|
थ् भारत का मीडिया विदेशी शक्तियों का दलाल न बनेथ् निष्पक्ष भूमिका निभाए मानवाधिकार आयोगगत 11 से 14 जुलाई तक नागपुर में राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में समिति की प्रमुख संचालिका श्रीमती ऊषाताई चाटी एवं प्रमुख कार्यवाहिका श्रीमती प्रमिलाताई मेढ़े उपस्थित थीं। समिति की इस बैठक में दो प्रस्ताव परित किए गए। मानवाधिकार आयोग को सम्बोधित पहले प्रस्ताव में साम्प्रदायिक घटनाओं की सही समीक्षा की मांग की गई। प्रस्ताव में गोधरा कांड और उस पर मीडिया की भूमिका की चर्चा की गई। घोघा मस्जिद से हथियारों के जखीरे के साथ 34 मुस्लिम कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी, यात्रियों से भरी बस को फूंकने की तैयारी, प्रांतिज मारवारिया के निकट सर्वोदय कन्या विद्यालय में विद्युत प्रवाह छोड़ना आदि घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया कि मानवाधिकार आयोग ने इन सब घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए अंग्रेजी मीडिया के आधार पर गोधरा व उसके बाद की घटनाओं पर अपनी रपट सौंपी।राष्ट्र सेविका समिति की प्रतिनिधि सभा के सदस्यों का कहना था कि मानवाधिकार आयोग उस समय अपनी आंखें क्यों मूंद लेता है, जब जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम आतंकवादी हिन्दुओं की सामूहिक हत्या करते हैं? हिन्दू समाज को आतंकित करने के लिए माता-पिता के सामने उनकी बेटी से सामूहिक बलात्कार करते हैं, हिन्दुओं को अमानवीय प्रताड़नाएं देते हैं। मानवाधिकार उस समय कहां था, जब कारगिल युद्ध के समय भारत के छह सैनिकों की वीभत्स तरीके से हत्या कर उनके शव सौंपे गए थे।राष्ट्र सेविका समिति ने मानवाधिकार आयोग से आग्रह किया कि वह जम्मू क्षेत्र में शिविरों में रह रहे लाखों हिन्दू विस्थापितों की व्यथा-कथा सुने, उनकी दुर्दशा देखे, तदनन्तर मानवीय संवेदनायुक्त हृदय से सही समीक्षा प्रस्तुत करे। सभा में केंद्र सरकार से भी निवेदन किया गया कि मानवाधिकार आयोग में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाए, क्योंकि विभिन्न घटनाओं में महिलाओं को ही शारीरिक, मानसिक तथा परिस्थितिजन्य त्रासदी झेलनी पड़ती है।दूसरे प्रस्ताव में प्रसार माध्यमों को चेताया गया और उन्हें राष्ट्रवादी बनने के लिए कहा गया। समिति ने प्रसार माध्यमों की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि-प्रजातंत्र में प्रसार माध्यमों का चौथे स्तंभ के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है परंतु संवेदनशील विषयों पर भारतीय प्रसार माध्यम जिस प्रकार की भूमिका निभा रहे हैं, उसे देखकर अनेक प्रश्न खड़े होते हैं। लगता है कि प्रसार माध्यम भारतीय जनतंत्र के रक्षक न होकर विदेशी ताकतों के हाथ का खिलौना हों। उनकी गलत भूमिका के कारण गुजरात में प्रतिहिंसा की आग और भड़क उठी।सभा का कहना था कि भारत सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे कि प्रसार माध्यमों की स्वतंत्रता तो अवश्य बनी रहे परन्तु वे अन्तरराष्ट्रीय शक्तियों के दलाल न बनें।बैठक में जम्मू शहर के कासिम नगर क्षेत्र में हुए हिन्दुओं के नरसंहार की कड़ी निंदा की गई।बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने कहा कि इस हत्याकांड का उद्देश्य कश्मीर घाटी की ही तरह जम्मू से भी हिन्दुओं को पलायन के लिए बाध्य करना है। यह राज्य सरकार की अकर्मण्यता ही है कि जम्मू में हिन्दुओं का नरसंहार लगातार जारी है और इन नरसंहारों के लिए दोषी कोई व्यक्ति नहीं पकड़ा गया। बैठक में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री डा. फारुख अब्दुल्ला को नैतिक आधार पर तुरन्त त्यागपत्र दे देना चाहिए। साथ ही केन्द्र सरकार को भी नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध करने चाहिए। द प्रतिनिधि24
टिप्पणियाँ