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मानवाधिकारवादी कंधार क्यों नहीं गए?आतंकवादियों को भारतीय न्याय व्यवस्था और कानूनों का लाभ क्यों दिया जा रहा है?सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक सरदार जोगिन्दर सिंह ने पाञ्चजन्य से एक बातचीत में कहा कि मुझे आश्चर्य है कि विमान अपहरण जैसी घोर अमानवीय घटना पर वे तमाम मानवाधिकारवादी चुप्पी साध गए जो पंजाब, कश्मीर या पूर्वांचल में आतंकवादियों के विरुद्ध सुरक्षाबलों की कार्रवाई का विरोध करने सड़कों पर उतर आते थे। उन्होंने कहा कि वे तमाम मानवाधिकारवादी जो पाकिस्तान से दोस्ती के लिए वाघा सीमा पर मोम्बत्तियां जलाने जाते थे,(जैसे-कुलदीप नैय्यर, शबाना आजमी आदि) कंधार जाकर अपहत्र्ताओं से बात कर उनका हृदय परिवर्तन करने और बंधकों को छुड़ाने क्यों नहीं गए?श्री जोगिन्दर सिंह ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के समय स्थानीय न्यायपालिका जिला मजिस्ट्रेट के अन्तर्गत होती थी। आज कम से कम आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में यह व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता है। आतंकवादियों को 5-5 साल तक जेलों में रखने का कोई अर्थ नहीं है। आज तक कोई न्यायाधीश क्या किसी आतंकवादी को सजा दे पाया है? उसके खिलाफ बयान देने ही कोई नहीं आता। इसलिए भारतीय नागरिकों के लिए बनाए गए कानूनों का लाभ आतंकवादियों को नहीं मिलना चाहिए। श्री सिंह ने यह भी कहा कि सरकार को आतंकवाद से लड़ रहे पुलिस अधिकारियों को संरक्षण देना चाहिए। पंजाब से आतंकवाद समाप्त करने का श्रेय जिन पुलिस अधिकारियों को है, वे अवकाशग्रहण करने के बाद भी मानवाधिकारवादियों द्वारा चलाए गए दर्जनों मुकदमों में फंसे पड़े हैं। ऐसी स्थिति में कोई पुलिस अधिकारी पहल करने में डरता है।18
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