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वातरोग की चिकित्सा– डा. योगेन्द्र सिंहलोकराज अग्रवाल, कालिम्पांग.प. बंगालथ् मेरी आयु 60 वर्ष है। पिछले पांच वर्ष से सर में दर्द रहता है। डेढ़ वर्ष से खुजली है। शरीर में बार-बार खाज एवं फुन्सियां होती हैं। कभी-कभी चमड़ी में भारी जलन होती है। कृपया इसका निदान बताएं।दृ आप शिरशूलाद्रि व्रज रस की दो-दो गोलियों का दिन में तीन बार सेवन करें। साथ में प्रात: एक मास तक एक चम्मच हरिद्राखण्ड सेवन करें। विड़गारिष्ट के 4-4 चम्मच समान मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद दोनों समय सेवन करें।रामधनी चौधरी, अजीज नगर (उ.प्र.)थ् मेरी उम्र लगभग 42 वर्ष है। प्रसन्नता या भय की बात सुनने पर शरीर अनियन्त्रित होने लगता हैं। शरीर में कंपकपी सी होती है। कृपया निदान बताएं।दृ लगता है आपको वात प्रकृति है। शरीर में वायु अधिक है। आप नित्य तिल के तेल की मालिश करें। साथ में अश्वगन्धा चूर्ण 5-5 ग्राम प्रात:-सायं गो दुग्ध के साथ सेवन करें। साथ में प्रभाकर वटी 2-2 गोली प्रात:-सायं सेवन करें। द्रासासव के 4-4 चम्मच समान मात्रा में पानी मिलाकर दोनों समय भोजन के बाद लें। गाय के दूध एवं घृत का सेवन करें, लाभकारी रहेगा।देशराज, सोहन कालोनी, वल्लभगढ़थ् मेरे पुत्र की आयु 1 वर्ष 2 माह है। उसके शरीर में असामान्य हरकतें होती रहती हैं। वह बैठता नहीं है। टांगें चलती रहती हैं, हाथ कम चलते हैं। गर्दन में झटके से लगते रहते हैं। उसे नींद नहीं आती। रोते समय आंसू नहीं आते। उसकी समझ भी कम विकसित है। कई प्रकार के परीक्षण कराए, चिकित्सकों को दिखाया पर कोई लाभ नहीं हुआ। हम निराश हो चुके हैं। क्या आयुर्वेद से आशा की जा सकती है?दृ सम्पूर्ण विवरण पढ़ने के बाद यही निष्कर्ष निकलता है कि आपके बेटे को वात व्याधि है। शिशु की वात व्याधिकष्ट साध्य है। फिर भी कुछ औषधियों का प्रयोग आप करके देखिए उससे कुछ लाभ मिलेगा। अ·श्वगंधा चूर्ण आधा ग्राम, जयमासी आधा ग्राम, दोनों शहद में मिलाकर प्रात:-सायं, दोनों समय प्रयोग कराएं। साथ में सारस्वतारिष्ट 1-1 चम्मच प्रात:-सायं दीजिए। तिल के तेल की मालिश प्रतिदिन समूचे शरीर पर करें। गो दुग्ध एवं गो घृत का सेवन करें। लाभ मिलेगा, परन्तु धैर्य के साथ आपको एक साल तक चिकित्सा करनी होगी। द——————————————————————————–हमारे विशेषज्ञ1. डा. हर्षवर्धन, (एम.बी.बी.एस., एम.एस.) नाक, कान एवं गले के देश के सुप्रसिद्ध चिकित्सक हैं। वह दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। सम्प्रति वि·श्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण एशिया के सलाहकार हैं।2. डा. इन्द्रनील बसु राय, (एम.बी.बी.एस., एम.डी.) कलकत्ता के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ हैं।3. डा योगेन्द्र सिंह, (आयुर्वेदाचार्य) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली कार्यालय स्थित केशव चिकित्सालय एवं वि·श्व हिन्दू परिषद् के मुख्यालय रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली स्थित चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधिकारी हैं।पाठकगण अपनी समस्याएं इस पते पर भेज सकते हैं। रोग का विवरण, अपना नाम एवं पता साफ-साफ अक्षरों में लिखें। उत्तर पाने के लिए आवश्यक है कि बगल में लिखा गया पता लिफाफे पर चिपकाया जाए।आरोग्य चर्चाद्वारा सम्पादक, पाञ्चजन्यसंस्कृति भवन, झण्डेवालादेशबन्धु गुप्ता मार्ग, नई दिल्ली-11005511
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