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मैं हिन्दू हूं मैं हिन्दू क्यों हूं?द जुएल ओरामकेन्द्रीय जनजातीयमामलों के मंत्री, भारत सरकारमैंजन्म से हिन्दू हूं, मैं कर्म से हिन्दू हूं और मैं हिन्दुत्व को मानता हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि हिन्दू परिवार में मेरा जन्म हुआ। हिन्दू होने पर मुझे गर्व है। मैं हिन्दू धर्म के सभी रीति-रिवाजों को मानता हूं, क्योंकि ये बहुत वैज्ञानिक और तार्किक ढंग से जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़े हुए हैं। समय की कसौटी पर खरे और प्रामाणिक हैं। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में व्यक्ति का सर्वतोन्मुखी विकास संभव हो होता है। अपने पूर्वजन्म के पुण्य कर्मों का ही फल मानता हूं कि मेरा जन्म हिन्दू परिवार में हुआ।हिन्दुत्व क्या है, उसकी गहराई तक जाए बिना ही कुछ लोग विरोध करने के नाम पर उसका विरोध करते हैं। हिन्दुत्ववादियों को तानाशाह, फासीवादी और न जाने क्या-क्या नाम देते हैं। जबकि हिन्दू धर्म और संस्कृति लोकतांत्रिक पद्धति के बहुत करीब और जीवन की आवश्यकताओं के नितान्त अनुकूल हैं। व्यक्ति को समाज के लिए कितना समर्पित होना चाहिए, यह हिन्दुत्व सिखाता है। जो व्यक्ति हिन्दुत्व की पद्धति के अनुसार आचरण करता है, व्यवहार करता है, उससे अच्छा समाजसेवी, राजनीति और लोकतंत्रवादी हो ही नहीं सकता। इसका सबसे अच्छा उदाहरण भगवान श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व है। उनसे ज्यादा कुशल राजनीतिज्ञ कौन हो सकता है। और वे लोकतांत्रिक पद्धति के अनुसार व्यवहार करते थे। उनका दिखाया हुआ मार्ग, उनकेद्वारा किए कार्य जीने की राह दिखाते हैं। इसलिए जो सोचते हैं कि हिन्दुत्व आ जाने से गणतन्त्र या देश के लोकतांत्रिक ढांचे में दरार आ जाएगी, वे गलत सोचते हैं। दरअसल हिन्दुत्व केवल धर्म ही नहीं है, जीवन जीने की एक पद्धति है। मनुष्य क्या हो सकता है, यह उसकी व्याख्या है। भारत की जनता की रग-रग में हिन्दुत्व भरा हुआ है। यह बात अलग है कि राजनीति के दबाव, वोटों की राजनीति के कारण कुछ हिन्दू ही हिन्दुत्व के विरोध में खड़े हो जाते हैं। बाहर दिखाने के लिए कुछ बोलते हैं और भीतर कुछ होते हैं। मूल रूप में सभी हिन्दू हैं। ईसाई कहां से आए? यह हिन्दुस्थान तो हिन्दुओं का राष्ट्र था। बाद में कुछ मुसलमान और ईसाई भारत आए और उन्होंने जबर्दस्ती या प्रलोभन से हिन्दुओं को अपने मत में मतांतरित किया।हिन्दुत्व ने समाज और राजनीति को बहुत गहरे तक प्रभावित किया है। अयोध्या आंदोलन भाजपा के उभार में महत्वपूर्ण मोड़ रहा। हिन्दुत्व के नाम पर देश में कैसी लहर चली थी। इससे प्रमाणित हो जाता है कि भारतीय जनमानस में हिन्दुत्व कितना गहरे तक समाया हुआ है। किन्तु कुछ बिगड़े हुए हिन्दू हैं, जो बात-बेबात हिन्दुत्व के विरोध में खड़े हो जाते हैं। क्या इनके परिवार के लोग मन्दिर नहीं जाते? क्या ये लोग दुर्गापूजा नहीं करते? इन्हें सुधारना हमारा काम है। और यकीन है एक दिन हम इन्हें अवश्य सुधारेंगे। हिन्दुत्व का नाम सुनते ही बिदक जाने वाले ये बिगड़े हिन्दू पाकिस्तान में जाकर इस तरह की सेकुलरी बातें करें, इस्लाम के विरुद्ध प्रचार करें तब पता चल जाएगा। उनकी यह प्रवृत्ति भारत के लिए बेहद घातक सिद्ध हुई है। अगर इनकी यह मानसिकता पहले बदल जाती तो भारत एक हिन्दू राष्ट्र के रूप में जाना जाता, पाकिस्तान न बनता और पाकिस्तान हमारी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख पाता। और वे अरबों रुपए जो पाकिस्तान के कारण हमें सुरक्षा के नाम पर खर्च करने पड़ते हैं वे देश के विकास कार्यों में लगते। द30
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