ग्लोबल अस्थमा नेटवर्क की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे बच्चों की परवरिश में कई ऐसी सामान्य बातें होती हैं, जिन्हें हम आमतौर पर नुकसानदायक नहीं मानते, लेकिन वे असल में बच्चों के स्वास्थ्य, खासकर उनकी सांस से जुड़ी बीमारियों पर बुरा असर डाल सकती हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, एक साल से कम उम्र के बच्चों को ऊनी कंबल में सुलाना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। ऊनी कंबल देखने में भले ही आरामदायक लगे लेकिन यह बच्चे को अस्थमा (दमा) जैसी गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस उम्र के बच्चों के लिए ऊनी कंबल का उपयोग करने से अस्थमा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसकी जगह साफ और हल्के सूती कपड़ों का इस्तेमाल करना बेहतर है। रिपोर्ट में अन्य कारणों का भी ज़िक्र किया गया है, जो बच्चों को अस्थमा का मरीज बना सकते हैं-
गर्भवती महिलाओं द्वारा अत्यधिक दवा लेना, खासकर पैरासिटामॉल जैसी सामान्य दवा भी, बच्चे के फेफड़ों के विकास पर असर डाल सकती है। नमी वाले घरों में फफूंदी पनपती है, जिससे बच्चों में सांस की समस्याएं बढ़ती हैं।जानवरों के बाल और त्वचा के कणों से बच्चों में एलर्जी और अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है। बच्चों को बार-बार निमोनिया होना। इस रिपोर्ट के लिए भारत के 9 शहरों में 1.27 लाख से ज्यादा बच्चों, किशोरों और वयस्कों का अध्ययन किया गया। लखनऊ में इस अध्ययन का नेतृत्व किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. शैली अवस्थी ने किया। अस्थमा से प्रभावित लोगों की दर इस प्रकार रही- बच्चे (6–7 साल): पूरे देश में 3.16%, लखनऊ में केवल 1.11%, किशोर (13–14 साल): देश में 3.63%, लखनऊ में 1.62%,
वयस्क: देश में 3.3%, लखनऊ में 1.55%। अगर आपके घर में छोटा बच्चा है या आप माता-पिता बनने जा रहे हैं, तो नीचे दी गई बातों का विशेष ध्यान रखें-
एक साल से कम उम्र के बच्चों को ऊनी या भारी कंबलों में न सुलाएं। हल्के और साफ सूती कपड़े का प्रयोग करें। साफ-सफाई पर ध्यान दें: घर में धूल, नमी और सीलन न होने दें। घर को नियमित रूप से साफ करें और बच्चों के कमरे में हवादारी रखें। यदि आपके घर में जानवर हैं, तो उन्हें बच्चों से थोड़ी दूरी पर रखें और घर को नियमित साफ करें। बच्चों को बार-बार निमोनिया या सर्दी-जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। गर्भावस्था में दवा का सेवन सोच-समझकर करें।
टिप्पणियाँ