महाराष्ट्र में जबरन कन्वर्जन को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। लोग सरकार से कन्वर्जन विरोधी कानून तत्काल लागू करने की मांग कर रहे हैं। बीते दिनों सांगली में सात माह की गर्भवती महिला रितुजा सुकुमार राजगे को ससुराल वालों के कारण आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा। वे उस पर ईसाई मत अपनाने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। इसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है।
जबरन मतांतरण की घटना से आहत हिंदू अपने हाथों में ‘हिंदुओं का कन्वर्जन रुकना चाहिए’ और ‘कन्वर्जन विरोधी कानून जल्द लागू हो’ के पोस्टर लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं हाथों में मशाल लिए हुए दिखाई दीं।
सोशल मीडिया पर भी यूजर्स रितुजा को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वे जबरन कन्वर्जन को देश की एकता और महिलाओं की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बता रहे हैं। धनेश कुमार एक्स पर लिखते हैं कि रितुजा सुकुमार राजगे की दुखद मौत ने महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। कन्वर्जन से इनकार करने पर एक गर्भवती महिला को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। यह सिर्फ उत्पीड़न ही नहीं है, बल्कि कन्वर्जन दबाव है। अब सख्त कन्वर्जन विरोधी कानून लाने का समय आ गया है। रितुजा को न्याय मिले इसके लिए तत्काल धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हो।
Protests Erupt in Maharashtra Over Forced Conversion, demand immediate implementation of an Anti-Conversion Law pic.twitter.com/HeJBs05qNg
— Frontalforce 🇮🇳 (@FrontalForce) June 18, 2025
ईशानी वर्मा लिखती हैं कि किसी को भी अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, हर किसी को शांतिपूर्वक अपनी इच्छानुसार अपने धर्म का पालन करने का अधिकार होना चाहिए। यहां सख्त सुरक्षा और वास्तविक जवाबदेही की आवश्यकता है।
एक अन्य यूजर ने रितुजा के लिए न्याय की मांग करते हुए लिखा, “अब समय आ गया है कि हम अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए पूरी ताकत से खड़े हों। भेड़ की खाल में इन भेड़ियों को अपने खतरनाक एजेंडे से परिवारों को तोड़ने से रोकें। अब और चुप नहीं रहना चाहिए। हमारी आवाज पूरे भारत में तब तक गूंजनी चाहिए जब तक कि बदलाव का वादा न किया जाए, बल्कि उसे पूरा किया जाए।”
क्या है पूरा मामला
रितुजा सुकुमार राजगे (27) का विवाह चार साल पहले मर्चेंट नेवी में काम कर रहे सुकुमार राजगे से हुआ था। महिला ने 6 जून 2025 को कुपवाड़ शहर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। रितुजा के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी ने ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि रितुजा को उसके ससुराल वालों द्वारा बार-बार शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। वे लोग उस पर लगातार ईसाई मत अपनाने के लिए दबाव बना रहे थे और घर बनाने के लिए अपने माता-पिता से पैसे लाने की मांग करते थे। कुपवाड़ पुलिस ने इस मामले में पति सुकुमार राजगे, ससुर सुरेश राजगे और सास अलका राजगे के खिलाफ मामला दर्ज कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रितुजा के ससुराल वाले (हिंदू) धनगर समुदाय से हैं, लेकिन वे ईसाई मत का पालन करते थे। वे रितुजा को अपने साथ चर्च जाने, बाइबिल पढ़ने और प्रार्थना करने के लिए मजबूर करते थे। जब वह ऐसा करने से इनकार करती थी, तो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। जब वह गर्भवती हुई तो उन्होंने उस पर बच्चे को ईसाई रीति-रिवाज के अनुसार करने का दबाव डाला। महिला के पिता को भी शादी के बाद यह बात का पता चला थी कि वे हिंदू की बजाय ईसाई मत का पालन करते हैं। इसके विरोध में सह्याद्री अधिकार मंच ने 17 जून को प्रदर्शन करने की घोषणा की थी।
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