|
लम्बाई बढ़ाने की चिकित्सा
डा. योगेन्द्र सिंह
अनिल कुमार, नेपानगर, जिला खण्डवा (म.प्र)
थ् मेरी उम्र 20 वर्ष है। मेरी लम्बाई 166 सेमी. है। अब मेरा कद नहीं बढ़ रहा है। मैने बहुत से आसन किए परन्तु मेरे कद में बढ़ोत्तरी नहीं हुई। कृपया समाधान करें।
दृ आप नागौरी असगन्ध (अ·श्वगंधा की जड़) कूट-पीसकर, बारीक करके किसी स्वच्छ कपड़े से छान लें। फिर उसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई खांड या मिश्री मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। रात्रि में सोते समय छह ग्राम (दो चम्मच) चूर्ण फांककर ऊपर से गाय का दूध पीने से दुर्बल व्यक्ति स्वस्थ होते हैं और लम्बाई भी बढ़ती है। साथ ही नया रक्त भी बनता है।
सहायक उपचार- इसके साथ ही कदवर्धक योगासन करने चाहिएं, जैसे ताड़ासन, पश्चिमोत्तानासन, चक्रासन, भुजंगासन, धनुरासन, पाद-हस्तासन, त्रिकोणासन, सूर्य नमस्कार एवं सर्वांगपुष्टि आदि इसके अभ्यास से ऊंचाई निश्चय ही बढ़ती है। आयु के पहले 25 वर्ष तक तो स्वाभाविक रूप से लम्बाई बढ़ती है परन्तु ताड़ासन के निरन्तर अभ्यास से 25 वर्ष के बाद भी लम्बाई बढ़ती है।
नत्थू लाल खेतान, कप्तान गंज, कुशीनगर (उ.प्र.)
थ् मुझे दमा की बीमारी है। कफ व खांसी बराबर रहती है। नींद भी कम आती है। रात भर कफ निकलता रहता है। किसी भी दवा से कोई लाभ नहीं हो रहा। कृपया कोई कारगर दवा बताएं?
दृ सर्वप्रथम तो आपको आहार संयमित करना होगा। ठंडी खाद्य वस्तुएं-दही, चावल नहीं लेना है। इसके साथ ही आप श्वास-कुठार रस की एक-एक गोली दिन में तीन बार लें। वासावलेह (झण्डु फार्मेसी) का एक-एक चम्मच दिन में दो बार लें। साथ ही कनकासव 4 चम्मच समान मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद दोनों समय लें, इससे आपको लाभ होगा।
राकेश भट्ट, सूरत (गुजरात)
थ् मेरी आयु 37 वर्ष है। शरीर सदैव हल्का-सा गर्म रहता है। इम्युनिटी व हिमोग्लोबिन कम है। जबकि स्नोफीलिया ज्यादा है। सांस लेने में काफी कठिनाई होती है। रात को ठंड ज्यादा लगती है। कृपया निदान बताएं।
दृ आप चित्रक-हरीतकी का एक-एक चम्मच दिन में तीन बार गुनगुने जल से सेवन करें। साथ में कृमि कुठार रस की एक-एक गोली दिन में तीन बार लें। यह चिकित्सा आप तीन मास तक लगातार करें, आपको लाभ होगा।
जितेन्द्रवीर कुलश्रेष्ठ, आर्यनगर, आगरा (उ.प्र.)
थ् रात्रि में लघुशंका हेतु कई बार जाना पड़ता है। पहले तो 20-20 मिनट बाद जाना पड़ता था, अब रात्रि में 3-4 बार जाना पड़ता है। मूत्र त्याग के बाद भी कुछ मात्रा में मूत्र निकलता रहता है। चन्द्रप्रभावटी से कुछ लाभ हुआ है।
दृ लगता है आपकी पौरुष ग्रन्थि बढ़ी हुई है, इसी कारण यह समस्या है। चन्द्रप्रभावटी आप लेते रहें। साथ में एक प्रोस्टीना कैप्सूल दिन में तीन बार लें एवं त्रिवंगशिला की एक-एक गोली दिन में तीन बार लें। यह चिकित्सा आप तीन मास तक करें, लाभ होगा।
भगवती प्रसाद, न्यू इटारसी, होशंगाबाद (म.प्र.)
थ् मुझे मूत्र रोग है। रात को बिस्तर खराब हो जाता है। रात भर सो नहीं पाता। कपड़े 24 घण्टे खराब होते रहते हैं। मूत्र पर मेरा वश नहीं है, वह बराबर होता रहता है। मैंने 1995 में शल्यचिकित्सा (आपरेशन) कराई थी, एक वर्ष ठीक रहा। अब पुन: यह रोग गंभीर हो गया है।
दृ आप त्रिवंगशिला की एक-एक गोली का दिन में तीन बार तीन मास तक सेवन करें। सर्दियों में आप 25-50 ग्राम भुने चने खूब चबाकर खाने के बाद थोड़ा गुड़ खाकर पानी पी लें, इससे भी मूत्र की मात्रा कम होगी। दोपहर के भोजन के बाद दो पके केले खाएं, इससे भी मूत्र कम आएगा। अंगूर खाने से भी मूत्र कम होता है। साथ ही मेथीदाना 6 ग्राम लेकर थोड़ा कूट लें और रात्रि में 250 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रात: इसे खूब घोंटें और कपड़े से छानकर, बिना मीठा मिलाए पी लिया करें। इस विधि का दो मास तक सेवन करने से मूत्र पर नियन्त्रण होगा।
——————————————————————————–
हमारे विशेषज्ञ
1. डा. हर्षवर्धन, (एम.बी.बी.एस., एम.एस.) नाक, कान एवं गले के देश के सुप्रसिद्ध चिकित्सक हैं। वह दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। सम्प्रति वि·श्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण एशिया के सलाहकार हैं।
2. डा. इन्द्रनील बसु राय, (एम.बी.बी.एस., एम.डी.) कलकत्ता के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ हैं।
3. डा. योगेन्द्र सिंह, (आयुर्वेदाचार्य) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली कार्यालय स्थित केशव चिकित्सालय एवं विश्व हिन्दू परिषद् के मुख्यालय रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली स्थित चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधिकारी हैं। रोग का विवरण, अपना नाम एवं पता साफ-साफ अक्षरों में लिखें। उत्तर पाने के लिए आवश्यक है कि बगल में लिखा गया पता लिफाफे पर चिपकाया जाए। पाठकों से अनुरोध है कि समस्या के साथ बैरंग डाक टिकट, पता लिखा लिफाफा/पोस्टकार्ड आदि न भेजें और न ही व्यक्तिगत रूप से उत्तर दिए जाने का आग्रह करें, ऐसा कर पाना संभव नहीं है। पाठकगण अपनी समस्याएं इस पते पर भेज सकते हैं।
आरोग्य चर्चा
द्वारा सम्पादक,
पाञ्चजन्य
संस्कृति भवन, झण्डेवाला
देशबन्धु गुप्ता मार्ग,
नई दिल्ली-110055
12
टिप्पणियाँ