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Political Analysis : केरल विधानसभा चुनाव से पूर्व थरूर को निपटाने की तैयारी में कांग्रेस!

कांग्रेस में राहुल गांधी की अगुवाई के बीच शशि थरूर को दरकिनार करने की रणनीति..? केरल की राजनीति में गांधी-विजयन परिवार की सांठगांठ का विश्लेषण

by अभय कुमार
Jun 27, 2025, 09:16 pm IST
in विश्लेषण, केरल
Shashi Tharoor shows mirror to Congress

शशि थरूर, कांग्रेस सांसद

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केरल के तिरुवनंतपुरम से चौथी बार के लोकसभा सांसद शशि थरूर विगत कुछ समय से कांग्रेस पार्टी के निशाने पर हैं। शशि थरूर वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के लोकसभा के वरिष्ठ सांसदों में से एक हैं। इस बार उनकी तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से जीत के बाद उम्मीद की जा रही थी कि उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया जाएगा, मगर कांग्रेस पार्टी में ऐसे पद केवल एक परिवार के सदस्य के लिए आरक्षित होने की लंबे समय से परंपरा है।

अधीर रंजन को हटाकर राहुल के लिए रास्ता

गांधी परिवार ने इस लोकसभा में पार्टी के नेता का पद अपने परिवार के सदस्य को मिले, इसके लिए चुनाव पूर्व ही तैयारी शुरू कर दी थी। गांधी परिवार ने ममता बनर्जी के साथ गुप्त समझौता करके बहरामपुर से अपने कई बार के सांसद और पिछले लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को चुनावी शिकस्त दिलवाकर राहुल गांधी के लिए इस पद को सुरक्षित करने का प्रयास किया था।

अध्यक्ष पद की चुनौती और थरूर का अपमान

अधीर रंजन चौधरी की तरह ही शशि थरूर भी पार्टी से ज्यादा गांधी परिवार के निशाने पर हैं। शशि थरूर ने पार्टी अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ अपनी उम्मीदवारी देकर गांधी परिवार की आंखों की किरकिरी बनने का दुस्साहस किया था। गांधी परिवार शशि थरूर को जल्द से जल्द पार्टी से निष्कासित करना चाहता है। उन्हें यह भय है कि आने वाले समय में शशि थरूर कभी भी राहुल गांधी या प्रियंका वाड्रा के लिए पार्टी के अंदर चुनौती खड़ी कर सकते हैं।

गांधी परिवार शशि थरूर को नीचा दिखाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहा है। उन्होंने शशि थरूर को लोकसभा में पार्टी के उपनेता का पद भी देने की पेशकश नहीं की।

‘Operation Sindoor’ से हमें क्या मिला? पत्रकार के तंज वाले सवाल पर शशि थरूर का जोरदार जवाब

शशि थरूर के साथ ऐसा व्यवहार करने के पीछे गांधी परिवार की एक दूरदृष्टि भी नजर आ रही है। अगले वर्ष केरल, तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इन राज्यों में केवल एक राज्य — केरल — कांग्रेस पार्टी के लिए संभावनाओं से भरा हुआ है।

2026 केरल चुनाव : कांग्रेस की मजबूरी बन सकते हैं थरूर

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के निधन के बाद वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के पास मुख्यमंत्री पद का कोई प्रबल चेहरा नहीं है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में शशि थरूर को अनिच्छा के बावजूद मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाना पड़ सकता है। इससे शशि थरूर का कद पार्टी में और भी बढ़ जाएगा, जिसे गांधी परिवार किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं कर सकता। ऐसी परिस्थिति में शशि थरूर गांधी परिवार के लिए और भी बड़ी चुनौती बन सकते हैं। अतः गांधी परिवार शशि थरूर को आगामी केरल विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाह रहा है।

कांग्रेस और एलडीएफ के बीच गुप्त गठजोड़?

एक अन्य राजनीतिक समीकरण के अनुसार, वर्तमान में केरल की राजनीति में सोनिया गांधी के परिवार और केरल के मुख्यमंत्री के परिवारों के बीच आपसी सांठगांठ है। इस उपचुनाव में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) और माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के बीच एक प्रकार का समझौता है, जिसके तहत गांधी परिवार को वायनाड लोकसभा सीट और केरल से लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन चाहिए, वहीं विजयन को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बनाए रखनी है।

शशि थरूर ने कांग्रेस पार्टी को आइना दिखाया

गांधी परिवार वायनाड लोकसभा सीट पर पिछले तीन बार से लगातार जीत दर्ज करता आ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि भाकपा/एलडीएफ वायनाड सीट पर केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा बन रही है। विगत दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक सीटें यदि किसी एक राज्य से जीती हैं, तो वह केरल है। चूंकि पी. विजयन का केंद्र की राजनीति में कोई खास दावा नहीं बनता, इसलिए वे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अवरोध नहीं खड़ा करते।

इसके बदले गांधी परिवार, केरल विधानसभा चुनाव में जानबूझकर कमजोरी से चुनाव लड़ता है ताकि पी. विजयन मुख्यमंत्री बने रहें।

मोहम्मद रियास : विजयन की राजनीतिक विरासत

सोनिया गांधी जहां अपने बच्चों को राजनीति में आगे बढ़ाना चाहती हैं, वहीं पी. विजयन अपने दामाद मोहम्मद रियास को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। वर्तमान में मोहम्मद रियास पी. विजयन मंत्रिमंडल में पर्यटन मंत्री हैं। कम्युनिस्ट पार्टियों में परिवार को बढ़ावा देने का यह एक नया प्रयोग है।

गांधी और विजयन परिवारों की इस आपसी सांठगांठ की पुष्टि राज्य के चुनाव परिणामों से भी होती है।

2021 के चुनाव में कांग्रेस की रहस्यमयी विफलता

कांग्रेस पार्टी का 2021 का केरल विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन इस तथ्य को दर्शाता है कि पार्टी ने पूरे मनोयोग से चुनाव नहीं लड़ा। कांग्रेस पार्टी उस चुनाव में महज 21 सीटें ही जीत सकी थी।

शशि थरूर का यू-टर्न : गलती मानकर अब मोदी की रूस-यूक्रेन नीति की कर रहे हैं तारीफ, क्या होगा कांग्रेस का अगला कदम?

यह तब हुआ था जब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने केरल की 96 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने 84 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन में इतना अधिक अंतर अत्यंत आश्चर्यजनक है।

एलडीएफ बनाम यूडीएफ : चुनावी आंकड़ों का विरोधाभास

केरल की 140 विधानसभा सीटों में 60 ऐसी सीटें हैं, जिन्हें माकपा नीत एलडीएफ ने 2021 में जीता, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस/यूडीएफ ने इन सीटों पर बढ़त बनाई। इतना बड़ा राजनीतिक बदलाव बहुत कम ही देखने को मिलता है।

सत्ता अदला-बदली की परंपरा टूटी

केरल की राजनीति में 1982 के बाद से चुनाव दर चुनाव कांग्रेस नीत यूडीएफ और माकपा नीत एलडीएफ के बीच सत्ता परिवर्तन होता रहा है। यह परंपरा 2021 में टूट गई, जब पी. विजयन के नेतृत्व में एलडीएफ लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटी। ठीक ऐसा ही 1990 के बाद हिमाचल प्रदेश और 1993 के बाद राजस्थान में देखने को मिला, जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता का अदला-बदली हुआ।

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