दिंनाक: 04 Aug 2001 00:00:00 |
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एक संघर्षमय जीवनभाजपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष 72 वर्षीय श्री के. जनाकृष्णमूर्ति का जन्म तमिलनाडु के मदुरै नगर में हुआ। मदुरै में आरंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने वहीं अर्थशास्त्र में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात चेन्नै के विधि महाविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद मदुरै में 12 वर्ष तक वकालत की।1940 में मदुरै में रा.स्व.संघ की शाखा लगनी शुरू हुई और श्री कृष्णमूर्ति संघ के संपर्क में आए। 1945 में तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग करने के बाद से 1951 तक मदुरै में संघ के नगर प्रचारक रहे और बाद में तमिलनाडु प्रांत के बौद्धिक प्रमुख बने।श्री कृष्णमूर्ति 1965 में तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी के आदेश पर भारतीय जनसंघ में सक्रिय हुए और प्रदेश सचिव के पद पर काम किया। 1968 के बाद वे तमिलनाडु में भारतीय जनसंघ के महासचिव (संगठन) बन गए।1975 में आपातकाल की घोषणा के समय वे तमिलनाडु में अवज्ञा आन्दोलन के सचिव रहे। 1977 में जनता पार्टी के साथ भारतीय जनसंघ के विलय के बाद वे जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के नियमित सदस्य रहे और पार्टी की तमिलनाडु इकाई के महासचिव रहे। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन पर वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सचिवों में से एक सचिव थे। 1983 में श्री कृष्णमूर्ति महासचिव बने और 1985 में पार्टी उपाध्यक्ष बने। 1980 से 1990 तक दक्षिण के चार राज्यों-केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश के प्रभारी रहे, जहां उन्होंने पार्टी कार्य को सुदृढ़ किया।1993 में श्री लालकृष्ण आडवाणी के अनुरोध पर वे दिल्ली आ गए और बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ, आर्थिक, रक्षा और विदेश सेवा आदि प्रकोष्ठों के प्रभारी रहे। वे पिछले छह महीनों से पार्टी के प्रवक्ता रहे थे।21
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