जी-7 बैठक में भाग लेने गए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक से इतर अनेक देशों के नेताओं से द्विपक्षीय संबंधों पर बात की है। फ्रांस, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, जापान, अमेरिका के शीर्ष नेताओं से भेंट करने के सिलसिले में मोदी हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री बने मार्क कार्नी से भी मिले। दोनों नेताओं ने खालिस्तानियों के उपद्रवों के चलते आपसी संबंधों में आई खटास को दूर करने और राजनयिक स्तर पर चीजों को सुधारने की चर्चा की। मोदी और कार्नी की यह मुलाकात नि:संदेह द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई है। दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने उच्चायुक्तों की पुनर्नियुक्ति पर सहमति जताई है। यह पिछले दो साल से दोनों देशों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो की अपरिपक्व समझ की वजह से बने आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में बर्फ पिघलने की एक शुरुआत जैसी है।
भारत और कनाडा के संबंध 2023 में उस समय गंभीर रूप से बिगड़ गए थे जब कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री त्रूदो ने खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों की संलिप्तता का आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के कई राजनयिकों को निष्कासित किया था और उच्चस्तरीय संवाद लगभग ठप सा पड़ गया था।
गत मार्च माह में मार्क कार्नी के कनाडा के प्रधानमंत्री बने हैं। उसके बाद भारत ने उम्मीद जताई थी कि अब संबंधों में सुधार की संभावना है। जी7 सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात ने इस उम्मीद को ठोस रूप दिया है। दोनों देशों ने आपसी सम्मान, कानून के शासन और संप्रभुता की भावना के आधार पर संबंधों को पुनर्स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई है।

दोनों देशों ने यह माना है कि उच्चायुक्तों की नियुक्ति होनी चाहिए जो कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे नागरिकों और व्यवसायों के लिए वीज़ा, व्यापार, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी सेवाएं फिर से सामान्य हो सकेंगी। यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में पहला ठोस प्रयास है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस चर्चा के दौरान ऊर्जा, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा, उर्वरक और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर बल दिया। वहीं, प्रधानमंत्री कार्नी ने भारत की वैश्विक भूमिका को सराहा और दोनों देशों के बीच तकनीक, खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला में साझेदारी को मजबूत करने की बात कही।
दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जताई कि रुकी हुई व्यापार वार्ताओं को फिर से शुरू किया जाएगा। यह एक संकेत है कि दोनों देश न केवल राजनयिक संबंधों को सामान्य करना चाहते हैं, बल्कि आर्थिक साझेदारी को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि कनाडा में भारतीय मूल के लगभग 18 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा सिख समुदाय का है। यह जनसंपर्क दोनों देशों के बीच एक मजबूत पुल का काम करता है। राजनयिक संबंधों की बहाली से प्रवासी भारतीयों को भी राहत मिलेगी, जो पिछले कुछ वर्षों से अनिश्चितता का सामना कर रहे थे।
भारत और कनाडा के बीच उच्चायुक्तों की पुनर्नियुक्ति केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत है कि दोनों देश अतीत की कड़वाहट को पीछे छोड़कर भविष्य की ओर देखना चाहते हैं। यह पहल न केवल द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी दोनों देशों के सहयोग को मजबूती देगी।
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