भारतीय ज्ञान परंपरा में मास और ऋतुचक्र : हमारी संस्कृति, हमारी पहचान
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भारतीय ज्ञान परंपरा में मास और ऋतुचक्र : हमारी संस्कृति, हमारी पहचान

भारतीय कैलेंडर वैज्ञानिक और प्रकृति से जुड़ा कैलेंडर है, जिसका वर्णन भारतीय ज्ञान परंपरा में मिलता है और जो ऋतुओं, सूर्यदेव के गमन और प्रकृति की गति के गहरे अध्ययन पर आधारित है।

by Jyotsnaa G Bansal
May 20, 2025, 06:07 pm IST
in भारत, संस्कृति
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आज हम सभी अपने जीवन में अंग्रेज़ी कैलेंडर, आधुनिक तकनीक और पश्चिमी तरीकों को बहुत अच्छे से अपना चुके हैं। स्कूलों, ऑफिसों, त्योहारों और यहाँ तक कि हमारे मोबाइल कैलेंडर में भी जनवरी से दिसंबर तक की तारीखें ही दिखती हैं। लेकिन हमारे भारत का भी एक अपना कैलेंडर, अपनी ऋतुएँ और अपने महीने हैं, जो हमारी परंपरा, प्रकृति और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपने पारंपरिक ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुँचाएँ। इसलिए ज़रूरी है कि हम बच्चों को भारतीय कैलेंडर की जानकारी दे।

भारतीय कैलेंडर वैज्ञानिक और प्रकृति से जुड़ा कैलेंडर है, जिसका वर्णन भारतीय ज्ञान परंपरा में मिलता है और जो ऋतुओं, सूर्यदेव के गमन और प्रकृति की गति के गहरे अध्ययन पर आधारित है। आइए, अपनी संस्कृति के इस पहलू को जानें और समझे।

वर्ष का विभाजन – उत्तरायण और दक्षिणायन

भारतीय पंचांग के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं और दोनों छह माह तक रहते हैं ।

• उत्तरायण (जनवरी से जून): सूर्यदेवके उत्तर दिशा की ओर गमन को उत्तरायण कहा जाता है । इस समय सूर्यदेव मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं । सूर्यदेव मकर संक्रांति के दिन ही दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिसे मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि इसके बाद से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं।

• दक्षिणायन (जुलाई से दिसंबर): सूर्यदेव के दक्षिण दिशा में गमन को दक्षिणायन कहा जाता है । इस समय सूर्यदेव कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करते हैं । इस अवधि के दौरान विभिन्न प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। यह आत्ममंथन और साधना का समय होता है। दक्षिणायन में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं।

ऋतु चक्र – छह ऋतुएँ और उनके मास

भारतीय पंचांग के अनुसार एक वर्ष में छह ऋतुएं होती हैं।

जब सूर्यदेव उत्तरायण में आते हैं तब तीन ऋतुएं पड़ती है-

• शिशिर,
• बसंत और
• ग्रीष्म

जब सूर्यदेव दक्षिणायन में होते हैं तब तीन ऋतुएं होती हैं

• वर्षा,
• शरद और
• हेमंत

ये ऋतुएँ केवल मौसम के बदलाव नहीं हैं, बल्कि हमारे जीवन-चर्या, आहार-विहार, स्वास्थ्य और पर्वों से भी गहराई से जुड़ी होती हैं। हर ऋतु के दो-दो मास होते हैं, जिन्हें मोटे तौर पर, हम अंग्रेज़ी कैलेंडर से भी आसानी से जोड़ सकते हैं।

1. शिशिर (JAN – FEB)

• हिंदी मास: माघ – फाल्गुन
• अंग्रेज़ी महीना: जनवरी – फरवरी
• विशेषता: ठंड के अंतिम दिन होते हैं। यह शुद्धता और संयम की ऋतु है।

माघ महीने में मकर संक्रांति, उत्तर भारत में लोहड़ी एवं पूर्व में बिहू, बसंत पंचमी भी मनाई जाती है।
फाल्गुन माह के अंत में, पूर्णिमा के दिन (फरवरी अंत या मार्च के आरंभ) होली का रंगोत्सव मनाया जाता है। उत्तर भारत में महाशिवरात्रि फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

2. वसंत (MARCH – APRIL)

• हिंदी मास: चैत्र – वैशाख
• अंग्रेज़ी महीना: मार्च – अप्रैल
• विशेषता: वसंत को ऋतुओं का राजा कहा गया है क्योंकि इस समय न अधिक गर्मी होती है न सर्दी। इस समय फूल खिलते हैं, मौसम सुहावना होता है।

चैत्र माह से भारतीय नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा और उगाड़ी जैसे नए साल के त्योहार मनाए जाते हैं। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन माता दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। रामनवमी (चैत्र शुक्ल नवमी) भगवान राम के जन्मदिन के रूप में देशभर में उत्साह से मनाई जाती है।

वैशाख महीने में उत्तर भारत में फ़सल कटाई का उत्सव बैसाखी मनाया जाता है। इसी समय वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा तथा जैन धर्म में महावीर जयंती जैसे पर्व भी आते हैं।

3. ग्रीष्म (MAY – JUNE)

• हिंदी मास: ज्येष्ठ – आषाढ़
• अंग्रेज़ी महीना: मई – जून

• विशेषता: तेज गर्मी पड़ती है, इस समय सूर्यदेव लगभग सीधा शीर्ष पर होते हैं।

ज्येष्ठ महीने में गंगा दशहरा मनाया जाता है जब गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव स्नान एवं दान द्वारा मनाते हैं इसी माह निर्जला एकादशी भी मनाते हैं।

आषाढ़ माह लगते ही पुरी (उड़ीसा) में विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मनाया जाता है। आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती है, जो अध्यात्म में गुरु के महत्व को दर्शाता है।

4. वर्षा (JULY – AUGUST)

• हिंदी मास: श्रावण – भाद्रपद
• अंग्रेज़ी महीना: जुलाई – अगस्त
• विशेषता: इस मौसम में वातावरण नम और ठंडा रहता है , पूरी प्रकृति हरी-भरी हो जाती है।

श्रावण मास आध्यात्मिक दृष्टि से भी अति महत्त्वपूर्ण है – इसे भगवान शिव का प्रिय माह माना गया है। इस समय हरियाली तीज एवं नाग पंचमी जैसे पर्व भी मनाए जाते हैं। श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन मनाया जाता है। यह त्योहार आमतौर पर अगस्त महीने में पड़ता है।
भाद्रपद मास लगते ही त्योहारों की श्रंखला शुरू हो जाती है। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। भाद्रपद शुक्ल चौथ को गणेश चतुर्थी आरंभ होती है, विशेषकर महाराष्ट्र में, जिसमें दस दिनों तक गणपति बप्पा की स्थापना और विसर्जन किया जाता है।

5. शरद (SEPT – OCT)

• हिंदी मास: आश्विन – कार्तिक
• अंग्रेज़ी महीना: सितंबर – अक्टूबर
• विशेषता: वर्षा के बाद का यह मौसम बेहद मनभावन होता है – न भारी गर्मी न अधिक सर्दी। इस ऋतु में हवा में हल्की ठंडक आने लगती है, विशेषकर सुबह और रात को तापमान सुखद स्तर तक गिर जाता है। शरद ऋतु भारतीय संस्कृति में त्योहारों के मौसम के रूप में जानी जाती है।

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होती है, जिसमें नौ दिनों तक शक्ति की आराधना की जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन दशमी को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है।

आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।

कार्तिक मास लगते ही दीपोत्सव का उल्लास शुरू हो जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी और अमावस्या को दिवाली का महापर्व पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दीवाली अश्विन-कार्तिक मास की संधि पर आती है (आमतौर पर अक्टूबर के अंत या नवंबर के आरंभ में) कार्तिक अमावस्या की अँधेरी रात करोड़ों दीपों से जगमगा उठती है, जो ये दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति में अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य आता है। दिवाली के तुरंत बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष में गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व आते हैं। वहीं कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली (विशेषकर वाराणसी में) मनाई जाती है, जब गंगा के घाटों पर दीप प्रज्ज्वलित कर देवों की दिवाली उत्सव मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान एवं गुरु नानक जयंती जैसे उत्सव आते हैं। कार्तिक माह में ही तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी जैसे पर्व हैं, जिनके साथ चातुर्मास समाप्त होकर शुभ कार्यों (विवाह आदि) का शुभारंभ होता है।

6. हेमंत (NOV – DEC)

• हिंदी मास : मार्गशीर्ष – पौष
• अंग्रेज़ी महीना : नवंबर – दिसंबर
• विशेषता : ठंड की शुरुआत होती है, वातावरण शीतल होता है। जैसे-जैसे हेमंत आगे बढ़ता है, सर्दी का जोर बढ़ने लगता है और ऋतु के अंत तक कड़ाके की ठंड का आगाज़ हो जाता है।

मार्गशीर्ष माह सर्वाधिक पवित्र महीना माना जाता है। यह इतना पवित्र है कि भगवान श्री कृष्ण स्वयं गीता में कहते हैं कि महीनों में मैं खुद मार्गशीर्ष हूं। भगवान कृष्ण की स्तुति एवं भागवत कथा करने के लिए यह मास सबसे श्रेष्ठ होता है। विशेषकर गीता जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस मास को ज्ञान, भक्ति और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना गया है।
तमिलनाडु में पोंगल और गुजरात में उत्तरायण जैसे पर्व पौष के अंतिम दिन या मकर संक्रांति के अवसर पर ही आते हैं

निष्कर्ष

भारत की परंपराएँ और ज्ञान-व्यवस्थाएँ केवल धर्म या रीति-रिवाज नहीं हैं, बल्कि वे एक वैज्ञानिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक जीवनशैली का मार्गदर्शन करती हैं। हमारे पूर्वजों ने समय को केवल घंटों और दिनों में नहीं, बल्कि ऋतुओं, सूर्यदेव की गति, चंद्रमा की कलाओं और प्रकृति के बदलावों के अनुसार समझा और जिया। यही भारतीय पंचांग की विशेषता है – वह हमें समय के साथ जीने, मौसम के अनुसार शरीर और मन को ढालने और समाज के साथ जुड़कर उत्सव मनाने की प्राकृतिक और वैज्ञानिक प्रणाली देता है।

आज आवश्यकता है कि हम अंग्रेज़ी कैलेंडर के साथ-साथ अपने भारतीय मासों, ऋतुओं और पर्वों की समृद्ध परंपरा को भी समझें और अगली पीढ़ी को सिखाएँ, क्योंकि यही भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय संस्कृति हमारी पहचान है।

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