विश्व साइकिल दिवस: शून्य प्रदूषण की ओर पहला कदम, साइकिल चलाएं, पृथ्वी बचाएं
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विश्व साइकिल दिवस: शून्य प्रदूषण की ओर पहला कदम, साइकिल चलाएं, पृथ्वी बचाएं

हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल परिवहन के एक साधारण साधन के महत्व को रेखांकित करने के लिए नहीं बल्कि मानव स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास के समन्वित प्रयासों की दिशा में उठाए गए कदमों का प्रतीक है।

by श्वेता गोयल
Jun 2, 2025, 10:18 am IST
in विश्व
World Bicycle Day

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हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल परिवहन के एक साधारण साधन के महत्व को रेखांकित करने के लिए नहीं बल्कि मानव स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास के समन्वित प्रयासों की दिशा में उठाए गए कदमों का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2018 में 3 जून को इस दिवस को मान्यता दी थी, जिसके पीछे विचार यह था कि साइकिल एक सस्ता, टिकाऊ, सुलभ और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन है, जो स्वास्थ्य और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देता है। वर्ष 2025 में जब दुनिया गंभीर जलवायु संकट, शहरी प्रदूषण, जनस्वास्थ्य की समस्याओं और ऊर्जा संकट से जूझ रही है, तब साइकिल का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया में प्रतिवर्ष 50 लाख से अधिक लोगों की जान वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण जाती है, जिनमें से अधिकांश मौतें शहरी क्षेत्रों में होती हैं, जहां मोटर वाहन जनित प्रदूषण प्रमुख कारण है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2024 की रिपोर्ट में उल्लेख है कि वैश्विक स्तर पर 81 प्रतिशत शहरी आबादी अब भी ऐसे वातावरण में रहती है, जहां वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के मानकों से नीचे है।

साइकिल मानव द्वारा चलाया जाने वाला एक यांत्रिक साधन है, जिसकी ऊर्जा खपत नगण्य होती है और इसके चलने से किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। यह न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौती का हल प्रस्तुत करती है बल्कि स्वास्थ्य संवर्धन, आर्थिक बचत और शहरी यातायात संकट के समाधान की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यूरोपियन साइकिल फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार, यदि एक व्यक्ति प्रतिदिन 5 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करता है तो वह प्रतिवर्ष औसतन 300 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन से बच सकता है। इसका सीधा असर वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने में होता है। साइकिल स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वरदान है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा और मानसिक तनाव जैसी आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्रतिदिन केवल 30 मिनट साइकिल चलाने से एक व्यस्क व्यक्ति इन बीमारियों के जोखिम को 40 प्रतिशत तक कम कर सकता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि नियमित रूप से साइकिल चलाने वालों में हृदयाघात और कैंसर का खतरा साइकिल न चलाने वालों की तुलना में काफी कम होता है। वर्ष 2023 में यूरोप में किए गए एक सर्वे के अनुसार, उन शहरों में जहां अधिक लोग साइकिल चलाते हैं, वहां मानसिक अवसाद के मामलों की संख्या 23 प्रतिशत कम पाई गई।

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए साइकिल एक क्रांतिकारी साधन बन सकता है। ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में साइकिल अब भी मुख्य परिवहन साधन बनी हुई है लेकिन शहरी भारत में कारों और बाइकों की बढ़ती संख्या ने साइकिल को दरकिनार कर दिया है। वर्ष 2024 के आंकड़ों के अनुसार भारत के केवल 12 प्रतिशत शहरी घरों में नियमित रूप से साइकिल का उपयोग होता है लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद यह चलन बदला। लॉकडाउन के समय जब सार्वजनिक परिवहन बंद था, तब लोगों ने साइकिल की ओर लौटना शुरू किया और एक नई जागरूकता उत्पन्न हुई। कई राज्यों की सरकारों ने भी ‘ग्रीन ट्रांसपोर्ट’ की दिशा में साइकिल लेन बनाने और साइकिल शेयरिंग सिस्टम को प्रोत्साहित करने की योजनाएं शुरू की। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भारत के 31 स्मार्ट शहरों में कुल 190 किलोमीटर साइकिल ट्रैक बनाए गए हैं और 12 शहरों में पब्लिक बाइसिकल शेयरिंग सिस्टम लागू हो चुका है।

साइकिल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए एक ऐसा साधन है, जो उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक पहुंचने में मदद करता है। साइकिल न केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण का साधन है बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन की भी वाहक बन सकती है। विश्व स्तर पर कई सरकारें अब साइकिल को मुख्यधारा परिवहन नीति में शामिल कर रही हैं। नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी जैसे देश दशकों से साइकिल को प्राथमिकता देते आ रहे हैं। नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में 63 प्रतिशत से अधिक यात्री प्रतिदिन साइकिल से यात्रा करते हैं। वहीं फ्रांस ने वर्ष 2025 तक 2500 किलोमीटर नई साइकिल लेन बनाने की योजना बनाई है। यूरोपीय संघ के ‘ग्रीन डील’ में भी साइकिल परिवहन को मुख्य रूप से स्थान मिला है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की एक रिपोर्ट में सुझाया गया है कि यदि विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं (जी20) अपने कुल परिवहन बजट का मात्र 10 प्रतिशत भी साइकिल अवसंरचना पर खर्च करें तो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वर्ष 2030 तक 7 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है।

भारत सरकार ने इस दिशा में वर्ष 2024 में ‘नेशनल नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट पॉलिसी’ को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य शहरी इलाकों में पैदल चलने और साइकिलिंग को बढ़ावा देना है। इसके तहत राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नए शहरी विकास प्रोजेक्ट्स में साइकिल ट्रैक को अनिवार्य बनाएं और मौजूदा ढ़ांचे में सुधार करें। इसके अलावा नीति आयोग द्वारा समर्थित ‘साइकिलफॉरचेंज चैलेंज’ ने भी कई शहरों को साइकिल-अनुकूल बनाने में मदद की है। बेंगलुरू, पुणे, चेन्नई और सूरत जैसे शहर अब तेजी से साइकिल-फ्रैंडली जोन की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। भारत में साइकिल चलाने वालों के लिए पर्याप्त सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। अधिकांश सड़कों पर साइकिल ट्रैक नहीं हैं और जहां हैं, वहां उनका रखरखाव खराब है या अतिक्रमण का शिकार हैं। इसके अलावा, तेज रफ्तार वाहनों के बीच साइकिल चालकों की सुरक्षा एक गंभीर चिंता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष साइकिल चालकों के साथ सड़क हादसों में लगभग 7500 मौतें होती हैं। इस संख्या को कम करने के लिए जरूरी है कि साइकिल ट्रैफिक के लिए पृथक लेन, साइकिल सिग्नल और यातायात नियमों का सख्ती से पालन हो।

आर्थिक दृष्टि से भी साइकिल को अपनाने का बड़ा लाभ है। एक अनुमान के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को प्रतिवर्ष औसतन 500 लीटर पेट्रोल की बचत होती है तो वह करीब 50 हजार रुपये की बचत कर सकता है। वहीं शहरों में बढ़ती पैट्रोल-डीजल की मांग को कम करके सरकारें विदेशी मुद्रा की बचत कर सकती हैं और ईंधन आयात पर निर्भरता घटा सकती हैं। वर्ष 2024 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि भारत के 30 प्रतिशत शहरी नागरिक साइकिल को दैनिक यात्रा में अपनाएं तो अगले 10 वर्षों में देश को 2 लाख करोड़ रुपये की ईंधन बचत हो सकती है। साइकिल पर्यटन का एक नया क्षेत्र भी उभर रहा है। हिमाचल, उत्तराखंड, केरल और राजस्थान जैसे राज्यों में साइकिल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ट्रैकिंग और साइकलिंग रूट बनाए जा रहे हैं। यह न केवल सतत पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगा। आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट से जूझ रही है तो साइकिल जैसा सरल, सस्ता और असरदार साधन हमें न केवल समाधान की ओर ले जा सकता है बल्कि समाज और प्रकृति के बीच संतुलन भी स्थापित कर सकता है। यही वह समय है, जब हमें अपने शहर, अपने पर्यावरण और अपने स्वास्थ्य के लिए साइकिल को प्राथमिकता देनी चाहिए। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, हरित और टिकाऊ धरती छोड़ने का सबसे सरल तरीका है, आज से ही साइकिल को अपनाना।

Topics: World Bicycle Dayविश्व साइकिल दिवसWorld Bicycle Day 2025world bicycle day 2025 themeWorld Bicycle Day activities
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