अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया में चल रहे टैरिफ वॉर को लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। इसके चक्कर में वो अपने देश तक की कंपनियों को धमकाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा Apple कंपनी से जुड़ा है। ट्रंप ने धमकी भरे अंदाज में कहा है कि अगर कंपनी चीन या भारत में कही भी अपने प्लॉन्ट लगाती है तो वह कंपनी पर 25 फीसदी की टैरिफ लगाएं।
क्या बोले ट्रंप
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशियएटिव GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने कहा है कि अगर हम कंपनी पर टैरिफ लगाते हैं तो भी भारत में बना Apple iPhones लागत के हिसाब से फायदेमंद रहेगी। रिपोर्ट के अनुसार, एक 1,000 अमेरिकी डॉलर कीमत वाले iPhone की वैल्यू चेन में दर्जनभर देशों का योगदान होता है। Apple को इस मूल्य में सबसे ज्यादा हिस्सा – लगभग 450 डॉलर – उसके ब्रांड, सॉफ्टवेयर और डिज़ाइन के जरिए मिलता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका की कंपनियां, जैसे कि Qualcomm और Broadcom, iPhone के पुर्जों में करीब 80 डॉलर का योगदान देती हैं। ताइवान 150 डॉलर के चिप निर्माण में योगदान करता है, दक्षिण कोरिया OLED स्क्रीन और मेमोरी चिप्स के जरिए 90 डॉलर, और जापान कैमरा सिस्टम्स के जरिए 85 डॉलर का योगदान देता है। जर्मनी, वियतनाम और मलेशिया मिलकर करीब 45 डॉलर के छोटे पुर्जे सप्लाई करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि चीन और भारत iPhone असेंबली के बड़े केंद्र हैं, फिर भी इन्हें प्रति iPhone केवल 30 डॉलर मिलते हैं – जो कुल खुदरा मूल्य का 3% से भी कम है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, GTRI का तर्क है कि भारत में iPhone निर्माण पर 25% शुल्क लगने के बावजूद यह आर्थिक रूप से लाभदायक बना रहेगा। इसका सबसे बड़ा कारण भारत और अमेरिका के बीच मजदूरी में भारी अंतर है। भारत में असेंबली लाइन पर काम करने वाले श्रमिकों की औसत तनख्वाह लगभग 230 डॉलर प्रति माह है, जबकि अमेरिका के कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में यह लागत न्यूनतम वेतन कानूनों की वजह से 2,900 डॉलर प्रति माह तक पहुंच जाती है –यानी करीब 13 गुना ज्यादा।
इस कारण भारत में iPhone असेंबल करने की लागत लगभग 30 डॉलर आती है, जबकि यही काम अमेरिका में करने पर करीब 390 डॉलर खर्च होता है। इसके अलावा, भारत सरकार Apple को प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत अतिरिक्त लाभ भी देती है।अगर Apple अमेरिका में उत्पादन शिफ्ट करता है, तो प्रति iPhone मुनाफा 450 डॉलर से गिरकर केवल 60 डॉलर रह सकता है – जब तक कि वह खुदरा कीमतें काफी नहीं बढ़ा देता।
GTRI रिपोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि कैसे वैश्विक वैल्यू चेन और श्रम लागत का अंतर भारत को iPhone निर्माण के लिए प्रतिस्पर्धी विकल्प बनाता है – भले ही अमेरिका व्यापार प्रतिबंध लगाए।
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