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Voter Verification: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: पूरे देश में लागू होगा SIR

चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया, जिसे अब पूरे देश में लागू करने की योजना है। जानें SIR क्या है, इसका मकसद, विवाद और सुप्रीम कोर्ट का रुख। क्या यह मतदाता सूची को शुद्ध करेगा या लाखों लोगों के वोटिंग अधिकार को प्रभावित करेगा?

by Kuldeep Singh
Jul 14, 2025, 07:11 am IST
in भारत
EC to start SIR

प्रतीकात्मक तस्वीर

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Voter Verification: चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत के बाद अब इसे पूरे देश में लागू करने का ऐलान किया है। यह कदम मतदाता सूची को साफ-सुथरा करने और गैर-कानूनी प्रवासियों को हटाने के लिए उठाया गया है। लेकिन बिहार में यह प्रक्रिया विवादों में फंस गई थी। विपक्ष ने इसे ‘वोटबंदी’ का नाम देकर कहा कि इससे गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग वोट देने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं। फिर भी, आयोग ने इसे पूरे देश में लागू करने का फैसला किया है।

SIR क्या है और इसका मकसद?

SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण का मकसद मतदाता सूची को अपडेट और शुद्ध करना है। इसके लिए मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जन्म तिथि और स्थान से जुड़े दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। बिहार में यह प्रक्रिया 25 जून 2025 से शुरू हुई थी और 26 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की समयसीमा थी। आयोग का कहना है कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने, और गैर-कानूनी प्रवासियों की वजह से यह कदम जरूरी हो गया था। बिहार में 2003 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर यह अभियान चला।

विवाद और सुप्रीम कोर्ट का रुख

बिहार में SIR को लेकर विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया गरीब और कमजोर वर्गों को वोट देने से रोक सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज स्वीकार करने को कहा, जिसे आयोग ने मान लिया। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को रोकने से इनकार किया, लेकिन समयसीमा को लेकर सवाल उठाए।

इसे भी पढ़ें: Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

राष्ट्रीय स्तर पर SIR का असर

आयोग का दावा है कि देशभर में SIR लागू होने से मतदाता सूची की सटीकता बढ़ेगी। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं, खासकर वे जो जरूरी दस्तावेज जमा नहीं कर पाएंगे। आयोग ने भरोसा दिया है कि गरीब और वंचित समुदायों को परेशान नहीं किया जाएगा।

आगे की चुनौतियां

पूरे देश में SIR लागू करना आसान नहीं होगा। बिहार के अनुभव से सीख लेते हुए आयोग को पारदर्शिता और सभी को शामिल करने की नीति पर ध्यान देना होगा। विपक्ष का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है। लेकिन आयोग ने वादा किया है कि वह हर मतदाता के अधिकारों की रक्षा करेगा।

बिहार में चल रहा है वोटर वेरिफिकेशन

गौरतलब है कि इससे पहले बिहार में मतदाता सूची की जांच के दौरान चुनाव आयोग ने बड़ा खुलासा किया था। इसमें जांच के दौरान पता चला था कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के कई लोग मतदाता सूची में शामिल पाए गए हैं। यह बात रविवार को आधिकारिक बयान में सामने आई, जिसने पूरे बिहार में हड़कंप मचा दिया। चुनाव आयोग ने 25 जून 2025 से बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू किया। इसका मकसद मतदाता सूची को क्लीन करना है, यानी डुप्लिकेट नाम, गलत प्रविष्टियां और गैर-कानूनी प्रवासियों को हटाना। आयोग का कहना है कि पिछले 20 सालों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम जोड़े और हटाए गए, इसलिए यह कदम जरूरी था। अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को आएगी।

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