ब्रिटेन में इन दिनों एनएचएस अर्थात स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी हंगामा मचा हुआ है। वहाँ पर इसे लेकर दो मामलों में लोग अपनी बातें रख रहे हैं। पहला मामला है कि एनएचएस ने कई मदों में कटौती की है। और जिसमें नर्सिंग कॉर्सेस के लिए दिए गए पैसों में कटौती की गई है। टेलीग्राफ के अनुसार, सरकार ने नर्सिंग कोर्सेज के लिए धन देने में कटौती कर दी है, और जिसके कारण यह खतरा पैदा हो गया है कि वह अपनी उस शपथ पर कायम रह पाएगी कि एनएचएस विदेशी कामगारों पर निर्भर नहीं रहेगी।
बीबीसी ने मई की अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि इंग्लैंड में एनएचएस अपनी बुक्स को बैलेंस करने के लिए कई प्रकार की कटौती करने जा रही है। एनएचएस प्रदाताओं द्वारा ऐसी सेवाओं में बच्चों के लिए डायबिटिक देखभाल, रीहेब सेंटर और टॉकिंग थेरेपीज जैसे सेवाओं पर कैंची चलनी है। इसके साथ ही डॉक्टर और नर्स जैसे कर्मियों पर भी इसकी गाज गिरने की आशंका व्यक्त की गई थी।
इसमें एक बड़े अस्पताल ट्रस्ट के हवाले से बताया गया कि वह 1,500 नौकरियाँ कम करने की सोच रहा था, जो उसके कुल कार्यबल का लगभग 5% है, जिसमें डॉक्टर और नर्स शामिल हैं। इस बीच, एक मानसिक स्वास्थ्य ट्रस्ट के प्रमुख के हवाले से भी बीबीसी ने बताया कि उन्हें अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित वयस्कों के लिए रेफरल स्वीकार करना बंद करना पड़ा है, जबकि मनोवैज्ञानिक उपचारों के लिए प्रतीक्षा अवधि एक वर्ष से भी अधिक हो गई है।
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विश्वविद्यालयों में नर्सिंग कोर्सेज के लिए फंड ही नहीं
इसी बीच टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार जिस प्रकार से नर्सिंग कॉर्सेस में पैसे के लिए कमी की गई है, उसके अनुसार यूनिवर्सिटी में नर्सिंग कोर्स को जारी रखने के लिए पैसे की कमी हो रही है और पैसे बचाने के लिए लेक्चर की नौकरी में भी कमी कर रहे हैं।
इसमें लिखा है कि पिछले साल के घोषणापत्र में लेबर ने एनएचएस के लिए “कार्यबल और प्रशिक्षण योजना” के साथ “विदेशी श्रमिकों पर दीर्घकालिक निर्भरता को समाप्त करने” का वादा किया था। हालाँकि, शिक्षा सचिव ब्रिजेट फिलिप्सन ने अब विश्वविद्यालयों को चिकित्सा पाठ्यक्रम चलाने की अतिरिक्त लागतों को पूरा करने के लिए दिए जाने वाले अनुदानों पर रोक लगा दी है।
किन-किन कार्यक्रमों पर लगाई गई रोक
इनमें नर्सिंग, मिडवाइफरी और पैरामेडिक्स, रेडियोग्राफर और व्यावसायिक चिकित्सक जैसे “संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों” के लिए पाठ्यक्रम शामिल हैं। यूके यूनिवर्सिटी की चीफ इग्ज़ेक्यटिव विविएन स्टर्न ने कहा कि हम सरकार से लंबे समय के निवेश के बिना भविष्य के लिए एनएचएस वर्क फोर्स नहीं बना सकते हैं।
आप्रवासियों में कटौती के लिए गंभीर नहीं लेबर
वहीं इसे लेकर शैडो शिक्षा सचिव लॉरा ट्रॉट ने कहा कि यह कदम “इस बात का और सबूत है कि लेबर पार्टी इमिग्रेशन में कटौती के प्रति गंभीर नहीं है।” उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब ज्यादा से ज्यादा ब्रिटिश लोगों को नर्स बनना चाहिए, वे यूनिवर्सिटी के लिए पैसों मे कटौती कर रहे हैं और साथ ही उन्होंने सभी उच्च स्तरीय अप्रेन्टशिप बंद कर दी हैं, जिसके कारण एनएचएस वर्कफोर्स योजना में 11,000 की कमी आई है।
फिर उन्होंने कहा, “इन निर्णयों से हम विदेशी श्रम पर और अधिक निर्भर हो जाएंगे, जबकि हमें ब्रिटिश नौकरियों के लिए ब्रिटिश लोगों को प्रशिक्षित करना चाहिए।”
नर्सिंग का कोर्स तो कर लिया अब नौकरी नहीं है
टेलीग्राफ की एक और रिपोर्ट में नर्सिंग का कोर्स कर रही और कोर्स कर चुकी महिलाओं की पीड़ा है। 10 जुलाई को प्रकाशित इस रिपोर्ट में उन नर्सों की कहानी है, जिन्होंने नर्सिंग का कोर्स कर लिया है, मगर उनके पास नौकरी नहीं है।
एक लड़की ने कहा कि इससे पहले बैंड 5 पर नौकरी को लेकर एक रीक्रूटमेंट फ्रीज़ था, यह वही स्तर है जहां से नर्स की नौकरी आरंभ होती है। मगर उसकी मेन्टर ने बताया कि यह एनएचएस कि बजट के कारण हो रहा है। पैटिसन कहती हैं कि उनके नॉर्थम्प्टन विश्वविद्यालय के व्हाट्सएप ग्रुप के 140 छात्रों में से एक को भी अभी तक नौकरी नहीं मिली है। वे देश भर से स्नातक होने वाली उन हज़ारों नर्सों में शामिल हो गई हैं जो खुद को इस अजीब स्थिति में पाती हैं- और भी ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ कर्मचारियों की कमी भी है और दूसरी तरफ एनएचएस की वेटिंग लिस्ट भी बढ़ती जा रही है।“
NHS में 26,000 पद रिक्त, फिर भी भर्ती नहीं
लड़कियां पूछ रही हैं, कि यदि कोर्स करने के बाद नौकरी ही नहीं थी तो फिर ये कोर्स क्यों करवाए? मगर यह और भी हैरान करने वाली बात है कि कर्मियों की कमी तो है, मगर नौकरी नहीं। ऐसा कहा जा रहा है कि इंग्लैंड में ही अकेले एनएचएस में 26,000 नर्सों की जगह खाली है, मगर जब भी शिफ्ट में कर्मियों का अभाव होता है, तो उसे अक्सर एजेंसी के स्टाफ से भर दिया जाता है।
सोशल मीडिया पर भी लोग इसे लेकर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर लोगों के स्वास्थ्य से क्यों खेला जा रहा है? वहीं ट्रस्ट के अस्पतालों के डॉक्टर्स का कहना है कि हालांकि दुनिया आपके हाथ में है, मगर फिर भी हमें अपनी नर्सों को ब्रिटेन में ही रहने देना होगा। सोशल मीडिया पर भी लोग नर्सों का यह प्रश्न उठा रहे हैं कि “अगर एनएचएस के पास नर्स नहीं हैं तो हमें नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं?”
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