अब से पहले भारतीय टीम जब भी इंग्लैंड को क्रिकेट फील्ड में पटखनी देती तो सुर्खियों में अक्सर एक पंक्ति उभरकर आती थी – भारत ने इंग्लैंड से तगड़ा लगान वसूला। लेकिन शुभमन गिल के नेतृत्व में अपेक्षाकृत युवा भारतीय टीम दमदार प्रदर्शन करते हुए इंग्लैंड की धरती पर इंग्लिश टीम की जो दुर्गति कर रही है, लगान वसूला जाने वाला वाक्य थोड़ा कमतर प्रतीत होता है। सच्चाई तो यह है कि कहीं न कहीं “घर में घुसकर मारने” और “आंखों में आंखें डालकर प्रत्युत्तर देने” की जो प्रवृत्ति नये और बदलते भारत में पनप रही है, उसका असर भारतीय क्रिकेट टीम पर भी दिख रहा है।
“बैजबॉल” क्रिकेट को करारा जवाब
निश्चित तौर पर दंभ से भरा यह वाक्य अतिशयोक्ति माना जाता, अगर इंग्लैंड टीम “बैजबॉल” के नाम पर अपने अक्खड़पन से थोड़ा परहेज कर लेती। लेकिन आक्रामकता के बल पर प्रतिद्वंद्वी टीम को नेस्तनाबूत करने की जो शैली इंग्लैंड टीम ने अपनायी उसे बड़े गर्व से “बैजबॉल क्रिकेट” का नाम दिया गया। हद तो तब हो गयी जब इंग्लैंड टीम अब भी अपने अक्खड़पन से बाज नहीं आ रही और दावा कर रही है कि हम तो टेस्ट मैच ड्रॉ करने के लिए खेलते ही नहीं हैं। तो फिर भुगतो भई। तुम्हारे ही घर में भारतीय टीम ने “निडर क्रिकेट” खेलकर तुम्हारी ही कड़वी गोली (“बैजबॉल क्रिकेट”) का सेवन कराना शुरू कर दिया है। अभी तो सीरीज में तीन टेस्ट मैच और बचे हुए हैं इसलिए इस तरह की भविष्यवाणी या दावेदारी में हमेशा खतरा रहता है। लेकिन इतना तो मानना ही पड़ेगा – बदली हुई भारतीय टीम बदले हुए तेवर के साथ विजयपथ पर अग्रसर हो चुकी है।
“निडर” क्रिकेटरों की लंबी सूची
एथलेटिक्स, बैडमिंटन, तीरंदाजी, मुक्केबाजी सहित भारतीय खेल जगत में आज जो प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के बदले हुए तेवर दिखते हैं तो उसमें काफी हद तक क्रिकेट टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उसका सबसे बड़ा कारण रहा है कि भारतीय टीम अब विदेशी दौरे पर दबी-सहमी हुई सी नजर नहीं आती, बल्कि शीर्षस्थ टीमों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने का माद्दा रखती है। युवा कप्तान शुभमन सहित रिषभ पंत, यशस्वी जायसवाल, आकाशदीप, मो. सिराज, कुलदीप यादव जैसे दमदार खिलाड़ी अनुभवी जसप्रीत बुमराह, रवींद्र जडेजा और के एल राहुल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर टीम को मजबूती दे रहे हैं। गौर करें तो भारतीय टीम ने बड़ी तेजी से इंग्लैंड के माहौल में खुद को ढाल लिया। अनुशासित बल्लेबाजी का मसला हो या इंग्लैंड के सपाट विकेटों पर बिना थके, बिना हारे गेंदबाजी करने की या फिर पहले टेस्ट की गलतियों को पीछे छोड़ दूसरे टेस्ट में चुस्त क्षेत्ररक्षण करने का – हर क्षेत्र में भारतीय टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
धमाकेदार शुरुआत ने कर दिया था आगाह
इंग्लैंड की टीम ने निश्चित तौर पर पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन विराट कोहली, रोहित शर्मा, रविचंद्रन अश्विन और मोहम्मद शमी जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में भारतीय टीम को कमतर आंकने की उन्होंने जो चूक की, उसका खामियाजा उन्हें पहले टेस्ट मैच से ही भुगतना पड़ा है। हेडिंग्ले में खेले गए पहले टेस्ट मैच में ही भारत की ओर से रिषभ पंत के दोनों पारियों में आक्रामक शतक (134, 118) सहित शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल और के एल राहुल ने शतकीय पारियां खेलकर मेजबान टीम को संकेत दे दिया कि इंग्लैंड के गेंदबाजों का कोई हौवा उन पर हावी होने वाला नहीं है। इसी तरह जसप्रीत बुमराह ने पहली ही पारी में पांच विकेट झटकते हुए अहसास कराया कि धारदार गेंदबाजी और निडर क्रिकेट किसे कहा जाता है। हालांकि पूरे मैच में भारतीय क्षेत्ररक्षकों ने 6-7 कैच टपका कर टीम को मैच जीतने से दूर कर दिया और फिर पांचवें दिन सपाट विकेट पर इंग्लिश बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को हताश कर पहला टेस्ट जीत लिया।
पहला टेस्ट हारना क्या था कि भारतीय टीम पर चौतरफा हमले शुरू हो गए। नए कप्तान की रणनीति से लेकर टीम चयन, गेंदबाजी का स्तर, क्षेत्ररक्षण और टीम की जुझारू क्षमता को लेकर तमाम सवाल उठने लगे। इस दौरान भारतीय कप्तान ने अपने प्रदर्शन से जवाब देने की ठानी। इसके बाद एजबेस्टन टेस्ट में भारतीय टीम ने ऐतिहासिक जीत (देखें बॉक्स) हासिल कर खेल के हर क्षेत्र में इंग्लैंड को मात देते हुए सीरीज को 1-1 से बराबरी पर ला दिया।
- भारत ने पिछले 58 वर्षों में एजबेस्टन में इंग्लैंड पर पहली जीत दर्ज की, इंग्लैंड ने 9 में से 7 मैच जीते।
- शुभमन गिल दोनों पारियों में शतक (269, 161) लगाने वाले ग्राहम गूच (इंग्लैंड) के बाद दूसरे कप्तान।
- शुभमन पहली पारी में दोहरा शतक और दूसरी पारी में 150 से ज्यादा रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज।
- गिल (430) एक ही टेस्ट में सर्वाधिक रन बनाने वाले गूच (456) के बाद दूसरे बल्लेबाज बने।
- गिल एक ही टेस्ट में दोहरा शतक व शतक बनाने वाले सुनील गावस्कर (456) के बाद दूसरे भारतीय।
- गिल (269) कप्तान के रूप भारत के लिए सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।
सबसे कम उम्र में विजय पताका फहराने वाले भारतीय कप्तान-
- 25 वर्ष 297 दिन- शुभमन गिल- 269, 161- इंग्लैंड- 2025
- 26 वर्ष 198 दिन- सुनील गावस्कर- 116, 35- न्यूजीलैंड- 1975-76
- 26 वर्ष 288 दिन- विराट कोहली- 78, 10- श्रीलंका – 2015
- 27 वर्ष 41 दिन- एमएके पटौदी- 24, 11- -यूजीलैंड – 1967-68
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