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सेवा-पुरुषएक अप्रवासी भारतीय हैं श्री उमेश रहोतगी। वर्तमान में मिशिगन (अमरीका) निवासी श्री रहोतगी के मन में अपने देश भारत के प्रति अत्यधिक प्रेम है। अमरीका जैसे भौतिकतावादी देश में रहकर भी उनका जीवन भारतीय परम्परा के अनुसार अत्यंत सादगीपूर्ण और स्वदेशी कल्पना के अनुसार ढला हुआ है। भारत के प्रति अपने प्रेम के कारण श्री रहोतगी न केवल नियमित रूप से भारत आते हैं बल्कि यहां की 95 सेवा-संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। समाजसेवा हेतु उन्होंने 1997 में नौकरी से त्यागपत्र दिया और पूरी तरह से समाज सेवा में जुट गए।मूलत: बरेली (उ.प्र.) के निवासी श्री उमेश रहोतगी ने 1968 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़कपुर से अभियांत्रिकी की शिक्षा पूरी करने के पश्चात् 11 वर्षों तक भारत में ही भिलाई, रांची, बंगलौर, दिल्ली आदि स्थानों पर कार्य किया। उस समय भी उनके मन में समाजसेवा की उत्कट भावना थी और इसी कारण वे सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे। 1979 में वे अमरीका चले गए परन्तु उनकी भारत भक्ति में कोई कमी नहीं आयी। नौकरी छोड़ने के बाद वे भारत के 18 राज्यों के लगभग 250 गांवों में घूमे और वहां की समस्याओं का अध्ययन किया। यह मात्र संयोग ही था कि गुजरात-भूकंप के समय श्री रहोतगी भारत में ही थे। भूकंपग्रस्त क्षेत्रों में घूमने के बाद वे स्वयं तो राहत कार्यों में जुटे ही, साथ ही मानव विकास संघ तथा ऐसी ही अनेक संस्थाओं और अपने मित्रों को भी इसके लिए प्रेरित किया। सभी को साथ लेकर उन्होंेने 120 परिवारों का एक गांव गोद लिया, जिसका नाम रखा-सुरसरधाम।उन्होंने सुरसरधाम को एक आदर्श गांव बनाने का बीड़ा उठाया है। इस गांव में रहने वाले दूसरों की सहायता पर आश्रित न रहें, इसके लिए उन्होंने एक नियम बनाया कि सहायता प्राप्त करने वाला परिवार 10 वर्षों में प्राप्त राशि वापस कर देगा। उस राशि का उन्होंने एक ग्राम सहायता कोष बनवाया। इस कोष का उपयोग गांव तथा गांव वालों के विकास हेतु करना निश्चित किया गया है। इस प्रकार एक आदर्श गांव की नींव पड़ी। गांव में एक ग्राम समिति बनाई गई है। श्री रहोतगी के प्रयत्नों से प्रभावित होकर सरदार पटेल अक्षय ऊर्जा अनुसंधान संस्थान ने उन्हें 20 सौर संचालित पथ प्रकाशक (स्ट्रीट लाइट) और 114 सौर चूल्हे उपलब्ध कराए हैं। ग्राम समिति, श्री रहोतगी और मानव विकास संघ ने निश्चय किया है कि सुरसरधाम को 5 वर्षों में आदर्श गांव बनाएंगे। श्री रहोतगी के इस व्यस्ततम और कंटकाकीर्ण मार्ग पर उनकी पत्नी श्रीमति रश्िम रहोतगी, जो स्वयं भी इन कार्यों में बहुत रुचि रखती हैं, निरन्तर उनके साथ रहती हैं। द रवि शंकर11
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