|
जब कैदी आनन्द से भावविभोर हो उठेएक व्यक्ति जो अपने घर-परिवार से दूर रहता हो उसे पर्व-त्योहार के अवसरों पर अपने घर की याद अवश्य सताती है। और जब व्यक्ति एक कैदी के रूप में कारागृह में सजा काट रहा हो तो यह याद और असहनीय हो जाती है। रक्षाबंधन जैसे पर्व पर कैदी अपने आपको घर से दूर न पाएं, राखी के बिना उनकी कलाई सूनी न रहे, इन्हीं उद्देश्यों को लेकर रक्षाबंधन के दिन आरा (बिहार) में एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया गया।स्थानीय सरस्वती शिशु मन्दिर के 33 छात्र-छात्राओं द्वारा आरा के कारागृह परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 1000 कैदियों को राखियां बांधी गईं। इस अवसर पर बच्चों को शिशु मन्दिर के दस आचार्यों एवं वनाञ्चल शिक्षा समिति के प्रदेश मंत्री श्री कृपा शंकर शर्मा का कुशल नेतृत्व मिला। बच्चों के स्नेह और श्रद्धा को देखकर मुस्लिम कैदियों ने भी सहर्ष अपनी कलाइयों पर राखी बंधवाई। कई कैदी इतने आत्मविभोर हो उठे कि उनकी आंखों में अश्रुधारा फूट पड़ी। राखी बंधवाने के बाद कैदियों ने बच्चों को नेग स्वरूप पैसे भी देने चाहे, किन्तु बच्चों ने उनसे सद्मार्ग पर चलने का आ·श्वासन एवं आशीर्वाद मांगकर उपस्थित गण्यमान्यजन को आश्चर्यचकित कर दिया।कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए श्री कृपा शंकर शर्मा ने कहा कि प्रेम का मूल्य समाज में अच्छे कार्य करके ही चुकाया जा सकता है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री बलीन्द्र प्रसाद ने घोषणा की कि लम्बे समय से बंद कैदी यदि अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, तो उनके विद्यालय द्वारा नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी।द अखिलेश कुमार11
टिप्पणियाँ