मतदाता सूची: 100 लोगों पर 120 आधार कार्ड, पारदर्शिता और सत्यापन जरूरी
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

आधार को नागरिकता का प्रमाण मानने का भ्रम लोकतांत्रिक प्रक्रिया और मतदाता सूची की शुचिता पर संकट पैदा करता है, जिससे पारदर्शिता और सत्यापन की आवश्यकता बढ़ जाती है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jul 12, 2025, 08:30 am IST
in भारत, विश्लेषण, पश्चिम बंगाल, बिहार
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारतीय लोकतंत्र में नागरिकता की पहचान सदैव एक केंद्रीय प्रश्न रही है। आधार कार्ड की शुरुआत इसी संदर्भ में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में हुई थी। एक ऐसी विशिष्ट पहचान प्रणाली के रूप में, जो प्रत्येक नागरिक को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने तथा प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई थी। किंतु, हालिया आंकड़ों और घटनाओं ने आधार की विश्वसनीयता, सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

आंकड़ों के पीछे छिपा संकट

बिहार के सीमावर्ती जिलों (किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया) में आधार सैचुरेशन दर 120 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है। सैचुरेशन का अर्थ है किसी क्षेत्र की कुल जनसंख्या की तुलना में जारी किए गए आधार कार्डों की संख्या। जब 100 व्यक्तियों पर 126 आधार कार्ड जारी हों, तो यह न केवल तकनीकी गड़बड़ी की संभावना को खारिज करता है, बल्कि सुनियोजित फर्जीवाड़े, अवैध घुसपैठ और पहचान की नकल की ओर भी संकेत करता है। प्रश्न उठता है, ये अतिरिक्त आधार कार्ड किनके हैं? क्या ये अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता और लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने का माध्यम बन रहे हैं?

सीमावर्ती क्षेत्रों में पहचान की राजनीति

नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं के निकट स्थित इन जिलों की भौगोलिक स्थिति इन्हें ऐतिहासिक रूप से घुसपैठ के लिए संवेदनशील बनाती है। यदि अवैध प्रवासी स्थानीय दस्तावेजों और आधार कार्ड के माध्यम से अपनी पहचान को वैधता दिला लें, तो यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की शुचिता के लिए भी घातक है। इस प्रक्रिया से वे केवल भौगोलिक सीमाओं का उल्लंघन नहीं करते, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद ‘नागरिकता और मताधिकार’ को भी कमजोर करते हैं।

भ्रम और राजनीतिकरण

आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मानने का भ्रम लगातार फैलाया जा रहा है, जबकि यूआईडीएआई बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि आधार केवल पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं। इसके बावजूद, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में आधार को नागरिकता के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह भ्रम राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर पोषित किया जाता है, जिससे वोटबैंक की राजनीति को बल मिलता है। यदि फर्जी आधार कार्डों के आधार पर मतदाता सूची में नाम जुड़ जाएं, तो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व की वैधता ही संदिग्ध हो जाती है।

लोकतांत्रिक संस्थाओं पर संकट

आधार की खामियों का दायरा केवल सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग तक सीमित नहीं है। जब मतदाता सूची में फर्जी नाम शामिल हो जाते हैं, तो लोकतंत्र की बुनियादी अवधारणा ‘एक नागरिक, एक वोट’ ही खतरे में पड़ जाती है। यदि मताधिकार का दुरुपयोग हो, तो जन-प्रतिनिधित्व की वैधता और शासन की नैतिकता, दोनों पर आंच आती है। यह संकट केवल बिहार या सीमावर्ती जिलों तक सीमित नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में भी यही समस्या गहराती दिखती है।

पारदर्शिता, सत्यापन और जवाबदेही

यह संकट अब केवल तकनीकी या प्रशासनिक नहीं, बल्कि मूलतः लोकतांत्रिक है। आवश्यकता है कि आधार प्रणाली का स्वतंत्र और पारदर्शी ऑडिट कराया जाए, विशेषकर उन जिलों में जहां सैचुरेशन असामान्य रूप से अधिक है। बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य बनाया जाए और आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की प्रक्रिया को पारदर्शी तथा जवाबदेह बनाया जाए। इससे न केवल फर्जी पहचान की समस्या पर नियंत्रण होगा, बल्कि लोकतंत्र में नागरिकता और मताधिकार की पवित्रता भी बनी रहेगी।

तकनीक के युग में पहचान की सुरक्षा और विश्वसनीयता लोकतंत्र की नींव है। यदि पहचान ही संदिग्ध हो जाए, तो लोकतांत्रिक संस्थाओं की वैधता और भविष्य दोनों पर संकट आ सकता है। अतः आज यह आवश्यक है कि हम अपने पहचान तंत्र की विश्वसनीयता की पुनर्समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि लोकतंत्र की जड़ें फर्जी आंकड़ों और पहचान की नकल में खो न जाएं। यह केवल एक तकनीकी या प्रशासनिक प्रश्न नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक भविष्य का प्रश्न है- एक ऐसा प्रश्न, जिसका उत्तर हमें भरोसे और पारदर्शिता के साथ तलाशना ही होगा।

Topics: Voter ID Cardमतदाता पहचान पत्रfake roots of democracyAadhar proof of citizenshipलोकतंत्रdemocratic rightsDemocracycitizenship and voting rightsमतदाता सूचीलोकतंत्र की जड़ें फर्जीVoter listआधार नागरिकता का प्रमाणपाञ्चजन्य विशेषलोकतांत्रिक अधिकारभारत की नागरिकतानागरिकता और मताधिकारCitizenship of India
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies