योग का सनातन स्वरूप: वेद, महापुराण और संत परंपरा में योग की भूमिका
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम जीवनशैली

योग का सनातन स्वरूप: वेद, महापुराण और संत परंपरा में योग की भूमिका

प्राचीन काल से ही भगवान शिव को ‘योगेश्वर’ माना गया है। अनेक योग परंपराएँ जैसे नाथयोग, हठयोग, मंत्रयोग, लययोग, राजयोग, आदि सभी भगवान शिव से ही प्रारंभ मानी जाती हैं।

by WEB DESK
Jun 14, 2025, 06:54 am IST
in जीवनशैली
yoga for stress relief in hindi

yoga

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

प्राचीन काल से ही भगवान शिव को ‘योगेश्वर’ माना गया है। अनेक योग परंपराएँ जैसे नाथयोग, हठयोग, मंत्रयोग, लययोग, राजयोग, आदि सभी भगवान शिव से ही प्रारंभ मानी जाती हैं। गुरु गोरखनाथजी के सम्प्रदाय में शिव को ‘आदिनाथ के रूप में पूजा जाता है और ध्यान मुद्रा में उनकी उपासना की जाती है। नाथ संप्रदाय में योग को शिवविद्या या महायोगविद्या कहा गया है, जिसमें आत्मा और ब्रह्मांड के सामरस्य की अनुभूति प्रमुख है।

शिवगीता में भगवान शिवजी ने भगवान राम को योग का दिव्य उपदेश दिया, जब वे सीता-वियोग से व्याकुल थे। उन्होंने आत्मज्ञान, चित्त की एकाग्रता, और भौतिक आसक्ति से विरक्ति का विस्तार से निरूपण किया।

भगवान शिव को ध्यानमग्न योगी के रूप में भी दर्शाया गया है, जिनका ध्यान जीवन के परम लक्ष्य ‘मोक्ष की ओर उन्मुख करता है। वेदों में वर्णित शिवसंकल्पसूक्त योग के लिए वैदिक प्रेरणा का आधार है, जो भगवान शिव की चेतना और व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

भगवान श्रीराम

रामायण के सन्दर्भ में महर्षि वसिष्ठ ने भगवान श्रीराम को गहन अद्वैत वेदान्त के सिद्धांतों के माध्यम से योग का मार्ग बताया है। इसमें योग को चित्त की वृत्तियों के निरोध और आत्मज्ञान प्राप्ति की युक्ति कहा गया है। राम को उपदेश करते हुए महर्षि वसिष्ठ कहते हैं : ‘द्वौ क्रमौ चित्तनाशस्य योगो ज्ञानं च राघव। योगो वृत्तिनिरोधो हि ज्ञानं सम्यगवेक्षणम्‌॥‘ (योगवासिष्ठ)

महर्षि वसिष्ठ

महर्षि वसिष्ठ योग के अत्यंत प्राचीन और समग्र दृष्टा माने जाते हैं। वे सप्तर्षि-मंडल में स्थित रहकर आज भी विश्वकल्याण में लगे हुए हैं। उनके द्वारा भगवान श्रीराम को उपदिष्ट ‘योगवासिष्ठ’ एक अनुपम योग-वेदान्त ग्रंथ है, जिसमें वैराग्य, मुमुक्षु-व्यवहार, उत्पत्ति, स्थिति, उपशम और निर्वाण—इन छह प्रकरणों के माध्यम से आत्मा और ब्रह्म की एकता पर विस्तृत विवेचन है। इस ग्रंथ की विशेषता यह है कि इसमें केवल ज्ञान की प्रधानता नहीं दी गई, अपितु प्राणायाम, चित्तवृत्ति-निरोध और ब्रह्मविचार जैसे साधनों को भी साधकों के लिए सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने योग को ‘शुद्ध चित्त की स्थिति’ कहा।

महाभारत

इस महाकाव्य में योग को आत्मसाधना और अंतःकरण की शुद्धि का मार्ग माना गया है। महर्षि व्यासजी ने ध्यानयोग के लिए द्वादश साधनों (देश, कर्म, आहार, दृष्टि, मन आदि) के संयम को अनिवार्य बताया है : ‘छिन्नदोषो मुनियोगान् युक्तो युञ्जीत द्वादश।

देशकर्मानुरागार्थानुपायापायनिश्चयैः॥‘ (महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय 236, श्लोक 3–4)
महाभारत के शान्ति पर्व में ऋषियों को योग की 12 विधियों से ध्यानयोग का अभ्यास करते बताया गया है।

भगवान श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण को भी ‘योगेश्वर’ कहा गया है क्योंकि वे न केवल योग के आचार्य हैं बल्कि स्वयं योग के मूर्तिमान स्वरूप भी हैं। कल्याण-योगतत्त्वांक (1991) में श्रीकृष्ण की योग-सिद्धि, उनके उपदेशों और गीता की व्याख्या के माध्यम से योग के विविध आयामों का सटीक विश्लेषण किया गया है। भगवद्गीता को स्वयं भगवान की साक्षात योगयुक्त वाणी कहा गया है, जो आज भी अज्ञान और मोह का नाश कर आत्मबोध करा सकती है।

योग साधना के माध्यम से जो साधक मन, इंद्रियों और प्राणों को नियंत्रित कर परब्रह्म में स्थित हो जाता है, वह श्रीकृष्ण के अनुग्रह से ‘भवतापेन तप्तानां योगो हि परमौषधम्’ के रूप में परम शांति को प्राप्त करता है। अतः योग की चरम सिद्धि श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके साथ आत्मा की एकात्मकता में ही निहित है।

भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को विभिन्न योगों का उपदेश दिया – कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्ति योग, और ध्यानयोग। ‘समत्वं योग उच्यते’ और ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ जैसे श्लोक योग को जीवन की कुशलता और समत्व की दशा से जोड़ते हैं।

‘स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्’ – भगवान श्रीकृष्ण का यह श्लोक इंगित करता है कि योग का थोड़ा सा भी अभ्यास मनुष्य को महाभय (संसार-चक्र) से बचा सकता है।

आदिगुरु शंकराचार्य

उन्होंने योग को अद्वैत ब्रह्म से आत्मा की एकता के रूप में देखा। उन्होंने ध्यान, आत्मविचार और संन्यास को ब्रह्मानुभूति के प्रमुख साधन बताया।

संत तिरुमूलर

महायोगी संत तिरुमूलर दक्षिण भारत की शैव-सिद्ध परंपरा के अग्रदूत माने जाते हैं। उनका कालखंड ईसा की छठी शताब्दी में था और भगवान नन्दी के शिष्यों की परंपरा में स्वयं को स्थापित मानते थे। उनकी योग-साधना का प्रमुख उदाहरण तिरुमन्तिरम् नामक ग्रंथ है, जो तीन हजार तमिल पद्यों में विभक्त एक महाकाव्यात्मक ग्रंथ है। इसमें योग, तत्त्वज्ञान, तंत्र और शिवभक्ति का अद्वितीय समन्वय मिलता है।

गोस्वामी तुलसीदास

तुलसीदासजी ने अपने सम्पूर्ण साहित्य में भगवत्प्राप्ति के मुख्य हेतुओं में योग, ध्यान और तल्लीनता को ही प्रधान कारण माना है। ऐसे तो विनयपत्रिका, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न, कवितावली आदि में भी योग पर प्रचुर सामग्री प्राप्त होती है, पर मानस में उन्होंने योग की सुस्पष्ट महिमा वर्णित की है। प्रायः ध्रुव, प्रहलाद, शुक, सनकादि, नारद आदि योगियों को सभी सिद्धियाँ रामनाम-रूप भक्तियोग के प्रसाद से प्राप्त थी और वे राम नाम को ही योगसार-सर्वस्व मानते है। वैसे ध्यान देने पर ज्ञात होता है कि मानस में पद-पद पर योग की महिमा की गई है। वह चाहे कर्मयोग हो, चाहे ज्ञानयोग हो और चाहे भक्तियोग। प्रत्येक व्यक्ति को अपने कल्याण के लिए भगवत्प्राप्ति के इन साधनों की निष्ठापूर्वक उपासना करनी चाहिए, क्योंकि योग जिव को भगवान से जोड़ देने की विद्या है।

विभिन्न सम्प्रदायों के विचार

बौद्ध दर्शन में योग का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। ‘सम्यक् समाधि’ अष्टांगिक मार्ग का एक प्रमुख अंग है। पतंजलि के अनुसार योग चित्तवृत्ति का निरोध है, वहीं बौद्ध धर्म आत्मा के विसर्जन और बोधिसत्त्व की प्राप्ति की ओर उन्मुख है।

बौद्ध दर्शन में सम्यक

दृष्टि, सम्यक्‌-सङ्कल्प, सम्यक्‌-वचन, कर्मान्त (पञ्चशील, दशशील), सम्यक्‌- आजीव, सम्यक्‌-व्यायाम, सम्यक्‌-स्मृति तथा सम्यक्‌- समाधि – ये अष्टाङ्ग मार्ग हैं।

जैन

जैन दर्शन में योग का प्रयोग मन, वचन और काय की त्रिविध साधना के रूप में होता है। आत्मा की शुद्धि और कर्मों के क्षय के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करना ही योग का उद्देश्य है।

जैनाचार्यों जैसे हेमचन्द्र सूरी ने भी महर्षि पतंजलि के योगसूत्रों से प्रेरणा लेकर अपने ग्रंथों में यम-नियमादि को गृहस्थ और साधु धर्म के रूप में स्वीकार किया।

इस्लाम

इस्लाम की शाखा

सूफी में योग को आत्मा की शुद्धि, प्रेममय ध्यान और ‘फना’ (स्वत्व का लोप) की दिशा में अग्रसर माना गया है। इसमें हठयोग के तत्त्व भी पाए जाते हैं, विशेषकर इड़ा-पिंगला और प्राणायाम जैसे रूपों में।

ईसाई

ईसाई में योग की स्पष्ट प्रणाली नहीं है, किंतु ध्यान और प्रार्थना अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। यीशु के ध्यानमग्न जीवन को आध्यात्मिक योग के रूप में देखा जाता है।

पारसी

पारसी मूलतः सत्य, पवित्रता और श्रेष्ठ आचरण पर आधारित एक आध्यात्मिक परंपरा है। कल्याण – योगतत्त्व अंक में प्रकाशित लेख के अनुसार, इस धर्म में “हु-ख्त” (श्रेष्ठ विचार), “हु-वर्ष” (श्रेष्ठ वचन) और “हु-श्रथ” (श्रेष्ठ कर्म) को जीवन के तीन मूल स्तंभ माना गया है। ये तीनों मार्ग योगदर्शन के यम-नियमों की तरह आत्मसंयम और नैतिकता की ओर उन्मुख करते हैं। यद्यपि पारसी धर्म में योग का भारतीय शैली में व्यवस्थित स्वरूप नहीं मिलता, फिर भी ध्यान, आत्मचिंतन और आचरण की पवित्रता के माध्यम से यह धर्म योग की मूल भावना- आत्मा की शुद्धि और ईश्वर के साक्षात्कार- से गहराई से जुड़ता है।

Topics: ध्यान योगयोग दर्शनयोग साधनायोग का वैदिक आधारयोगभगवान शिवमहाभारत में योगभगवान श्रीराम और योगश्रीकृष्ण और योगभगवद्गीता में योग
Share4TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

CM Dham green signal to the first batch of Kailas mansarovar pulgrims

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर से किया रवाना

हरिद्वार में भक्त गंगा स्नान करने पहुंचे। (फाइल फोटो)

कांवड़ यात्रा: हरिद्वार में 11 से 23 जुलाई के बीच उमड़ेगी भगवा आस्था

International Yoga Day celebration

नैनीताल विद्याभारती में 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का भव्य आयोजन

Yoga RSS

international yoga day 2025: योग सिंधु में संघ की जलधारा

Yoga ki Lokpriyta

सिर चढ़कर बोल रही योग की लोकप्रियता: वैश्विक मंच पर भारत की गौरवशाली उपलब्धि

yoga for stress relief in hindi

योग: भारतीय दर्शन की अमूल्य धरोहर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies