प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश की सीमाओं पर बसे गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम चलाया गया है। अब तक केंद्र सरकार तिब्बत-चीन सीमा पर स्थित गांवों के विकास के लिए मदद देती रही है। लेकिन अब नेपाल सीमा पर स्थित गांवों को भी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।
उत्तराखंड में नेपाल सीमा से सटे गांवों के विकास का खाका तैयार कर लिया गया है। ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा ब्लॉक के पांच गांवों को ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ में शामिल किया गया है। इन गांवों में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से शत-प्रतिशत विकास कार्य कराया जाएगा। केंद्र सरकार की मंशा अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों से पलायन को रोकना है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार खटीमा विकास खंड की बनमहोलिया, नारायणनगर, कुमरहा, सिसिया बंधा और नगला तराई ग्राम पंचायतें भारत-नेपाल सीमा से सटी हैं।
यहां के लोग बेहतर जीवनशैली, शिक्षा और रोजगार के लिए तेजी से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने 2022-23 में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ लागू किया।इसमें अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए आजीविका विकास और पर्यटन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
देश में वर्तमान बदली परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों का खाली होना चिंता का विषय है, यही वजह है कि केंद्र व राज्य सरकारें सीमावर्ती गांवों पर विशेष ध्यान दे रही हैं। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत इन गांवों का कायाकल्प किया जाना है। इसके पीछे मंशा इन गांवों से पलायन रोकना भी है। इसी कड़ी में राज्य के वाइब्रेंट योजना में शामिल गांवों के लिए कार्ययोजना तैयार हो रही है। अब यहां आजीविका विकास समेत अन्य गतिविधियां तेजी से संचालित होंगी।
वाईब्रेंट विलेज के गांव वासियों से सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को खाद्य आपूर्ति, मांस अंडा सब्जी आदि की सप्लाई से जोड़कर उनका रोजगार सुनिश्चित करने का काम भी इसमें शामिल है। ऊधमसिंह नगर के सीडीओ मनीष कुमार के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे खटीमा के पांच गांवों को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में चयनित किया गया है। इन ग्राम पंचायतों में प्राथमिकता के आधार पर विकास कार्य कराने के लिए बीडीओ को निर्देशित किया जा रहा हैं। इस विषय पर केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों का भी पालन किया जा रहा है।
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