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भारतीय वन विभाग अधिकारी संजय सिंह की निर्मम हत्याउनका अपराध था ईमानदार होनाद कल्याणीबिहार में वन विभाग के एक ईमानदार अधिकारी संजय सिंह की हत्या कर दी गई। यहां भारतीय वन सेवा के किसी अधिकारी की हत्या का यह पहला मामला है। समझा जाता है कि शाहाबाद प्रक्षेत्र के वन मंडल अधिकारी संजय सिंह की हत्या प्रतिबंधित माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एम.सी.सी.) ने की है। श्री सिंह 15 फरवरी को रोहतास जिले के नौहट्टा थानान्तर्गत रेहल के अतिथि गृह में एक अंगरक्षक और रेंजर कुमार नरेन्द्र सहित ठहरे हुए थे। दिन में लगभग 11 बजे 20 नक्सलियों ने उस अतिथि गृह को चारों ओर से घेर लिया। नक्सलियों ने तीनों का अपहरण कर लिया। कुछ दूर ले जाकर उन हत्यारों ने रेंजर और अंगरक्षक को तो छोड़ दिया परन्तु संजय सिंह को पहले लाठियों से बुरी तरह पीटा और बाद में उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया।संजय सिंह की हत्या वन माफियाओं ने की या फिर नक्सलियों ने, इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। संजय से न सिर्फ नक्सली गिरोह नाराज थे, बल्कि वन माफिया भी उन्हें किसी भी स्थिति में अपने रास्ते से हटाना चाहते थे।वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि श्री सिंह को नक्सली गुटों एवं वन माफियाओं दोनों से धमकियां मिलती थीं। अपराधी गुटों की नाराजगी का मुख्य कारण था कि उन्होंने अपना पद संभालते ही लकड़ी की अवैध कटाई और वन क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन को पूरी तरह रोक दिया था।इस रोक के बाद उन्हें यह संदेश भिजवाया गया कि या तो वे समझौता कर लें तथा पूर्व की भांति अवैध कार्यों को चलने दें नहीं तो उन्हें मार डाला जाएगा। किन्तु श्री सिंह ने अपराधियों से समझौता करने की बजाय और भी कड़ा रुख अपनाया। उन्हें यह पता था कि वे अपराधियों को खटक रहे हैं इसलिए उन्होंने एक बार राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री जगतानंद सिंह से अंगरक्षक उपलब्ध कराने की मांग की थी। संजय सिंह ने मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी को भी बताया था कि अपराधी गिरोह उनकी जान के पीछे पड़ गए हैं, पर उनकी बातों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया और अंतत: उनकी निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई।इस घटना के बाद वन विभाग के कर्मियों में जबरदस्त आक्रोश है। अधिकारी मानते हैं कि लालू-राबड़ी राज में ईमानदारी ही अपराध है, क्योंकि ईमानदार की सरकार की नजरों में न कोई इज्जत है न सुरक्षा का प्रबंध। हालांकि भारी दबाव के बाद मुख्यमंत्री राबड़ी को उस घटना की जांच सी.बी.आई. से कराने का आदेश देना पड़ा। द33
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