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मृत काया को सद्गति देता सेवाव्रतीमध्य प्रदेश, जिला धार के नगर मनावर के निवासी 33 वर्षीय श्री विजय सारण ने एक अनूठी सेवा का व्रत लिया है। बाल्यावस्था से ही उन्होंने अपने पिता स्व. त्रिलोकचंद सारण को लावारिस शवों का, जहां तक संभव हो, उनकी धार्मिक रीति के अनुसार अंतिम संस्कार करते देखा था। 1998 में अपने पिता के स्वर्गवास के पश्चात् श्री विजय ने पिता से प्राप्त इस सेवा संस्कार को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। उनके इस सेवा कार्य में उनका पूरा परिवार सहयोग करता है। पिछले तीन वर्षों में श्री विजय सारण लगभग 74 लावारिस शवों की अन्त्येष्टि कर चुके हैं। आजीविका चलाने के लिए वे अपनी पान की दुकान चलाते हैं। किन्तु नगर में किसी लावारिस शव की सूचना मिलते ही अपने सेवा व्रत में जुट जाते हैं। शव-अंत्येष्टि के लिए वे स्वयं व्यय करते हैं, किन्तु यदि कोई अन्य इस सेवा कार्य में किसी वस्तु का या अर्थ-सहयोग करना चाहे तो स्वीकार कर लेते हैं। नि:स्वार्थ भाव से इस पुण्य कार्य में लगे श्री विजय सारण को मात्र यह दु:ख है कि उनका यह कार्य केवल अपने नगर तक ही सीमित है। अवसर व सहयोग मिले तो वह अन्य नगरों में भी मानवता की सेवा करना चाहेंगे। — नवनीत जायसवाल11
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