इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों तक चले युद्ध में इजरायल ने चुन चुनकर ईरान के परमाणु स्थलों को मिलाइलों से टार्गेट किया। बाद में अमेरिका ने भी अपने B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स के जरिए ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान परमाणु ठिकानों पर हमला किया। अब तक इससे इनकार कर रहे ईरान ने भी आधिकारिक तौर पर इस बात को स्वीकार कर लिया है कि इस युद्ध में उसके परमाणु ठिकानों पर बमबारी के बाद उन्हें जबर्दस्त नुकसान पहुंचा है।
विदेश मंत्री अराघची का बयान
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस बात की पुष्टि की है कि इजरायल के साथ 12 दिन की जंग में ईरान के न्यूक्लियर पलांट को बहुत ही बुरी चोट लगी है। उन्होंने ये भी कहा है कि देश को जिस भी तरह नुकसान हुआ है, उसका आकलन किया जा रहा है। अराघची कहते हैं कि अब क्षतिपूर्ति की मांग और उसे प्रदान करने की आवश्यकता पर चर्चा को देश के कूटनीतिक एजेंडे के तौर पर स्वीकार किया गया है।
ईरान ने परमाणु कार्यक्रम तेज करने का किया ऐलान
इस बीच ईरान ने युद्ध के बाद जैसा की अपेक्षित था, कहा है कि अब वो दोगुनी तेजी से अपने नागरिक परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगा। दूसरी ओर, ट्रम्प ने कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर ईरान के साथ कूटनीतिक वार्ता पर फैसला लेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान अपनी परमाणु क्षमता के बारे में अस्पष्टता बनाए रखकर कूटनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहा है।
कब शुरू हुआ था युद्ध
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी समेत अमेरिकी सीआईए की रिपोर्ट के बाद इजरायल ने ईरान को परमाणु बम हासिल करने से रोकने के लिए 13 जून को उसके परमाणु ठिकानों पर ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक कर दी थी। इजरायल नतांज, इस्फहान और फोर्डो परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया। इजरायली सेना ने दावा किया कि ये हमले ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोकने के लिए जरूरी थे। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “हमारा लक्ष्य ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरों को समाप्त करना है।” इन हमलों में नतांज में जमीन के ऊपर बनी संवर्धन सुविधा को नष्ट कर दिया गया।
जबकि फोर्डो की भूमिगत न्यूक्लियर साइट पर पहले इजरायल ने बमबारी की, लेकिन इसका उस पर कोई असर ही नहीं हुआ। इसके बाद अमेरिका ने B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स के जरिए उसे नष्ट किया।
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