5 जून को अभिजीत मुहूर्त में अयोध्या में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। प्राण- प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 11.25 से 11.40 बजे तक था। श्री रामलला के गर्भगृह के ऊपर प्रथम तल पर राम दरबार बनाया गया है। गत 22 जनवरी को भूतल पर भगवान श्री राम, बाल रूप में विराजमान हुए और आज प्रथम तल पर अपने पूरे राम दरबार के साथ भगवान विराजमान हो गए हैं। राम दरबार में भगवान श्रीराम, मां सीता, तीनों भाई- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ-साथ हनुमानजी की मूर्ति हैं।
त्रिदिवसीय समारोह के अंतिम दिन प्रातः साढ़े छह बजे से आह्वानित देवताओं का यज्ञमंडप में पूजन प्रारम्भ हुआ जो दो घंटे चला। इसके पश्चात नौ बजे से हवन शुरू हुआ जो घंटे भर चला। बाद में केंद्रीयकृत व्यवस्था के अंतर्गत एक साथ सभी देवालयों में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रारम्भ हुआ। सभी मन्दिरों को दृश्य माध्यम (कैमरा एवं स्क्रीन) से एक साथ जोड़ा गया था। श्रीराम दरबार और शेषावतार के साथ जिन मन्दिरों में प्राण प्रतिष्ठा हुई वे हैं परकोटा के ईशान कोण पर स्थित शिव मंदिर, अग्निकोण में गणेशजी, दक्षिणी भुजा के मध्य में हनुमानजी,नैऋत्य कोण में सूर्य, वायव्य कोण में मां भगवती के साथ परकोटा की उत्तरी भुजा के मध्य में अन्नपूर्णा माता प्रतिष्ठित है।
बताया जा रहा है कि रामदरबार के लिए सूरत के व्यापारी मुकेश पटेल ने हीरे, सोने-चांदी के आभूषण दान में दिए हैं। जानकारी के अनुसार, 30 किलो चांदी, 300 ग्राम सोना एवं हीरा से 11 मुकुट बनाए गए हैं। इनके साथ ही गले का हार, कान के कुंडल, माथे का तिलक, चारों भाइयों के लिए धनुष-बाण भी निर्मित किए गए हैं। सोने और चांदी के आभूषणों को चार्टर्ड प्लेन से अयोध्या लाया गया था। इसके बाद राम मंदिर ट्रस्ट को दान किया गया था।
गत 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में बड़े पैमाने पर लोगों को निमंत्रण भेजा गया था। श्री राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 350 लोगों को बुलाया गया था। निमंत्रित लोगों में अधिकतर ट्रस्ट के पदाधिकारी, और साधु संत हैं। जानकारी के अनुसार, रामदरबार की मूर्तियों को जयपुर में निर्मित किया गया है। ये मूर्तियां मकराना के सफेद संगमरमर से बनाई गई हैं।
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