़े जाने के पश्चात् उग्रवादी गतिविधियों में भारी वृद्धि हुई है। पिछले तीन हफ्तों में एक सौ से अधिक आतंकवादी घटनाएं हुईं हैं जिनमें रघुनाथ मंदिर पर हमला, जम्मू-श्रीनगर मार्ग पर सेना के वाहनों पर हमला, केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ) के शिविर पर आत्मघाती हमला तथा अन्य कई घटनाएं शामिल हैं। इन घटनाओं में लगभग 100 लोग मारे गये और 200 से अधिक घायल हुए।लोगों का मानना है कि यह नई सरकार की आतंकवादियों के प्रति नरम नीतियों का ही परिणाम है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कांग्रेस और उसके कुछ सहयोगियों के संबंध आतंकवादियों के साथ हैं, क्योंकि इन उग्रवादियों ने जिला डोडा में कांग्रेसी उम्मीदवारों तथा कुछ अन्य प्रत्याशियों को जिताने के लिए लोगों पर दबाव डाला था। हैरत की बात यह है कि यहां इन लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने की बात तक नहीं की, जिसके कारण इस मुस्लिमबहुल क्षेत्र में 60 से लेकर 75 प्रतिशत तक मतदान हुआ, जबकि बहिष्कार के कारण कश्मीर घाटी के कई स्थानों पर केवल 10 से 15 प्रतिशत ही मतदान हुआ।उल्लेखनीय है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद डोडा के सोती गांव के मूल निवासी हैं और इस क्षेत्र के कई युवक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का कहना है कि आतंकवाद में यह बढ़ोतरी कोई नई बात नहीं है। जो भी घटनाएं हो रही हैं, वह उनकी सरकार की नीतियों को विफल बनाने के लिए चली जा रही चालों का ही हिस्सा हैं।जम्मू के ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर पर दूसरी बार हमले से स्थानीय जनता बहुत आक्रोश में है। स्थानीय लोगों को लगता है कि जम्मू क्षेत्र में बढ़ रही आतंकवादी गतिविधियों का एक प्रमुख कारण बाहरी क्षेत्रों में एक ही समुदाय की तेजी से बढ़ रही आबादी है। सुरक्षा एजेंसियां भी इस बात से इनकार नहीं करती हैं। यह तथ्य इसलिए भी ज्यादा प्रमुखता से सामने आ रहा है, क्योंकि गत रविवार को रघुनाथ मंदिर तथा शिव मंदिर पर हमला करने वाले आतंकवादी रेजीडेंसी रोड स्थित मुस्लिमबहुल बस्ती गुज्जर नगर से एक कार में सवार होकर आए थे। जम्मू-कश्मीर परिवहन विभाग के एक कर्मचारी अशोक, जो इस हमले का प्रत्यक्षदर्शी है, ने बताया कि वे दोनों रेजीडेंसी रोड के ऊपर की तरफ से आए और कार से बाहर आते ही उन्होंने हथगोले फेंके और अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। चारों तरफ मची भगदड़ का लाभ उठाते हुए वे दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए। उनमें से एक रुपये वाला मंदिर में घुस गया, जबकि दूसरा रघुनाथ मंदिर में। इस हमले में अशोक भी घायल हो गया। अधिकांश लोगों का मानना है कि दोनों आतंकवादी गुज्जर नगर की गली सं. 4 से निकल कर गली सं. 3 में खड़ी सिएलो कार में सवार होकर आए थे। जिस तरफ से आतंकवादियों के आने का संदेह जताया जा रहा है वह क्षेत्र पिछले कुछ समय से आतंकवादी गतिविधियों का केन्द्र बनता जा रहा है।रेजीडेंसी रोड़ से कुछ गलियां गुज्जर नगर, तालाब खटिकान, दलपतियान, झुलका मोहल्ला से मिलती है, जहां अधिसंख्य कश्मीरी मुसलमान रहते हैं। इन क्षेत्रों के अनेक युवक आतंकवादियों को प्रश्रय देने तथा स्वयं आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। काका हुसैन, रियाज, परवीन अख्तर, हाजी, बब्बर बदर, जाकिर हुसैन सरीखे कई खतरनाक किस्म के आतंकवादी इस इलाके से पकड़े भी गए हैं। राज्य में आतंकवाद की काली छाया पड़ने के बाद जम्मू की आबादी में बहुत बदलाव आया है। कश्मीर घाटी से भगाए गए हिन्दू तो मजबूरी में आकर यहां के शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। पर घाटी और अन्य इलाकों से बड़ी संख्या में मुसलमान यहां आकर बड़ी-बड़ी कोठियां बना रहे हैं। कुछ बाहरी क्षेत्रों का चुनाव करके उसे मुस्लिमबहुल बनाया जा रहा है। ये इलाके ऐसी जगह हैं जहां से जंगल-पहाड़ शुरू हो जाते हैं, वहां से दूसरे इलाके में जाना बहुत आसान होता है।पुजारियों को हथियारउपलब्ध कराने की मांगहिन्दुओं के धार्मिक स्थलों, विशेषकर मंदिरों पर बढ़ते हमलों के कारण जम्मू में यह मांग उठने लगी है कि पुजारियों को अपनी तथा मंदिर की रक्षा के लिए उचित प्रशिक्षण देने के साथ-साथ शस्त्र रखने की भी अनुमति दी जाए अथवा सरकार अपनी ओर से उन्हें शस्त्र उपलब्ध कराए।हालांकि आतंकवाद की शुरूआत के साथ ही पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकवादियों ने पिछले 12 वर्षों में 1000 से अधिक धार्मिक स्थलों को अपना निशाना बनाया है तथा तोड़ फोड़ एवं आग लगाने के अतिरिक्त अनेक पुजारियों को मौत के घाट उतार दिया है। किन्तु ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर पर 24 नवम्बर को पुन: हमले के बाद मंदिर की व्यवस्था देखने वालों का कहना है कि इस दूसरे आक्रमण ने सरकार की क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से पुजारियों को स्वयं तैयार रहना होगा। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण तथा आधुनिक शस्त्र चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में 50 से अधिक पुजारी हैं, जिनमें से अनेक युवा हैं। कई संत-महात्माओं, पुजारियों का कहना है कि राक्षसों के आक्रमण सदैव ही होते रहे हैं, इसीलिए हमारे अवतारों ने सदैव अपने साथ शस्त्र रखे हैं। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि स्थानीय सहायता के बिना आत्मघाती हमले नहीं हो सकते। इस प्रकार के हमले की तैयारी किसी होटल या धर्मशाला में नहीं हो सकती। वे मानते हैं कि रेजीडेंसी रोड़ से सटे मुस्लिमबहुल इलाकों में इन आतंकवादियों के समर्थक हैं, जो शरण देने के साथ-साथ स्थानीय मार्ग-निर्देशन में भी मदद करते हैं।इनमें से गुज्जर नगर का इलाका आतंकवादियों का अड्डा बनता जा रहा है। यह इलाका एक तरफ ऊपरिगामी सेतु (फ्लाई ओवर) के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है तो दूसरी ओर पहाड़ियों-जंगलों से जुड़ा है। कुछ माह पूर्व राजीव नगर में 40 हिन्दुओं की हत्या करने के बाद 2 आतंकवादी इन्हीं जंगलों में छिप गए थे। सन् 1990 में भी गुज्जर नगर से जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादियों के पकड़े जाने के बाद दलपतियान और तालाब खटिकान की नालियों से करीब आधा दर्जन ए.के. 47 राइफलें पड़ी मिलीं थीं। उसके बाद से आतंकवादियों ने धीरे-धीरे अपने कदम यहां जमा लिए। स्थानीय लोगों का मानना है कि इन इलाकों में विदेशी तथा कश्मीरी आतंकवादियों को शरण मिलती है, इसलिए इस इलाके की घेराबंदी करके हर घर की तलाशी लेनी चाहिए। किन्तु राज्य सरकार को यह मंजूर नहीं है।श्री रघुनाथ मंदिर में मारे आतंकवादी के पास से नई ए.के. 47 राइफल मिली है। उसने साढ़े तीन घंटे तक पुलिस से चली मुठभेड़ में 17 मैग्जीन गोलियां खर्च कीं और 6 गोले दागे। जबकि शिव मंदिर में घुसे दूसरे आतंकवादी से चली मुठभेड़ में उसने कुल 29 मैग्जीन गोलियां और 9 गोले दागे। पुलिस का मनना है इतना गोला-बारूद लेकर कोई भी आतंकवादी सीमा पार से यहां तक नहीं पहुंच सकता, जब तक कि उसे स्थानीय मदद न मिल रही हो। दरअसल ये आतंकवादी छिपने की जगह और जानकारी देने के बदले काफी मात्रा में धन भी देते हैं। इसका अंदाजा इससे भी हो जाता है कि इन इलाकों में रहने वाले कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति में एकाएक बहुत बदलाव आया है। जो कल तक दो जून की रोटी तक को मोहताज थे, आज वे आलीशान मकान के मालिक हैं, कारों में घूम रहे हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका कोई काम-धंधा नहीं, कहीं नौकरी नहीं करते, पर महीने में एक-दो बार नेपाल की यात्रा करते हैं। रघुनाथ मंदिर पर हमले के बाद स्थानीय लोगों का आक्रोश इसी कारण फूट पड़ा है कि प्रशासन को इस बात की पूरी जानकारी है कि जम्मू के किस क्षेत्र से आतंकवादियों को मदद मिल रही है, पर वह कुछ नहीं करती।14
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