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हमारा बराबरी का रिश्ता है- प्रो. ब्राजलाल रिणवाअध्यक्ष, पंजाब प्रदेश भाजपापंजाब प्रदेश के नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष प्रो. ब्राजलाल रिणवा गत 8 वर्षों से राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। डी.ए.वी. कालेज अबोहर (जि. फिरोजपुर) में गणित विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके श्री रिणवा बाल्यकाल से ही संघ के स्वयंसेवक हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वे भाजपा से जुड़े। अध्यक्ष बनने से पूर्व वे पंजाब भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे। सर्वसम्मति से प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के पश्चात् गत दिनों दिल्ली आने पर हमें उनके विचार जानने का अवसर मिला। प्रस्तुत हैं उनसे हुई वार्ता के मुख्य अंश-पंजाब भाजपा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद मेरी सबसे पहली प्राथमिकता यह है कि अपने संगठन को निचले स्तर तक, ग्राम स्तर तक मजबूत किया जाए। इसके साथ ही लगभग दो वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए हम अनेक कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में हमारा प्रदर्शन अच्छा रहे। पंजाब में पिछले तीन वर्षों के भाजपा-अकाली दल के शासन का अच्छा अनुभव रहा है। हां, यह बात ठीक है कि भाजपा और अकाली दल के कार्यकर्ताओं में निचले स्तर पर समन्वय नहीं है। इस सम्बंध में अकाली दल के प्रधान श्री प्रकाश सिंह बादल से हमारी लम्बी वार्ता हुई है और प्रत्येक जिले में सात सदस्यीय समन्वय समिति के गठन का निर्णय लिया गया है, जिसमें तीन सदस्य भाजपा के तथा चार सदस्य अकाली दल के होंगे।अकाली दल-भाजपा के पिछले तीन वर्ष के शासनकाल की सबसे प्रमुख उपलब्धि यह रही है कि हमने जिस प्रमुख मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ा था, उसे हमने पूर्ण किया है। हमने अपने चुनावों में कहा था कि हिन्दू-सिख (सहजधारी और केशधारी) के बीच जो खाईं पैदा करने की कोशिश की गयी है, उसे हम समाप्त करेंगे और इन दोनों समुदायों के बीच परस्पर स्नेह और वि·श्वास का वातावरण निर्मित करेंगे। और हमें प्रसन्नता है कि हमें इस दिशा में अभूतपूर्व सफलता मिली है। यह बात सही है कि पंजाब के कुछ राजनीतिक दल विशेषकर अकाली दल (मान) और अकाली दल (टोहरा) कुछ आतंकवादियों को बलिदानी कहते हैं, उनकी बरसी पर जाते हैं, पर अकाली दल (बादल) में ऐसा नहीं है। इस सम्बंध में श्री प्रकाश सिंह बादल और भाजपा नेतृत्व की सोच एक जैसी है। श्री बादल की इस राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण से ही कुछ लोगों ने पिछले दिनों रा.स्व. संघ व उसकी शाखा को मुद्दा बनाकर समाज में वैमनस्य पैदा करने का प्रयत्न किया था। पर इसमें वे सफल नहीं हुए क्योंकि हमारी सरकार सचेत है।जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा स्वायत्तता की प्रस्ताव पारित करने के पश्चात् पंजाब के भी कुछ राजनीतिक दलों ने पंजाब की स्वायत्तता की मांग उठाई थी और आनंदपुर साहिब के प्रस्ताव को मुद्दा बनाया था। ऐसी मांग करके वे पंजाब की गठबंधन सरकार में दरार डालना चाहते थे। पर गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री श्री बादल ने इसे पूरी दृढ़ता से नकार दिया। हम स्वायत्तता नहीं बल्कि राज्य सरकार के लिए कुछ अधिक अधिकार और अधिक वित्तीय स्वतंत्रता चाहते हैं। यदि राज्य अधिक मजबूत बनेंगे तो केन्द्र भी अधिक शक्ति-सम्पन्न होगा।जहां तक पंजाब सरकार में भाजपा की भूमिका और पंजाब की राजनीति में भाजपा के अकाली दल का छोटा भाई होने की बात है तो अब लोगों को यह स्पष्ट दिखायी देने लगा है कि छोटे भाई-बड़े भाई की कोई बात नहीं है बल्कि बराबरी की बात है। अध्यक्ष बनने के बाद हमने कार्यकर्ताओं से भी कहा है कि हम आगामी विधानसभा चुनावों में 50 प्रतिशत विधानसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ सकते हैं बशर्ते हमारा संगठन ग्राम स्तर तक मजबूत हो। एक कार्यकर्ता ने मुझसे पूछा कि क्या हमारा मुख्यमंत्री भी बन सकता है, तो मैंने कहा, क्यों नहीं बन सकता है। इसकी अखबारों में बड़ी चर्चा हुई। इस बारे में श्री बादल ने बहुत अच्छी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि उनको यह कहने का अधिकार है। जिस दल के भी अधिक विधायक चुनकर आएंगे, उनका मुख्यमंत्री बनेगा। श्री बादल की इस प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि वे हमें कम नहीं आंकते हैं, बल्कि बराबरी का दर्जा देते हैं। — प्रस्तुति: जितेन्द्र तिवारी26
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