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द दीक्षित दनकौरीकुछ जिन्दगी के प्रश्न उठाने की बात कर,भटके हुओं को राह दिखाने की बात कर।हुस्नो-शबाब की तो बहुत बात हो चुकी,खतरे में आदमी है बताने की बात कर।मजहब के नाम पर न बहा खून और अब,इंसानियत के फूल खिलाने की बात कर।सदियों से दूर-दूर ही रखा गया जिन्हेंउनको गले से आज लगाने की बात कर।लड़ना ही चाहता है, बदी के खिलाफ लड़नेकी पे अपनी जान लुटाने की बात कर।26
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