|
– हो.वे. शेषाद्रि, सरकार्यवाह, रा.स्व. संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री हो.वे. शेषाद्रि ने कहा कि वनवासी हिन्दू समाज का अभिन्न अंग हैं। अंग्रेजों ने षड्यंत्र के तहत वनवासियों को आदिवासी नाम दिया ताकि उन्हें पृथक और हेय समझा जाए। उन्होंने सम्पन्न और प्रबुद्ध नागरिकों से वनवासियों के आर्थिक एवं शैक्षणिक सुधार के प्रयासों में शामिल होने की अपील की है। श्री शेषाद्रि गत 15 सितम्बर को जयपुर में वनवासी कल्याण आश्रम के अन्तरताने पर अन्त:क्षेत्र (वेबसाइट) के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
वनवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्मान्तरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी मिशनरियों का जाल फैला हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों को धर्मान्तरण की खुली छूट दी गई।
अन्तरताने पर कल्याण आश्रम की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए शुरू किए गए अन्त:क्षेत्र को प्रशंसनीय कार्य बताते हुए उन्होंने कहा कि संघ के कार्यकर्ता प्रचार से दूर रहते हैं लेकिन हिन्दुत्व के विरुद्ध दुष्प्रचार को दूर करना संघ का दायित्व है। इस अन्त:क्षेत्र के निर्माता कुणाल जैन और रुचि जैन ने बताया कि इससे अन्तरताने पर देश-विदेश में आश्रम की गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध होगी। वनवासी जीवन, पूजा पद्धति, उनका इतिहास, सभी कुछ इस पर उपलब्ध है। कार्यक्रम में बताया गया कि करीब 50 हजार जनजाति गांवों में से 22 हजार से अधिक गांवों में आश्रम की ओर से चिकित्सा एवं शिक्षा प्रकल्प चले रहे हैं।
अन्तरताने पर वनवासी कल्याण आश्रम के इस अन्त:क्षेत्र का पता है-
ध्र्ध्र्ध्र्.त्त्ठ्ठथ्न्र्ठ्ठदठ्ठद्मण्द्धठ्ठथ्र्.दृद्धढ़ देहरादून में वैदिक साधन आश्रम का शरदोत्सव
वैदिक साधन आश्रम, तपोवन, देहरादून का शरदोत्सव इस वर्ष 13 अक्तूबर से प्रारम्भ होकर 17 अक्तूबर, 1999 को सम्पन्न होगा। यज्ञ के ब्राहृ व योग-साधना शिविर के निदेशक स्वामी दिव्यानन्द सरस्वती जी महाराज होंगे। उत्सव में मुख्य प्रवचनकर्ता डा. सत्यव्रत राजेश (पूर्व प्राध्यापक, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय) होंगे।
निवेदक- देवदत्त बाली, मंत्री, वैदिक साधन आश्रम, देहरादून (उ.प्र.) 39
टिप्पणियाँ