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सीधी सी बात है-हिन्दी स्वयं में सम्पूर्ण भाषा है। आसानी या सरलता के छद्म बहाने बनाकर हिन्दी में अंग्रेजी का धाराप्रवाह प्रयोग कितना उचित है? कई बार ऐसा प्रयोग खटकते हुए भी चल जाता है, जैसे टी.वी., बस, कार, टैक्सी, स्कूटर या मीडिया। जहां होना यह चाहिए था कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं आम जनजीवन में प्रयोग होने वाले विदेशी शब्दों के सरल, सुबोध हिन्दी पर्याय ढूंढ निकाले जाते या हिन्दी में वही अर्थ बताने वाले अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द शामिल कर लिए जाते, वहीं हो यह गया कि हिन्दी में अंग्रेजी बड़े वीभत्स रूप में प्रयोग होने लगी है, जिसे प्राय:
बड़े बैंक डिफाल्टरों के नाम घोषित करने का फैसला
हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 26 जनवरी, 2000 के पृष्ठ 11 पर प्रकाशित
इसे भेजने वाले हैं- श्री अमित कुमार,
49, प्रतापखण्ड, झिलमिल, दिल्ली-95
स्टार, जी आदि दूरदर्शन वाहिनियों पर भी सुना जाता है। यदि हमारे पाठक इस बात से सहमत हैं कि जहां तक संभव हो हिन्दी को हिन्दी ही बने रहना चाहिए और इसमें केवल उन विदेशी शब्दों को ही हजम करके शामिल करना चाहिए जो बहुत जरूरी हों, तो वे इस स्तम्भ में हिन्दी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी के अस्वीकार्य प्रयोग के उदाहरण हमें भेजें। भेजने का तरीका यह है कि जिस लेख, सम्पादकीय, समाचार आदि में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग उन्हें खटकने वाला और अनावश्यक प्रतीत हो, उसकी एक कतरन अथवा मूल अंश की छाया प्रति हमें भेज दें। कतरन या छाया प्रति के नीचे समाचार पत्र या पत्रिका का नाम, उसके प्रकाशन की तिथि तथा पत्र-पत्रिका के प्रकाशन के स्थान का स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक है। साथ में अपना पता भी साफ-साफ लिखकर भेजें। प्रत्येक प्रकाशित उदाहरण पर 50 रुपए का पुरस्कार है। अस्वीकृत सामग्री लौटाने की व्यवस्था नहीं है। अपनी सामग्री इस पते पर भेजें।
ऐसी भाषा-कैसी भाषा?
पाञ्चजन्य (साप्ताहिक)
संस्कृति भवन, देशबंधु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55
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