पुरातात्विक खोजों, धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक प्रभावों में पाए जाते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में, विशेष रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों में, हिंदू धर्म के प्रमाण मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, जापान, चीन, और मध्य एशिया में भी सनातन धर्म के प्रभाव के निशान पाए गए हैं।
थाईलैंड-
थाईलैंड और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने और गहरे हैं। विशेष रूप से हिंदू धर्म का प्रभाव थाईलैंड में आज भी देखा जा सकता है। यहाँ ब्रह्मा, विष्णु, शिव और गणेश जैसे प्रमुख हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में स्थित “एरावन ब्रह्मा मंदिर” बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है और थाई लोग इसे बहुत पवित्र मानते हैं।थाईलैंड के राजा स्वयं को भगवान राम का वंशज मानते हैं। यही कारण है कि थाईलैंड में रामायण की कथा को विशेष सम्मान दिया जाता है। थाईलैंड में रामायण के संस्करण को “रामकियन” कहा जाता है, जो देश का राष्ट्रीय महाकाव्य माना जाता है। रामकियन की कहानी मूल रूप से भारतीय रामायण पर आधारित है लेकिन इसमें स्थानीय रंग और शैली देखने को मिलती है। थाई लोग रामकथा को केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।
थाईलैंड की पूर्व राजधानी का नाम अयुत्थया था, जो भारत के अयोध्या से प्रेरित होकर रखा गया था। अयोध्या वह स्थान है जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। भारत की अयोध्या और थाईलैंड की अयुत्थया के बीच लगभग 3500 किलोमीटर की दूरी है, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से ये दोनों स्थान एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। इतिहासकारों के अनुसार, हिंदू धर्म थाईलैंड में सबसे पहले भारतीय व्यापारियों और यात्रियों के माध्यम से पहुँचा था। जब भारतीय व्यापारी दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर व्यापार करने निकले, तो वे अपने साथ संस्कृति, धर्म और परंपराएं भी लेकर गए। थाईलैंड को भारत के प्राचीन ग्रंथों में “सुवर्णभूमि” कहा गया है, जिसका अर्थ है “सोने की भूमि” या “ईश्वर की भूमि”। यह नाम इस बात को दर्शाता है कि भारत के लोग थाईलैंड को एक समृद्ध और पवित्र स्थान मानते हैं। थाईलैंड में आज भी बहुत से त्योहार, परंपराएं और नृत्य-नाट्य भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं। मंदिरों की वास्तुकला में भी हिंदू धर्म की झलक साफ दिखाई देती है। कई थाई मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। विशेष अवसरों पर वहाँ पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें कई बातें भारत से मेल खाती हैं। थाई भाषा और लिपि पर भी संस्कृत और पाली भाषा का असर देखा जा सकता है।
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