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जम्मू मुस्लिम मोर्चा नेशादी की आड़ में कराया मतान्तरणद जम्मू से अरफात खानजम्मू क्षेत्र में पिछले दस वर्षों से संदिग्ध गतिविधियों के लिए कुख्यात है जम्मू मुस्लिम मोर्चा। 1992 में उस्ताद मोहल्ला निवासी तारिक खान द्वारा गठित इस संगठन में जम्मू शहर की मुस्लिमबहुल आबादी वाले क्षेत्रों-गुज्जर नगर, दलपतिया मोहल्ला और तालाब खटिंका के लोगों को शामिल किया गया था। सूत्रों के अनुसार यह संगठन राज्य में आतंकवादियों को सहायता प्रदान कर रहा है। यह संगठन हिन्दुओं का मतान्तरण भी करा रहा है। गत 7 अगस्त को जम्मू मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष तारिक खान ने उस्ताद मोहल्ला क्षेत्र में मूलत: उड़ीसा निवासी बन्धु कुमार का मतान्तरण कराकर उसे बन्दे खान बना दिया। इसके लिए तारिक खान ने मुस्लिम युवती शमीमा का सहारा लिया और पहले से ही विवाहित बन्धु कुमार का दोबारा से विवाह कर दिया। विवाह और मतान्तरण की जानकारी मिलने पर इससे पहले उड़ीसा से बन्धु के माता-पिता और पत्नी ने जम्मू आकर तारिक खान से ऐसा न करने की प्रार्थना की, लेकिन उसने एक न सुनी। इस सम्बंध में पूछे जाने पर तारिक खान का कहना है कि बन्धु पिछले 11 वर्षों से उसके साथ रह रहा है और वह अपनी इच्छा से मुसलमान बना है। इस संदर्भ में जब बन्धु और शमीमा से बातचीत की गई तो उन्होंने कोई भी स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।जम्मू मुस्लिम मोर्चा की गतिविधियां प्रारम्भ से ही संदिग्ध रही हैं। कहा जाता है कि इस संगठन का मुख्य उद्देश्य प्रशासन और पुलिस विभाग में उच्च सम्पर्क स्थापित कर आतंकवादी गतिविधियों में गिरफ्तार हुए व्यक्तियों को छुड़ाना है। हाल ही में उस्ताद मोहल्ला से दो पाकिस्तानी आतंकवादियों को अपने घर में शरण देने वाले सनाहउल्लाह डार और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के पूर्व एरिया कमाण्डर सज्जाद भट्ट को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद मोर्चे के सदस्यों तथा तारिक खान ने सनाहउल्लाह डार को छुड़ाने के पूरे प्रयास किए। कहा जा रहा है कि इनके प्रयासों के कारण ही डार को छोड़ा गया। इस मोर्चे के कुछ सक्रिय नेताओं के रिश्तेदार पाकिस्तान से अक्सर उस्ताद मोहल्ला आते रहते हैं। गतिविधियों में गिरफ्तार मोर्चे की स्थापना से पहले इसके सभी सदस्य तीन महीने कश्मीर दौरे पर भी रहे, जहां से वापस लौटने के बाद इन्होंने मोर्चे की स्थापना की।हालांकि मोर्चे के सदस्यों का कहना है कि उनके संगठन में सभी मजहबों, विचारधाराओं, धर्मों के लोग शामिल हैं। जबकि सूत्रों से पता चला हैं कि इसमें सिर्फ संदिग्ध मुस्लिम लोग ही शामिल हैं, जो किसी न किसी प्रकार से आतंकवाद से जुड़े हुए हैं। एक स्थानीय नागरिक के अनुसार संगठन बनाते समय इसके नेता संगठन को बनाने का कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं बता पाए थे, जिसके चलते स्थानीय लोगों के मन में इस संगठन की गतिविधियों के प्रति हमेशा सन्देह रहता है। द23
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