7 जुलाई को लंदन में हुए आतंकी हमले के बीस वर्ष पूरे हुए और साथ ही इस अवसर पर नेताओं सहित कई लोगों ने शोक संदेश भी जारी किये। जिनमें ब्रिटेन के राजकुमार से लेकर प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भी शामिल थे। मगर कुछ संदेशों को लेकर सोशल मीडिया पर तलवारें खिंच गई हैं। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि इतना सम्हाल कर क्यों लिखा गया है और क्यों उस कारण का उल्लेख नहीं है, जिसके कारण यह आतंकी घटना हुई थी।
दरअसल कीर स्टार्मर ने अपने संदेश में लिखा था कि “आज पूरा देश 07/07 को हुए हमलों में खोए हुए लोगों को याद करने के लिए एक साथ आया है और साथ ही उन सभी लोगों को, जिनके जीवन हमेशा के लिए बदल गए थे।
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हम उस दिन दिखाए गए साहस का सम्मान करते हैं, आपात सेवाओं की बहादुरी का, हमले में जीवित बचे हुए लोगों का और आतंक के सामने लंदन वालों की एकता का सम्मान करते हैं। जिन्होनें हमें विभाजित करने का प्रयास किया वे फेल हुए। हम एक साथ थे और हम एक साथ हैं, घृणा के खिलाफ और उन मूल्यों के लिए जो हमारे लिए आजादी, लोकतंत्र और कानून के शासन को परिभाषित करती हैं।“
इस संदेश को लेकर लोग आग बबूला हैं। लोगों का कहना है कि जब यह हमला जिहादियों द्वारा किया गया था, तो क्या कारण है कि कीर स्टार्मर ने यह साफ नहीं कहा कि आखिर जो लोग असमय मारे गए थे, वे किस मानसिकता का शिकार हुए थे।
एक यूजर ने लिखा कि जो भी 54 लोग मरे थे, उन्हें इस्लामिस्ट आतंकवादियों ने इसलिए मार डाला था, क्योंकि उन्हें ब्रिटिश पश्चिमी कल्चर पसंद नहीं था।
क्या हुआ था 7 जुलाई 2005 को..?
7 जुलाई 2005 को लंदन में चार अलग-अलग स्थानों पर आत्मघाती बम धमाके हुए थे और इन्हें इस्लामिस्ट आतंकवादियों ने किया था। इन लोगों ने लंदन में उन आम लोगों को निशाना बनाया था, जो सुबह-सुबह सार्वजनिक परिवहनों से यात्रा करते थे।
तीन आतंकवादियों ने इनर लंदन में लंदन अंडरग्राउंड ट्रेन्स में एक के बाद एक तीन घर में बने बमों को फोड़ दिया। और बाद में, चौथे आतंकवादी ने टैविस्टॉक स्क्वायर में एक डबल-डेकर बस में एक और बम विस्फोट किया। ट्रेन बम विस्फोट एल्डगेट के पास सर्किल लाइन और एजवेयर रोड पर और रसेल स्क्वायर के पास पिकाडिली लाइन पर हुए।
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यह यूके पर हुआ सबसे भयानक आतंकी हमला था। इसमें 52 लोग मारे गए थे और लगभग 800 लोग घायल हुए थे। मुस्लिमों पर पश्चिम द्वारा कथित अत्याचारों के विरोध में यह हमले किये गए थे। हालांकि इस हमले के बाद कई और आतंकी हमले ब्रिटेन में हुए हैं।
हमलावरों की पहचान का उल्लेख क्यों नहीं?
केवल नेता ही लोगों के निशाने पर इस बात को लेकर नहीं है कि उन्होनें 7 जुलाई 2005 को हुए हमलों के हमलावरों की पहचान को बताने से परहेज किया, मीडिया चैनल्स भी लोगों के निशाने पर हैं। जीबी न्यूज के प्रेसेंटर डान वूटन एक्स पर पोस्ट में लिखा कि आईटीवी न्यूज आपने मुझे निराश किया। 7/7 की सालगिरह पर पूरी लंबी रिपोर्ट और इस्लाम, इस्लामिस्ट, इस्लामिक या मुस्लिम जैसे शब्दों का एक भी ज़िक्र नहीं।
एक भी शब्द नहीं!
बस इसे “चरमपंथ” के रूप में सामान्यीकृत किया गया।
और वह भी ऐसे ब्रॉडकास्टर की ओर से जो तथाकथित “”चरम क्षिणपंथ” के लिए पागल है।
एक यूजर ने लिखा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि 7 जुलाई 2005 लंदन बम विस्फोट समन्वित इस्लामी आतंकवादी आत्मघाती हमले थे, जो भीड़-भाड़ वाले समय में सार्वजनिक परिवहन पर सवार नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए थे। हमलावरों में से तीन पाकिस्तानी अप्रवासियों के ब्रिटिश-जन्मे बेटे थे; चौथा जमैकन था जो इस्लाम में परिवर्तित हो गया था।
शाही परिवार से आए संदेश में भी हमलावरों की पहचान पर बात नहीं
इंग्लैंड के शाही परिवार की ओर से भी जो संदेश जनता के नाम पर जारी किया गया, उसमें भी हमलावरों की पहचान का कोई उल्लेख नहीं था और न ही यह था कि आखिर क्यों यह हमले हुए? वह क्या कारण था जिसके कारण निर्दोष नागरिक मारे गए।
इस संदेश में हालांकि अंत में यह अवश्य लिखा है कि हमें ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए इस हमले की बीसवीं सालगिरह का प्रयोग करना चाहिए, जहां पर हर विश्वास और पृष्ठभूमि के लोग एक दूसरे के प्रति आदर और समझ के साथ रह सके, हमेशा उन लोगों के खिलाफ खड़े रहें, जो हमें विभाजित करना चाहते हैं।
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इस संदेश के बाद भी लोग भड़के हुए हैं कि आखिर शाही परिवार भी ऐसा क्यों कर रहा है? RedLipRiots नामक यूजर ने लिखा कि विक्टोरिया को उसका नाम लेना चाहिए था। यह कायरता में डूबा हुआ संदेश है। एकता और विश्वास के बारे में कहने वाला शब्द सत्य नहीं बताता है। उन्होनें लिखा कि ब्रिटिश धरती पर पले-बढ़े, जिहाद से प्रेरित तथा तुष्टीकरण की संस्कृति से सुरक्षित इस्लामवादियों द्वारा 52 ब्रिटेनवासियों की हत्या कर दी गई।
आम लोग सोशल मीडिया पर प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर नेतृत्व की ऐसी क्या विवशता है कि वह आम लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं?
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