|
जहाजपुरा को साम्प्रदायिकआग में झोंकने की कोशिशगत 16 जुलाई को जहाजपुरा (भीलवाड़ा) में हिन्दू समाज का एक 10 वर्षीय मंदबुद्धि बालक लापता हो गया। उसके परिजन व कुछ पड़ोसी देर रात तक उसे नागदी बांध व आस-पास के स्थानों पर तलाशते रहे। इसी रात नागदी नदी के किनारे स्थित दो मजारों को कुछ असामाजिक तत्वों ने आंशिक रूप से खंडित कर दिया। इसको लेकर मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोग 17 जुलाई को एकत्र हुए और बाजार बंद कराने के नाम पर उपद्रव तथा लूटपाट करने पर आमादा हो गए। शहर के दिल्ली दरवाजे के पास स्थित श्री शंकर अग्रवाल की दुकान को भी लूटने की कोशिश की गई। इसके बाद ये लोग तहसील व पुलिस थाना पहुंचे, वहां ज्ञापन दिया। जिसमें प्रशासन को 24 घण्टे के भीतर अपराधी को गिरफ्तार करने की धमकी देने के साथ ही पुलिसकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार किया व हिन्दू समाज-विरोधी नारे लगाए। ज्ञापन में ऐसे 10 लोगों के नाम भी दिए गए जो पिछली रात गुमशुदा बच्चे को ढूंढ रहे थे। पुलिस ने एक-एक करके इन लोगों के अलावा अन्य लोगों से पूछताछ की, जिन्हें बाद में (18 जुलाई को) धारा 107 व 151 के तहत गिरफ्तार कर निजी मुचलके व जमानत पर रिहा कर दिया गया। मुस्लिम समुदाय ने पुन: थाने जाकर इसका विरोध किया और पुलिस-प्रशासन पुन: दबाव में आ गया और पुन: इन लोगों को थाने बुलाकर प्रताड़ित किया गया, इससे हिन्दुओं में आक्रोश पैदा हो गया। हिन्दू समुदाय के एक प्रतिनिधिमण्डल ने जिलाधिकारी को एक 12 सूत्रीय ज्ञापन दिया, जिसमें मांग की गई कि निरपराध लोगों को प्रताड़ित न किया जाए। किन्तु मुस्लिम समुदाय के दबाव में आए प्रशासन ने एक निर्दोष व्यक्ति, त्रिलोक जोशी को सन्देह के आधार पर बन्दी बना लिया। पुलिस रातों-रात त्रिलोक को शाहपुर ले गई, जबकि वह अस्वस्थ हो गया था। 20 जुलाई को न्यायालय ने त्रिलोक को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इस तरह पुलिस- प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय के दबाव में आकर एक निर्दोष व्यक्ति को मुल्जिम करार देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके विरोध में 20 जुलाई से अनिश्चित काल के लिए बाजार बन्द की घोषणा कर दी गई। 21 जुलाई को श्री शंकर लाल अग्रवाल की ओर से मुस्लिम समाज के कुछ लोगों के खिलाफ हमला, लूटपाट तथा मारपीट करने की धमकी दिए जाने की नामजद रपट दर्ज करवाई गई। इसके बाद प्रशासन ने सायं 5 बजे शान्ति समिति की बैठक बुलाई लेकिन इसमें मुस्लिम समाज का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। इसके बाद 22 जुलाई को प्रात: 10 बजे पुन: शांति समिति की बैठक बुलाई गई, पर मुस्लिम समाज का एक भी व्यक्ति दोपहर 12 बजे तक नहीं आया। अत: प्रशासन ने अपने वाहन भेजकर उन्हें बुलाया। 12.30 बजे बैठक शुरू हुई, जिसमें काफी देर तक आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते रहे। अन्तत: सर्वसम्मति से आठ बिन्दुओं पर शीघ्र कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।23 जुलाई से बाजार पुन: खुल गया। किन्तु दस दिन बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने लिए गए निर्णय के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं की। 3 अगस्त को पुन: हिन्दू समाज ने ज्ञापन देते हुए 10 अगस्त तक कार्रवाई करने का अग्रह किया तथा न करने पर 11 अगस्त से धरना देने की चेतावनी दी। प्रशासन फिर भी निष्क्रय रहा। 11 अगस्त से धरना व प्रदर्शन प्रारम्भ किया गया। 12 अगस्त की रात पुन: ग्राम पण्डेर में एक मस्जिद में कथित तोड़-फोड़ व आगजनी की घटना हो गई। जिसकी सूचना मस्जिद में रह रहे एक नेपाली मौलवी ने स्थानीय पुलिस को न देकर 13 अगस्त को पुलिस थाने में दी। इसे लेकर मुस्लिम समुदाय में फिर आक्रोश पैदा हो गया व जहाजपुर के करीब 100 लोग एकत्र होकर ग्राम पण्डेर गए तथा वहां प्रशासन द्वारा कराए जा रहे मरम्मत के कार्य को रोका व वापस जहाजपुर आ गए। इसके बाद करीब 800 लोग एकत्र होकर जहाजपुर तहसील कार्यालय गए और ज्ञापन दिया। इन लोगों ने जिलाधीश के सामने पाकिस्तान जिन्दाबाद, दिल्ली के लालकिले पर इस्लामी झण्डा फहराएंगे, आदि देशद्रोही नारे लगाए किन्तु प्रशासन मूक बन रहा। 14 अगस्त को मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोगों ने एकत्रित होकर पुन: ज्ञापन दिया और प्रशासन को 24 घण्टे में अपराधियों को पकड़ने की चेतावनी दी। 15 अगस्त को हिन्दू समाज की ओर से शान्ति समिति के निर्णयों पर अमल न करने के कारण प्रशासन को ज्ञापन दिया गया, जिसमें 16 अगस्त से अनिश्चित काल के लिए बन्द व 17 अगस्त को बड़ी रैली का आयोजन करने की सूचना दी। तब प्रशासन ने पूरे जिले में धारा 144 लगा दी ताकि हिन्दुओं का आन्दोलन कुचल दिया जाए। 17 अगस्त को जहाजपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर एक स्थान पर हिन्दू समाज के लोग एकत्रित होने लगे। वहां 10 हजार से अधिक हिन्दू एकत्र हो गए। पुलिस ने नगर में आने वाले सभी मार्गों को बन्द कर दिया था, किन्तु लोग उधर-उधर से पैदल चलकर आते रहे। इसके बाद एक सभा में सर्वसम्मिति ने निर्णय लिया गया व एक ज्ञापन तैयार किया गया, जिसमें राजस्थान सरकार के गृहमंत्री के जहाजपुर आने तक बाजार बंद रखने व इसकी समय सीमा 23 अगस्त तक तय की गई।लोगों का मानना है कि पण्डेर काण्ड में उसी मौलाना का हाथ है जो मस्जिद में ही रहता है। मौलवी के अनुसार 3-4 व्यक्ति रात में मस्जिद में आए तो वह वहां से बाहर निकलकर अन्य के घर पर जाकर क्यों सो गया? रात में ही पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी? किन्तु मुस्लिम समुदाय के दबाव के कारण उस मौलाना को नहीं पकड़ा गया व व्यर्थ में ही हिन्दुओं को बार-बार थाने में बुलाकर उनको धमकाया जा रहा है। इस प्रकार पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है जिससे हिन्दू समुदाय के लोगों के मन में काफी आक्रोश बना हुआ है, जो कभी भी विस्फोटक रूप धारण कर सकता है। — प्रतिनिधि20
टिप्पणियाँ