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कुनमिंग की स्थिति ऐसी है कि वह म्यांमार और भारत के बीच एक अति संवेदनशील क्षेत्र है, जो एक व्यापारिक केन्द्र बनता जा रहा है। 2 जून की शाम युन्नान की समाज विज्ञान अकादमी के 15 प्रमुख विद्वानों ने राष्ट्रपति और उनके साथ गए प्रतिनिधिमंडल के साथ एक महत्वपूर्ण चर्चा की। इस चर्चा में विद्वानों ने प्रस्ताव रखा कि कुनमिंग को भारत का भी इस प्रकार समर्थन मिलना चाहिए कि वह इस क्षेत्र का पर्यटन तथा व्यापारिक केन्द्र बनकर उभरे। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि- 1. भारत सरकार कुनमिंग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक पर्यटन समझौता करे। 2. कुनमिंग के लिए भारत-चीन का एक उच्चस्तरीय पर्यटन शिष्टमंडल यहां आए। 3. कलकत्ता और कुनमिंग के बीच विमान सेवा शुरू की जाए। उन्होंने यह भी रहस्योद्घाटन किया कि कुनमिंग इस क्षेत्र का सबसे बड़ा व्यापारिक केन्द्र रहा है और द्वितीय वि·श्व युद्ध के दौरान न केवल कलकत्ता और कुनमिंग के बीच में सड़क मार्ग था, बल्कि कुनमिंग और कलकत्ता के बीच तेल की पाइप लाइनें थीं। बीच के अन्तराल में ये रास्ते बंद हो गए।राष्ट्रपति नारायणन ने सभी विद्वानों की बात सुनने के बाद आश्वासन दिया कि यह चर्चा केवल एक-दूसरे से मिलने तक ही सीमित नहीं रही है, बल्कि हम समझते हैं कि इससे एक-दूसरे के मन का मिलन हुआ है। आपने जो सुझाव दिए हैं वे बहुत महत्वपूर्ण हैं, व्यावहारिक हैं। परन्तु इसके लिए दोनों देशों की सरकारों तथा प्रान्तीय सरकारों से भी स्वीकृति लेने की आवश्यकता होगी। राष्ट्रपति के साथ गए शिष्टमंडल में भारी उद्योग मंत्री श्री मनोहर जोशी, भाजपा सांसद श्रीमती सुषमा स्वराज, माकपा के सांसद श्री सोमनाथ चटर्जी, कांग्रेस के महासचिव श्री सुशील कुमार शिंदे तथा कांग्रेस नेता श्री मुरली देवड़ा भी थे। उन्होंने भी इस अवसर पर प्रस्ताव के बारे में सकारात्मक बयान दिए।परन्तु कूटनीतिक पंडितों का कहना है कि इस क्षेत्र में एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केन्द्र बनाने के पीछे सुरक्षा की गहरी चिन्ताएं भी करनी चाहिए। यह क्षेत्र पहले ही संवेदनशील है। म्यांमार और बंगलादेश से पूरे पूर्वांचल में घुसपैठिए आते हैं, हथियारों की तस्करी होती है तथा यह क्षेत्र पूरे पूर्वी एशिया के लिए सुरक्षा का भी एक चिन्ताजनक पहलू बन सकता है। इस विषय पर जल्दबाजी में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।19
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