नई दिल्ली, (हि.स.)। यमन में मौत की सजा पा चुकी केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रुकवाने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने जस्टिस विक्रम नाथ से कहा कि यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्र कुछ खास नहीं कर सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने यमन सरकार से निमिषा प्रिया की फांसी की तिथि टालने का आग्रह किया है। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
ब्लड मनी पर बन सकती है बात
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार ने यमन सरकार से आग्रह किया है कि फांसी की तिथि टाली जाए। तब कोर्ट ने कहा कि हम इसमें आदेश कैसे दे सकते हैं। तब याचिकाकर्ता के वकील सुभाष चंद्रन केआर ने कहा कि नर्स की मां यमन में है, लेकिन वो एक घरेलू कामगार है। केंद्र सरकार पीड़ित परिवार से बात करे। ब्लड मनी का प्रबंध याचिकाकर्ता की ओर से किया जाएगा। क्योंकि अगर यमन में जिस व्यक्ति की मौत हुई है उसका परिवार ब्लड मनी पर राजी हो जाता है तो निमिषा प्रिया को मौत की सजा से बचाया जा सकता है।
निमिषा को फांसी की सजा क्यों
इससे पहले 10 जुलाई को सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने पूछा था कि निमिषा प्रिया को फांसी क्यों दी जा रही है। तब कोर्ट को बताया गया कि निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली है। वो यमन जाकर नर्स की नौकरी कर रही थी। यमन में एक स्थानीय व्यक्ति ने उसे प्रताड़ित करना शुरु कर दिया, जिसके बाद वो मारा गया। उन्होंने कहा था कि निमिषा प्रिया की फांसी 16 जुलाई को सुनाई जानी है।
यह है मामला
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया यमन में नर्स की नौकरी कर रही थी। यमन के कानून के मुताबिक केवल उसके नागरिकों को ही क्लीनिक और व्यावसायिक फर्म स्थापित करने की अनुमति है। इसलिए उसने 2014 में यमन की राजधाना सना में अपना क्लिनिक स्थापित करने के लिए यमन के नागरिक तलल आब्दो माहदी से काग पर शादी कर ली। इसके बाद माहदी ने उसे प्रताड़ित करना शुरु कर दिया, जिसके बाद दोनों के संबंध बिगड़ गए। महादी ने निमिषा का पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया। आरोप है कि निमिषा महादी के चंगुल से बचने के लिए एक यमनी नर्स के साथ योजना बनाकर महादी को नशीला इंजेक्शन दिया, जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। यमन की अदालत ने 7 मार्च, 2022 को निमिषा प्रिया की अपील खारिज कर दी थी।
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