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एक और नरसंहार
— कल्याणी
झारखण्ड में 31 अक्तूबर की रात एम.सी.सी. के 75 हिंसक कार्यकर्ताओं, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे, ने एक लोमहर्षक कांड में 12 पुलिसकर्मियों की दिनदहाड़े बर्बर हत्या कर दी। बिहार तो पहले से ही नक्सली हिंसा से प्रभावित रहा है, जहां हाल में धनरुआ में भी 6 पुलिसवालों को घात लगाकर बारूदी सुरंग से उड़ा दिया गया, पर उससे सटा झारखण्ड राज्य भी नक्सली हिंसा की आग में झुलसता रहा है। 31 अक्तूबर की घटना उसी हिंसा की अगली कड़ी है। पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद नक्सलवादी चौकी से 16 रायफलें, चार कारबाइन और गोली-बारूद लूटकर ले गए। इस हमले में एक नागरिक भी मारा गया और चार पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए। इससे पूर्व बिहार में 19 अक्तूबर को धनरुआ में हुई घटना में बारूदी सुरंग का विस्फोट कर आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
समझा जाता है कि जयनंदन यादव के मारे जाने के बाद उसके सहयोगियों और नक्सलवादी संगठन पीपुल्स वार ग्रुप ने मिलकर इस लोमहर्षक घटना को कार्यरूप दिया। हालांकि इस घटना की जिम्मेदारी अकेले पीपुल्स वार ग्रुप ने ली है, पर सूत्रों का कहना है कि इसके साथ जयनंदन यादव के समर्थक भी शामिल थे।
19 अक्तूबर की रात को धनरुआ में सचमुच दिल दहला देने वाली घटना हुई। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि पुलिसकर्मियों के शरीर टुकड़े-टुकड़े हो गए। अपराध मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि अपराधी गिरोह ने पूरी योजना के साथ इस घटना को कार्यरूप दिया और पुलिस उनके बुने जाल में फंस गई। एक योजना के तहत अपराधियों ने दत्तमई पुलिस चौकी पर अचानक रात में हमला कर दिया। अपराधियों की संख्या चूंकि अधिक थी, इसलिए दत्तमई पुलिस घबरा गई और उन्होंने धनरुआ थाने को मदद का संदेश भेजा। अपराधी यह जानते थे कि धनरुआ पुलिस ही सबसे पहले सहायता के लिए दत्तमई पहुंचेगी। इसलिए अपराधियों ने धनरुआ-दत्तमई सड़क मार्ग पर बारूदी सुरंग बिछा दी। और जैसे ही पुलिस की जीप वहां से गुजरी एक भयानक विस्फोट के साथ उनके परखचे उड़ गए। यह विस्फोट रात के करीब 1.30 बजे हुआ। घटनास्थल के दोनों ओर 50-60 की संख्या में अपराधी घात लगाए बैठे थे, ताकि अगर विस्फोट में कोई जिंदा बचता तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता। इस घटना के बाद अपराधी फरार हो गए।
अपराध विशेषज्ञ इस घटना को जयनंदन यादव की हत्या से जोड़कर देखते हैं। जयनंदन यादव पहले पीपुल्स वार ग्रुप का क्षेत्रीय कमांडर था। बाद में जयनंदन यादव और पीपुल्स वार ग्रुप के शीर्ष नेताओं में ठन गई और यादव ने अपना अलग नक्सल गुट बना लिया। 11 अक्तूबर को जयनंदन यादव और उनके एक साथी पांचू यादव को पुलिस ने मार गिराया। जयनंदन की मृत्यु के तुरंत बाद ही उसके समर्थकों ने घोषणा कर दी थी कि वे पुलिसकर्मियों से बदला जरूर लेंगे और उन्होंने ऐसा कर दिखाया।
तलपट
पश्चिमी वैज्ञानिकों के एक शोध के अनुसार जिन घरों में रॉक और जॉर्ज नामक पश्चिमी संगीत जितना अधिक बजता है, उन घरों में दीमक उतना अधिक फर्नीचर की लकड़ियां खाने में तेजी दिखाते हैं, लेकिन जिन घरों में भारतीय शास्त्रीय संगीत, चाहे वह हिन्दुस्थानी श्ौली हो या कर्नाटक श्ौली, बजे वहां से कीड़े भाग खड़े होते हैं।
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