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संघ गीत
फहरता भगवा दुलारा
सुमति-उन्नति-शान्ति पथ पर, बढ़ रहा प्रिय देश सारा।
पग मिलाकर बढ़ चले सब, धन्य है जीवन हमारा।।
आज बदली हैं हवाएं, भिन्न-मन-जन निकट आए,
संस्कृति-विरासत-मूलता पर, आस्था अपनी जताए।।
एक है ध्वनि आज सबकी, और सबका एक नारा।।
बढ़ रहा प्रिय देश सारा..
राष्ट्रवादी शक्ति जागी, शत्रुओं की देह कांपी,
उन्नयन को प्रगतिशीला, वि·श्व भारत-शक्ति भांपी।
वि·श्व-नभ में राष्ट्र चमका, पुन: बनकर सूर्य-तारा।।
बढ़ रहा प्रिय देश सारा..
कृषक-श्रमिकों का परिश्रम, उच्च है विज्ञान का क्रम,
और रक्षा-क्षेत्र में भी, है मिटाया पश्चिमी श्रम।
आत्मनिर्भर-स्वाभिमानी, बन खड़ा है जग सहारा।।
बढ़ रहा प्रिय देश सारा…
हैं उपासक शक्ति के पर, शान्ति का व्यवहार प्यारा,
शान्ति-प्रियता के लिए है, वि·श्व भी कायल हमारा।
विजिगिषा हमने दुलारी, फहरता भगवा दुलारा।।
बढ़ रहा प्रिय देश सारा….
द डा. श्रीकान्त
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