लुधियाना पश्चिमी सीट से विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी व पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु की मुसीबत बढ़ गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गुरप्रीत कौर की अदालत ने भारत भूषण आशु की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। यह याचिका विजिलेंस ब्यूरो द्वारा जांच किए जा रहे एक कथित भूमि घोटाले से संबंधित मामले में दायर की गई थी।
अदालत ने यह कहते हुए याचिका को रद्द कर दिया कि विजिलेंस ब्यूरो के डीएसपी विनोद शर्मा ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि आशु को अब तक इस मामले में नामजद नहीं किया गया है। इससे पूर्व 6 जून को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जसपिंदर सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने आशु को अंतरिम अग्रिम जमानत प्रदान की थी, जिसकी अवधि कल पूरी हो गई।
सुनवाई के दौरान पूर्व मंत्री की ओर से पेश अधिवक्ताओं की एक टीम ने अदालत से जमानत प्रदान करने या वैकल्पिक रूप से विजिलेंस ब्यूरो को निर्देश देने की मांग की कि यदि गिरफ्तारी करनी हो तो कम से कम तीन दिन पहले का नोटिस दिया जाए। हालांकि, जिला अटार्नी पुनीत जग्गी, सरकारी वकील रमणदीप तूर गिल, मोनिका गुप्ता, अजय सिंगला तथा विजिलेंस ब्यूरो में तैनात सरकारी वकील गुरप्रीत ग्रेवाल ने जोरदार दलील देते हुए याचिका का विरोध किया।
एफआईआर 8 जनवरी, 2025 को थाना डिवीजन नंबर 5, लुधियाना में दर्ज की गई थी, जो लुधियाना इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी की शिकायत पर आधारित है। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि सराभा नगर स्थित न्यू हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रबंधन समिति को 4.7 एकड़ भूमि शैक्षणिक उद्देश्य से नियंत्रित दरों पर आवंटित की गई थी, लेकिन बाद में उसका व्यावसायिक उपयोग किया गया।
भूमि पर तीन अलग-अलग स्कूलों और नौ दुकानों के संचालन का आरोप है। मामले की शुरुआत आईपीसी की धारा 420 और 120-बी के तहत हुई थी, लेकिन जांच के दौरान इसमें धारा 467, 468, 471 और 409 जैसी गंभीर धाराएं भी जोड़ दी गईं। यद्यपि आशु का नाम मूल एफआईआर में नहीं था, लेकिन जांच के बाद उनका नाम मामले से जोड़ा गया। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने हाल ही में विजिलेंस ब्यूरो के एसएसपी जगतप्रीत सिंह को आशु को समन जारी करने के मामले में निलंबित कर दिया है।
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